Tuesday, July 8, 2025

Northeast भारत में बाढ़ और भूस्खलन का कहर, अब तक 40 मौतें – असम-मेघालय मिलकर ढूंढ़ेंगे स्थायी समाधान

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Northeast भारत के 6 राज्यों में भारी बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है। असम और मेघालय के मुख्यमंत्री गुवाहाटी की शहरी बाढ़ से निपटने के लिए साझा समाधान खोजने पर सहमत हुए हैं।

Northeast में तबाही का मंजर: बाढ़ और भूस्खलन से 40 की मौत, लाखों प्रभावित

Northeast भारत में मानसून की शुरुआत के साथ ही बाढ़ और भूस्खलन का कहर लगातार जारी है। बीते 29 मई से अब तक असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में कम से कम 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लाख लोग अब भी जलप्रलय की चपेट में हैं।

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असम

असम में 22 जिले जलमग्न, 5 लाख से ज्यादा लोग संकट में

असम इस प्राकृतिक आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बनकर उभरा है। यहां 22 जिलों में 5 लाख से अधिक लोग बाढ़ के पानी में फंसे हैं। नदी-नाले उफान पर हैं, फसलें नष्ट हो चुकी हैं और सैकड़ों गांवों का संपर्क टूट चुका है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन जलस्तर में अभी भी गिरावट नहीं आई है।


मणिपुर में घर तबाह, लोग बेघर; सेना ने बचाई 1000 जानें

मणिपुर की स्थिति भी कम विकट नहीं है। राज्य में 19,811 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं, जबकि 3,365 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। राज्य के 47 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। सेना की तत्परता के चलते एक हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है।


सिक्किम में भूस्खलन से मौतें, सुरक्षा कर्मी लापता

सिक्किम में भी हालात गंभीर बने हुए हैं। यहां भूस्खलन की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई है और छह सुरक्षा कर्मी अब भी लापता हैं। राज्य सरकार और सेना राहत कार्यों में जुटी हुई है। समय के साथ हालात बिगड़ने का अंदेशा है।


त्रिपुरा में थोड़ी राहत, फिर भी 10 हजार लोग शिविरों में

त्रिपुरा की स्थिति थोड़ी स्थिर जरूर हुई है लेकिन अब भी 10,000 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। प्रशासन राहत सामग्री और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने में जुटा है।


गुवाहाटी में शहरी बाढ़ से निपटने को लेकर हुई ऐतिहासिक बैठक

असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के बीच मंगलवार को गुवाहाटी में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में गुवाहाटी शहर की बार-बार होने वाली बाढ़ की समस्या को जड़ से खत्म करने पर चर्चा हुई।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि मेघालय से आने वाला पानी गुवाहाटी में बाढ़ का प्रमुख कारण है। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC) से सैटेलाइट मैपिंग कराई जाएगी। इसके बाद IIT रुड़की के विशेषज्ञों से समाधान का प्रस्ताव मांगा जाएगा।

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असम

“हम मिलकर लड़ेंगे इस आपदा से” – मेघालय के मुख्यमंत्री का भरोसा

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी साझा प्रयासों की बात कही। उन्होंने कहा कि मेघालय की पहाड़ी भौगोलिक स्थितियों के कारण चुनौतियां हैं, लेकिन दोनों राज्य मिलकर समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


सुप्रीम कोर्ट की फटकार और पहाड़ों की कटाई पर गहरी चिंता

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी के जुराबात इलाके में हो रही पहाड़ की कटाई को लेकर हाल ही में असम और मेघालय सरकार को नोटिस भेजा था। इस मुद्दे पर बैठक में विस्तार से चर्चा की गई और दोनों राज्य सरकारें संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने पर सहमत हुईं।


समाधान की ओर बढ़ते कदम, पर तबाही थमने का नाम नहीं ले रही

यह स्पष्ट है कि असम और मेघालय मिलकर इस आपदा का दीर्घकालिक समाधान खोजने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन फिलहाल हालात बेहद भयावह हैं। जनता को प्रशासनिक राहत के साथ ही एकजुट होकर इस संकट का सामना करना होगा।

तबाही का तांडव: पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ और भूस्खलन से हाहाकार

Northeast: भारी बारिश और भूस्खलन के कारण घर-होटल व सड़कें ढहीं, 19 लोगों की  मौत, हजारों बेघर
Northeast भारत में बाढ़ और भूस्खलन का कहर, अब तक 40 मौतें – असम-मेघालय मिलकर ढूंढ़ेंगे स्थायी समाधान 8

29 मई से शुरू हुई भारी बारिश ने पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। जहां एक ओर आसमान से गिरती मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं दूसरी ओर पर्वतीय राज्यों में हुए भूस्खलनों ने कहर बरपाया है। असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश – इन छह राज्यों में हजारों गांव पानी में डूब गए हैं, सड़कों का संपर्क टूट चुका है और लोग जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

प्राकृतिक आपदा की इस श्रृंखला में अब तक कम से कम 40 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हजारों लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। इन हालातों में राज्य सरकारें और राहत एजेंसियां पूरे जोरशोर से बचाव और पुनर्वास कार्यों में लगी हुई हैं।


असम: 22 जिलों में 5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित, हालात बेहद खराब

असम में बाढ़ का असर व्यापक है। राज्य के 22 जिलों में 5 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। दरंग, बारपेटा, नगांव, धेमाजी और गोलाघाट जैसे जिलों में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हजारों घर नष्ट हो चुके हैं और कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। पशुधन का भारी नुकसान हुआ है और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सेवाएं भी बाधित हैं। गांव के गांव टापू में तब्दील हो गए हैं जहां राहत सामग्री पहुंचाने के लिए नावों और हेलिकॉप्टरों का सहारा लिया जा रहा है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानकर नहीं छोड़ा जा सकता। इसके स्थायी समाधान के लिए हमें वैज्ञानिक नजरिया अपनाना होगा।


मणिपुर: भूस्खलनों से तबाही, सेना ने 1000 से अधिक लोगों को बचाया

मणिपुर में 19,811 लोग इस आपदा की चपेट में हैं। बारिश और उसके कारण हुए भूस्खलनों से स्थिति और अधिक भयावह हो गई है। अब तक 3,365 घर तबाह हो चुके हैं और 47 स्थानों पर बड़े भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं।

यहां भारतीय सेना और असम राइफल्स ने मिलकर आपातकालीन बचाव अभियान चलाया, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया। कई इलाकों में सेना को रस्सियों के सहारे पानी में फंसे लोगों को बाहर निकालना पड़ा।

भूस्खलनों की वजह से कई प्रमुख सड़कें बंद हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।


सिक्किम: लैंडस्लाइड से मौतें, सुरक्षा कर्मी लापता

सिक्किम में भी हालात कम चिंताजनक नहीं हैं। यहां भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। बीते 72 घंटों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 6 सुरक्षा कर्मी लापता हैं।

लापता जवानों की खोज के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है लेकिन लगातार बारिश के कारण बचाव कार्यों में रुकावटें आ रही हैं। कई इलाकों में भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह से बंद हो चुके हैं।

सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने केंद्र सरकार से तत्काल मदद की मांग की है। एनडीआरएफ और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें भी सक्रिय हैं।


त्रिपुरा: राहत शिविरों में 10,000 लोग, हालात में कुछ सुधार

त्रिपुरा में स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है लेकिन अभी भी 10,000 लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। धलाई और उत्तर त्रिपुरा जिलों में सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है।

बाढ़ का पानी कुछ इलाकों से उतरने लगा है, लेकिन गंदा पानी और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें राहत शिविरों में शिविर लगाकर चिकित्सा सेवाएं दे रही हैं।

राज्य सरकार ने कहा है कि जल्द ही पुनर्वास पैकेज की घोषणा की जाएगी ताकि लोग अपने जीवन को दोबारा पटरी पर ला सकें।


असम-मेघालय की अहम बैठक: गुवाहाटी की शहरी बाढ़ पर साझा हल

असम की राजधानी गुवाहाटी हर साल शहरी बाढ़ से जूझती है। इसी मुद्दे पर असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के बीच मंगलवार शाम को एक ऐतिहासिक बैठक हुई। इस बैठक में तय किया गया कि दोनों राज्य गुवाहाटी में पानी भरने की समस्या का संयुक्त समाधान खोजेंगे।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि गुवाहाटी में मेघालय के पहाड़ों से भारी मात्रा में पानी आता है जिससे शहरी इलाकों में बाढ़ आती है। उन्होंने कहा कि इस पूरे क्षेत्र की सैटेलाइट मैपिंग नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC) के जरिए कराई जाएगी। इसके बाद IIT रुड़की के विशेषज्ञों से तकनीकी समाधान लिया जाएगा।


मेघालय के सीएम का बयान: “हम साथ हैं, समाधान निकालेंगे”

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी बैठक में भाग लेते हुए कहा कि गुवाहाटी की समस्या को वे समझते हैं लेकिन मेघालय में भी पहाड़ी इलाकों में आर्थिक गतिविधियों के चलते चुनौतियां हैं। उन्होंने दोहराया कि दोनों राज्य मिलकर काम करेंगे जिससे दोनों को लाभ मिलेगा।


सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: जुराबात की पहाड़ी कटाई पर सख्ती

8 People From Uttarakhand In Flood Across The Country The Figure Reached  241 देशभर में बाढ़ से मरने वालों में उत्तराखंड के आठ लोग शामिल, 241 पहुंचा  आंकड़ा, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
Northeast भारत में बाढ़ और भूस्खलन का कहर, अब तक 40 मौतें – असम-मेघालय मिलकर ढूंढ़ेंगे स्थायी समाधान 9

गुवाहाटी के जुराबात इलाके में पहाड़ की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में असम और मेघालय सरकार को नोटिस भेजा था। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण की अनदेखी करके विकास नहीं किया जा सकता।

बैठक में इस संवेदनशील विषय पर भी चर्चा हुई और यह सहमति बनी कि दोनों राज्य भविष्य में संयुक्त नीतियों के तहत कोई भी निर्णय लेंगे।


क्या कहता है भूतपूर्व अनुभव: हर साल दोहराती है त्रासदी

पूर्वोत्तर भारत हर साल मानसून में इस तरह की आपदाओं का सामना करता है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में ठोस प्रयास कम ही देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सिस्टमेटिक अर्बन प्लानिंग, सतत विकास, और समय पर चेतावनी प्रणाली जैसे उपायों को अपनाकर इन आपदाओं को रोका जा सकता है।

प्रकृति से संघर्ष नहीं, समन्वय की जरूरत है।


निष्कर्ष: चुनौती बड़ी है, लेकिन उम्मीद भी है

पूर्वोत्तर भारत की यह त्रासदी केवल प्राकृतिक नहीं, बल्कि योजनात्मक विफलता का भी परिणाम है। लेकिन अब जब राज्य सरकारें साथ आ रही हैं और वैज्ञानिक संस्थाएं समाधान सुझाने को तैयार हैं, तो उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र पहले से अधिक सुरक्षित और तैयार नजर आएगा।


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