Arunachal Pradesh Flood और भूस्खलन से गंभीर हुए हालात, लगातार बारिश ने कई इलाकों में मचाया कहर

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में जारी मूसलाधार बारिश ने राज्य के हालात को गंभीर बना दिया है। भीषण बाढ़ और लगातार हो रहे भूस्खलनों ने लोगों के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। 33 हजार से अधिक लोग, 214 गांव, और 481 घर इस आपदा की चपेट में आ चुके हैं। अब तक 12 लोगों की मौत, 2 लापता, और 4 घायल होने की पुष्टि हुई है। प्रशासन और राहत एजेंसियां मिलकर राहत व बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
चांगलांग जिला सबसे ज्यादा प्रभावित

राज्य के 24 जिलों में हालात चिंताजनक बने हुए हैं लेकिन सबसे बुरी स्थिति चांगलांग जिले की है। यहां 6 गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं और 2,231 लोग बेघर हो गए हैं।
चांगलांग के मियाओ उपविभाग में बाढ़ से फसलों, पशुधन और संपत्ति को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। नोआ-देहिंग नदी का जलस्तर बढ़ने से पर्यटक स्थल ज़ुप्रा और रीवर कैफे भी डूब चुके हैं।
बालिनोंग क्षेत्र में स्थित आईटीआई कॉलेज का छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर और पानी की टंकियां भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे छात्रों के लिए स्थिति और अधिक कठिन हो गई है।
ईटानगर में पानी का जबरदस्त संकट
राजधानी ईटानगर में भूस्खलन के कारण पोमा जलापूर्ति परियोजना की पाइपलाइनों को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे पूरे शहर में पीने के पानी की जबरदस्त किल्लत हो गई है।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि पाइपलाइन मरम्मत और सप्लाई बहाल होने में करीब 10 दिन का समय लग सकता है। तब तक पानी के टैंकरों से लोगों को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।

12 लोगों की मौत, 2 लापता
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के मुताबिक अब तक:
- 12 लोगों की मौत
- 2 लोग लापता
- 4 लोग घायल

हुए हैं।
इन मौतों में:
- 7 पूर्वी कामेंग में
- 2 निचले सुबानसिरी में
- 1-1 लोंगडिंग, लोहित और अंजॉ जिले में
दर्ज की गई हैं।
इनमें 9 मौतें भूस्खलन, 1 बाढ़, 1 दीवार गिरने और 1 पेड़ गिरने की वजह से हुई हैं।
जानवर और मकान भी बर्बाद
इस आपदा में न सिर्फ इंसान बल्कि 432 पशुओं की भी मौत हुई है।
राज्य में अब तक:
- 481 मकान पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट
- 214 गांव प्रभावित
- कई सड़कें और पुल बह गए हैं।
प्रशासन की ओर से राहत कार्य
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य के लिए त्वरित कदम उठाए हैं:
- 3 राहत शिविर बनाए गए हैं जहां 239 लोग शरण लिए हुए हैं।
- 2,292 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या चांगलांग जिले की है।
- NDRF, SDRF, पुलिस और स्वयंसेवी संगठन राहत कार्य में जुटे हैं।
सड़कें और संचार भी प्रभावित
भारी बारिश और भूस्खलनों की वजह से कई सड़कों पर यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है।
विशेष रूप से हिल एरिया में भूस्खलन से रास्ते बंद हो गए हैं जिससे राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं।
दूरसंचार सेवाएं भी कुछ इलाकों में प्रभावित हुई हैं, जिससे लोगों को संपर्क बनाने में समस्या आ रही है।
भविष्य की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 3-4 दिनों तक और बारिश की चेतावनी जारी की है।
ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिसका मतलब है कि हालात और बिगड़ सकते हैं।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे जरूरी न हो तो बाहर न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
आपदा के दुष्परिणाम
आर्थिक नुकसान:
- फसलों की तबाही
- पशुधन का नुकसान
- मकानों और बुनियादी ढांचे को भारी क्षति
सामाजिक असर:
- हजारों लोग बेघर
- स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव
- स्कूली शिक्षा बाधित
मनोवैज्ञानिक असर:
- बच्चों और बुजुर्गों में भय और तनाव
- राहत शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
सरकारी सहयोग और योजनाएं
राज्य सरकार ने केंद्र से आपदा राहत कोष (NDRF) से फंड की मांग की है।
राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है और कहा है कि:
“हर प्रभावित व्यक्ति तक सरकार की मदद पहुंचेगी। हम पुनर्वास और राहत में कोई कोताही नहीं बरतेंगे।”
सरकार ने:
- हर मृतक के परिवार को 4 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
- बेघर लोगों के लिए अस्थायी पुनर्वास योजनाएं लागू की जा रही हैं।
अब क्या करें?
प्रभावित लोगों के लिए सुझाव:
- केवल सरकारी निर्देशों के अनुसार ही यात्रा करें।
- ऊंचाई वाले स्थानों पर आश्रय लें।
- पीने के लिए केवल उबला हुआ या टैंकर से आया पानी ही प्रयोग करें।
- सरकारी राहत केंद्रों में रजिस्ट्रेशन कराएं ताकि सहायता मिल सके।