पटना: बिहार में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव के लिए जारी मतदाता सूची में एक ऐसी त्रुटि सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड क्षेत्र के बूथ नंबर 54 में 724 मतदाताओं की सूची में से 138 मतदाताओं के पिता का नाम एक जैसा, ‘मुन्ना कुमार’, दर्ज किया गया है। यह गलती न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया की खामियों को उजागर करती है, बल्कि इससे प्रभावित लोगों के लिए परेशानी का सबब भी बन गई है। मतदाता सूची में इस प्रकार की गड़बड़ी ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गड़बड़ी का मामला: पिता का एक ही नाम
औराई प्रखंड कार्यालय द्वारा जारी की गई इस मतदाता सूची में गलती साफ-साफ दिखाई देती है। सैकड़ों मतदाताओं के पिता के नाम एक जैसा होने की वजह से लोग परेशान और नाराज हैं। चुनावी प्रक्रिया में सटीकता और पारदर्शिता बनाए रखने की जो जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, वह इस मामले में नदारद नजर आ रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, जिन मतदाताओं के पिता के नाम का पहला अक्षर ‘एम’ है, उनकी जानकारी में यह गड़बड़ी हुई है। यह गलती यूनिकोड फॉन्ट में आई तकनीकी समस्या के कारण हुई है, जिसे कंप्यूटर डेटा फीडिंग के दौरान ठीक से नहीं संभाला गया। इस तकनीकी त्रुटि का परिणाम यह हुआ कि सैकड़ों मतदाताओं के पिता का नाम ‘मुन्ना कुमार’ दर्ज हो गया।
मतदाताओं की नाराजगी और चिंता
इस गलती ने मतदाताओं के बीच काफी भ्रम और नाराजगी पैदा कर दी है। जिन मतदाताओं के नाम इस सूची में हैं, वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं इस त्रुटि के चलते उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित न कर दिया जाए। चुनाव प्रक्रिया में ऐसी गड़बड़ियां न केवल मतदाताओं का भरोसा तोड़ती हैं, बल्कि प्रशासनिक कुशलता पर भी सवाल खड़ा करती हैं।
मतदाताओं ने शिकायत करते हुए कहा कि इस प्रकार की त्रुटियां गंभीर चिंता का विषय हैं। उनकी पहचान पर सवाल उठाया जा रहा है, और उन्हें लगता है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को हल्के में ले रहा है। कई मतदाताओं का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया में इस तरह की गलतियां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे उनका संवैधानिक अधिकार प्रभावित हो सकता है।
प्रशासन का पक्ष
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त सरवणन एम ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक तकनीकी त्रुटि बताया है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस समस्या को सुलझा लिया जाएगा। आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि इस गलती के कारण किसी भी मतदाता को उनके मताधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।
यह मामला प्रशासनिक सतर्कता की कमी को उजागर करता है। हालांकि आयुक्त ने अपनी ओर से यह आश्वासन दिया है कि चुनाव के दौरान किसी मतदाता को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन इस गलती ने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को जरूर प्रभावित किया है।
तकनीकी कारणों से हुई गड़बड़ी
इस गलती का मुख्य कारण यूनिकोड फॉन्ट में आई तकनीकी समस्या बताई जा रही है। जिन मतदाताओं के पिता के नाम का पहला अक्षर ‘एम’ था, उनकी जानकारी दर्ज करते समय फॉन्ट में गड़बड़ी हो गई, और सभी के पिता का नाम ‘मुन्ना कुमार’ के रूप में दर्ज हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गलती डेटा एंट्री के समय सावधानी न बरतने के कारण हुई है।
भविष्य में सुधार के उपाय
आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि इस त्रुटि को चुनाव समाप्त होने के बाद सुधार लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस गलती से मतदाता सूची में शामिल किसी भी व्यक्ति के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। यह गलती प्रशासन के लिए एक सीख हो सकती है कि भविष्य में डेटा एंट्री और तकनीकी प्रक्रियाओं में अधिक सावधानी बरती जाए।