Monday, July 7, 2025

Bihar Election 2025 NDA का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय!

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Bihar Election 2025

Bihar Election 2025 आ गया NDA का सीट शेयरिंग फॉर्मूला, जानें किस पार्टी को मिलेंगी कितनी सीटें

Bihar Politics Nda Seat Sharing Jdu Bjp Formula For Assembly Elections 2025  Nitish Kumar Party News | Jansatta

पटना:
बिहार में वर्ष 2025 के विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीटों के बंटवारे को लेकर गहन चर्चाएं हो रही हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है। इस बार भी गठबंधन का चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे और चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नाम पर लड़ा जाएगा।


कितनी सीटें किसके खाते में?

बिहार चुनाव: एनडीए में सीटों का बंटवारा लगभग फाइनल, इस फॉर्मूले पर बनी  सहमति! - News18 हिंदी
Bihar Election 2025 Nda का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय! 10

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस बार का संभावित फॉर्मूला कुछ इस प्रकार हो सकता है:

  • जेडीयू (JDU): 102-103 सीटें
  • बीजेपी (BJP): 101-102 सीटें
  • लोक जनशक्ति पार्टी (LJP): 25-28 सीटें
  • हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM): 6-7 सीटें
  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM): 4-5 सीटें

इस फॉर्मूले के पीछे लोकसभा चुनाव का आंकड़ा और दलों का वर्तमान प्रभाव देखा गया है।

Bihar Elections 2025: 'Broad Understanding' On Seat-Sharing, Nda To Kick  Off Formal Talks Soon

जमीनी हकीकत और जातीय समीकरण भी होंगे अहम

एनडीए के सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि टिकट बंटवारे के दौरान जमीनी हकीकत और जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उम्मीदवारों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक ही जिले में एक ही जाति के कई उम्मीदवार न हों, जिससे वोटों का बंटवारा ना हो। गठबंधन की कोशिश होगी कि हर जाति से प्रतिनिधित्व मिले और वोट बैंक मजबूत हो।


Bihar Seat Sharing Will Be Based On Candidates And Not Parties Nda Has  Decided The Formula In Delhi बिहार में पार्टी नहीं कैंडिडेट के हिसाब से  होगी सीट शेयरिंग, दिल्ली में Nda

नीतीश कुमार ही रहेंगे NDA का चेहरा

बीजेपी के शीर्ष सूत्रों ने साफ कर दिया है कि बिहार में एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। हाल ही में नीतीश कुमार की सेहत को लेकर जो राजनीतिक बयानबाज़ी हुई, उस पर भी बीजेपी ने पलटवार किया। उनका कहना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता, अनुभव और छवि निर्विवाद है और विपक्ष को इस मुद्दे को उठाकर नुकसान ही होगा।


इतिहास: NDA का पुराना सीट शेयरिंग आंकड़ा

पिछले विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा इस प्रकार रहा था:

  • 2010: जेडीयू 141, बीजेपी 102
  • 2015: (तब जेडीयू महागठबंधन में था) जेडीयू और आरजेडी ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा
  • 2020: जेडीयू 115, बीजेपी 110, VIP को 11, HAM को 7 सीटें

2020 में एलजेपी (चिराग पासवान) ने एनडीए से अलग होकर 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत सके। जेडीयू को इस वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा और वह तीसरे नंबर पर चली गई।


एलजेपी की भूमिका अहम

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के इस बार एनडीए के साथ होने की संभावना है और पार्टी को 25 से 28 सीटें मिल सकती हैं। चिराग के पास लोकसभा में पांच सांसद हैं और वह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। इस बार उनकी पार्टी कह रही है कि वे खुद विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, वह भी सामान्य सीट से

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “एलजेपी को कितनी सीटें दी जाएंगी, यह तय है। वे किसे कहां से टिकट देंगे, यह उनका अधिकार है। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, यह पहले से तय है — नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे।


सहयोगी दलों में तालमेल बेहतर करने की कोशिश

सूत्रों का कहना है कि इस बार सहयोगी दलों में बेहतर तालमेल और सामंजस्य बनाए रखने पर फोकस किया जाएगा। खासतौर पर पिछली बार जैसी स्थिति न बने, जब एलजेपी के अलग चुनाव लड़ने से जेडीयू को नुकसान हुआ था। एनडीए यह भी चाहता है कि सहयोगी दलों के बीच एकजुटता का प्रदर्शन हो, जिससे महागठबंधन को कड़ी टक्कर दी जा सके।


जातीय समीकरण सबसे बड़ी चुनौती

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए एनडीए के अंदर यह सहमति बनी है कि टिकट वितरण में सभी जातियों को समुचित प्रतिनिधित्व मिले।

खासतौर पर ओबीसी, दलित, महादलित और सवर्ण जातियों के वोट बैंक को मजबूत बनाए रखने के लिए, सभी दलों को ऐसे उम्मीदवार उतारने को कहा गया है जो लोकप्रियता और जातिगत समीकरण दोनों पर खरे उतरते हों।


महागठबंधन की चुनौती

विपक्षी महागठबंधन यानी आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी और कुछ छोटे दल भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। आरजेडी की ओर से तेजस्वी यादव एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। ऐसे में एनडीए को अपनी रणनीति बेहद सटीक और ज़मीनी हकीकत के अनुसार बनानी होगी।


बिहार की सियासत में “बड़े भाई” कौन?

राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर चर्चा तेज है कि क्या जेडीयू इस बार भी एनडीए में “बड़े भाई” की भूमिका निभाएगा? 2010 और 2020 की स्थिति देखें तो जेडीयू ने बीजेपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है, लेकिन 2020 में बीजेपी को अधिक सीटें मिली थीं।

अब सीट शेयरिंग लगभग बराबर किया गया है, जिससे दोनों दलों को संतुष्ट किया जा सके। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में नीतीश कुमार का नाम फाइनल होने से यह साफ हो गया है कि बीजेपी अभी भी जेडीयू को नेतृत्व देने के पक्ष में है।


चुनाव की तारीखों का इंतजार

चुनाव आयोग द्वारा अभी तक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि सितंबर-अक्टूबर 2025 में मतदान हो सकते हैं। इससे पहले सभी दलों को अपने उम्मीदवार और रणनीति तय करनी होगी।

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