Monday, July 7, 2025

Child Rape बिहार से उठी देश की चीख: मासूमों से दरिंदगी की डराने वाली तस्वीर, आंकड़े कर देंगे बेचैन

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Child Rape

Child Rape आज दर्द में है बिहार, देश में बच्चियों से दरिंदगी की ये तस्वीर डराने वाली है |

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Child Rape बिहार से उठी देश की चीख: मासूमों से दरिंदगी की डराने वाली तस्वीर, आंकड़े कर देंगे बेचैन 10

नई दिल्ली / पटना:
बिहार इन दिनों गहरे सदमे में है। राज्य के मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिलों से सामने आई बच्चियों के साथ रेप और फिर हत्या की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन यह सिर्फ एक राज्य की कहानी नहीं है। भारत के कई हिस्सों से रोज़ बच्चियों से यौन अपराधों की खबरें आ रही हैं। एनसीआरबी (NCRB) और सीआरवाई (CRY) जैसे संगठनों के आंकड़े बताते हैं कि यह संकट कितना गहरा और भयावह हो गया है।


बिहार में दो दरिंदगी की घटनाएं, एक जैसा पैटर्न

मुजफ्फरपुर में एक मासूम बच्ची के साथ पहले रेप हुआ, फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि समस्तीपुर से ठीक वैसा ही मामला सामने आया। इन दोनों मामलों की क्रूरता, पैटर्न और पीड़ितों की उम्र से जुड़े तथ्य यह बताते हैं कि बिहार में बच्चियों को लेकर सुरक्षा तंत्र फेल हो चुका है।


लेकिन क्या यह सिर्फ बिहार की बात है?

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बिलकुल नहीं। भारत के दूसरे राज्यों में भी बच्चियों से यौन अपराधों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर दिन 100 से ज्यादा बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं दर्ज की जाती हैं। यह आंकड़ा केवल रिपोर्ट हुए मामलों का है। असल में यह संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई मामले दबा दिए जाते हैं या दर्ज ही नहीं होते।


एनसीआरबी के आंकड़े क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार:

वर्षदर्ज रेप के मामले
201619,765
201727,616
201830,917
201931,132
202030,705
202136,381
202238,911

2016 से 2022 के बीच 96.8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी हर दो साल में यह संख्या लगभग दोगुनी हो रही है।


2022 में किस राज्य में कितने मामले?

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बच्चियों से रेप के बाद हत्या के दर्ज मामले (2022):

  • मध्य प्रदेश – 18 मामले
  • महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश – 14-14 मामले
  • गुजरात – 7 मामले
  • हरियाणा – 6 मामले
  • छत्तीसगढ़ – 5 मामले

साल 2022 में 122 बच्चियों की जान चली गई, जिनके साथ पहले बलात्कार हुआ और फिर उनकी हत्या कर दी गई।


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CRY रिपोर्ट की चौंकाने वाली बातें

CRY (चाइल्ड राइट्स एंड यू) नामक संगठन ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर बताया है:

  • लड़कियों से होने वाले यौन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है।
  • ज्यादातर मामलों में अपराधी जान-पहचान वाले होते हैं – रिश्तेदार, पड़ोसी या शिक्षक।
  • बहुत से मामलों में पुलिस पर दबाव डालकर या डराकर मामले दर्ज ही नहीं किए जाते।

किन कारणों से बढ़ रहे हैं ये अपराध?

  1. कानून लागू करने में लापरवाही:
    पॉक्सो एक्ट जैसे सख्त कानून मौजूद हैं, लेकिन कार्रवाई अक्सर धीमी होती है।
  2. सामाजिक चुप्पी:
    परिवार बदनामी के डर से मामले छिपा लेते हैं
  3. सरकारी लापरवाही:
    बाल सुरक्षा के लिए बनी सरकारी योजनाएं ज़मीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हैं।
  4. फास्ट ट्रैक कोर्ट की कमी:
    ऐसे मामलों का निपटारा सालों तक लटका रहता है, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।

पीड़ित परिवारों की हालत

इन मामलों में पीड़ित परिवारों की स्थिति बेहद दर्दनाक होती है। न केवल उन्होंने अपना बच्चा खोया होता है, बल्कि उन्हें समाज की उपेक्षा, पुलिस की बेरुखी, और कभी-कभी राजनीतिक हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है।


क्या समाधान है?

1. तेज कानूनी कार्रवाई:

  • सभी जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित हों।
  • 3 महीने के भीतर फैसला अनिवार्य हो।

2. सामाजिक जागरूकता:

  • स्कूलों और समुदायों में बाल यौन शोषण की रोकथाम पर वर्कशॉप होनी चाहिए।

3. पुलिस सुधार:

  • स्थानीय पुलिस को संवेदनशीलता और महिला मामलों की ट्रेनिंग दी जाए।

4. सरकारी योजनाओं की निगरानी:

  • बच्चों के लिए बनी योजनाओं की नियमित ऑडिट हो।

बच्चियों को सुरक्षित कैसे करें?

  • बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ के बारे में सिखाएं।
  • स्कूलों में काउंसलिंग और हेल्पलाइन नंबर मुहैया कराएं।
  • माता-पिता और शिक्षकों को जागरूक करें कि वे बच्चों के व्यवहार में आए बदलाव को पहचानें।

सवाल पूछने का वक्त है…

  • कब तक मासूम बच्चियों की चीखें कानून और प्रशासन को सुनाई नहीं देंगी?
  • कब तक पीड़ित परिवारों को न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा?
  • क्या बिहार जैसे राज्यों में बच्चियों का बचपन हमेशा के लिए छिनता रहेगा?

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