Bihar Police : पटना के थाने में महिला सब इंस्पेक्टर और 2 ASI ने की शराब चोरी, निलंबित
Bihar Police : बिहार में शराबबंदी के बाद से राज्य सरकार अवैध शराब के खिलाफ लगातार सख्ती बरत रही है। लेकिन जब इसी कानून को लागू करवाने वाले पुलिसकर्मी खुद कानून तोड़ने लगें, तो सवाल उठना लाज़मी है। ताजा मामला पटना के पाटलिपुत्र थाना का है, जहां महिला सब इंस्पेक्टर और दो सहायक सब इंस्पेक्टर ने थाने के मालखाने से जब्त शराब चुरा ली। यह पूरी घटना CCTV कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।
क्या है पूरा मामला?
घटना राजधानी पटना के पाटलिपुत्र थाना की है, जहां महिला सब इंस्पेक्टर आशा कुमारी, सहायक सब इंस्पेक्टर पंकज कुमार और राजेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने मालखाने से जब्त शराब चुरा ली। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ थाने के अंदर हुआ, जहां कानून की रक्षा करने वाले ही कानून तोड़ते नजर आए।
पुलिस विभाग में यह घटना चर्चा का विषय बन गई है। जानकारी के अनुसार, पंकज कुमार थाने में मुंशी की जिम्मेदारी भी संभालते थे और मालखाना उनके अधीन था। जबकि महिला सब इंस्पेक्टर पर जब्त शराब को संभालने में लापरवाही का आरोप है।
कैमरे में कैद हुई चोरी की वारदात
थाने के अंदर लगे CCTV कैमरे ने पूरी घटना को रिकॉर्ड कर लिया है। इसमें देखा गया कि किस तरह मालखाने में रखी शराब को तीनों पुलिसकर्मी चुपचाप बाहर निकाल रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
पटना के एसएसपी अवकाश कुमार ने बताया कि इन तीनों के खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।
शराबबंदी कानून और पुलिस की साख पर सवाल
बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी लागू की थी और इसे सख्ती से पालन कराने का दावा किया था। लेकिन जब थानों में ही जब्त शराब की चोरी होने लगे और वो भी पुलिस के हाथों, तो सरकार की नीयत और पुलिस की साख दोनों सवालों के घेरे में आ जाते हैं।
इससे पहले भी दीघा थाना में इसी तरह की घटना हुई थी, जिसके बाद बड़े स्तर पर जांच और कार्रवाई हुई थी। अब पाटलिपुत्र थाने की यह घटना एक बार फिर पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही है।
विभागीय कार्रवाई शुरू, अन्य थानों में हड़कंप

इस मामले के सामने आने के बाद पटना पुलिस के अन्य थानों में भी डर और हड़कंप का माहौल है। अधिकारियों ने सभी थानों को निर्देश दिया है कि जब्त की गई वस्तुओं की नियमित निगरानी की जाए और मालखाने की गतिविधियों को कैमरे में रिकॉर्ड किया जाए।
सिटी एसपी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी दोषी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाएगा और कार्रवाई पारदर्शी ढंग से होगी।

पुलिसकर्मियों के नाम और जिम्मेदारियाँ
- आशा कुमारी (महिला सब इंस्पेक्टर): मालखाने की देखरेख में लापरवाही, शराब जब्ती की प्रक्रिया में चूक।
- पंकज कुमार (ASI): थाने में मुंशी का काम, मालखाने की जिम्मेदारी।
- राजेश कुमार (ASI): सहयोगी की भूमिका में शराब की चोरी में संलिप्तता।
तीनों के खिलाफ IPC की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है और न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
शराब चोरी के मामले से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप, भरोसे पर भारी पड़ा भ्रष्टाचार

बिहार पुलिस पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला बेहद शर्मनाक है। जब कानून की रक्षा करने वाले खुद कानून तोड़ते नजर आए, तो आम जनता का भरोसा तिनके की तरह टूट जाता है। पाटलिपुत्र थाना में महिला सब इंस्पेक्टर और दो सहायक सब इंस्पेक्टर पर शराब चोरी का आरोप सामने आने के बाद बिहार पुलिस की छवि को गंभीर झटका लगा है।

जहां एक ओर पुलिस को राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी दी है, वहीं दूसरी ओर मालखाने से चोरी की गई शराब ने विभाग की साख पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। पटना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस घटना ने पूरे पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यही कारण है कि विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कड़ी निगरानी के निर्देश भी दिए गए हैं।
इस घटना के बाद यह साफ हो गया है कि केवल शराब माफिया ही नहीं, बल्कि कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मी भी इस अवैध धंधे में हिस्सेदार हैं। सूत्रों के मुताबिक, चोरी की गई शराब का उपयोग निजी लाभ के लिए किया गया या बाजार में खपाने की कोशिश की गई थी, जिसकी जांच अभी जारी है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अन्य जिलों के थानों की भी जांच की जा रही है। CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि यह कोई सुनियोजित गिरोह का हिस्सा तो नहीं। जनता अब यह जानना चाहती है कि क्या ऐसे पुलिसकर्मियों पर सिर्फ निलंबन काफी है या उनके खिलाफ आपराधिक सजा भी सुनिश्चित की जाएगी।
बिहार पुलिस पर फिर उठा भरोसे का सवाल: थाने से शराब चोरी का मामला बना शर्मनाक मिसाल
बिहार में शराबबंदी को लेकर सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं और बार-बार कहा है कि राज्य में शराब का कारोबार और उपभोग दोनों अपराध हैं। लेकिन जब वही कानून लागू कराने वाले अफसर चोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं, तो यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल बन जाता है।
पटना के पाटलिपुत्र थाना में तीन पुलिसकर्मियों — महिला सब इंस्पेक्टर आशा कुमारी और दो सहायक सब इंस्पेक्टर पंकज कुमार और राजेश कुमार — पर मालखाने से जब्त शराब चुराने का गंभीर आरोप है। इस खुलासे के बाद तीनों को तत्काल निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस महकमा अंदर ही अंदर हिल गया है और अन्य थानों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है।
थाने में बैठकर नियम तोड़ रहे हैं रक्षक
यह घटना सिर्फ एक थाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे पुलिस महकमे में फैले भ्रष्टाचार की एक झलक है। पंकज कुमार, जो कि थाने में मुंशी की भूमिका निभाते थे, उन्हें मालखाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। यह विश्वास की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने ही इस विश्वास को तोड़ा। वहीं महिला सब इंस्पेक्टर आशा कुमारी पर जब्त शराब को सुरक्षित रखने में लापरवाही का आरोप है, जो अपराध के बराबर माना जा रहा है।
CCTV फुटेज ने खोला राज़
इस पूरी घटना का पर्दाफाश थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से हुआ। वीडियो में देखा गया कि किस तरह शराब की बोतलों को चुपचाप निकाला गया और किसने उन्हें उठाया। यह कोई अचानक किया गया अपराध नहीं, बल्कि एक पूर्वनियोजित साजिश की तरह सामने आया है। फुटेज को सबूत मानते हुए पटना के एसएसपी ने न केवल सस्पेंशन का आदेश दिया, बल्कि विभागीय जांच भी शुरू कर दी है।
जनता का भरोसा फिर डगमगाया
बिहार जैसे राज्य में, जहां कानून व्यवस्था पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं, ऐसे मामलों से आम जनता का भरोसा और भी कमजोर हो जाता है। सवाल यह भी है कि जब पुलिस खुद ही गैरकानूनी कामों में शामिल हो, तो आम आदमी कहां जाकर न्याय मांगे? इस मामले ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि शराबबंदी कानून को सही तरीके से लागू करने के लिए सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि ईमानदार निगरानी भी जरूरी है।
क्या सिर्फ निलंबन काफी है?
इस केस ने यह बहस भी खड़ी कर दी है कि क्या पुलिसकर्मियों के लिए सिर्फ निलंबन पर्याप्त दंड है? आम जनता की मांग है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को सिर्फ नौकरी से हटाना नहीं, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजा जाए। इससे एक उदाहरण स्थापित होगा और पुलिस महकमे में अनुशासन भी कायम रहेगा
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Source – India tv
Written By – Pankaj Chaudhary