Finance Ministry बैंक कर्मचारियों की सुरक्षा तय की जाए, राज्यों को लिखा पत्र, अपराधियों पर तुरंत एक्शन लेने को कहा

देश भर में बैंक कर्मचारियों पर हो रहे हमलों और दुर्व्यवहार की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए वित्त मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर बैंक शाखाओं में कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू द्वारा लिखे गए इस पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ कानूनी और त्वरित कार्रवाई जरूरी है, जिससे बैंकिंग सेवाएं निर्बाध रूप से चल सकें और कर्मचारियों को एक सुरक्षित कार्य वातावरण मिल सके।
बढ़ते हमले और दुर्व्यवहार के मामलों से चिंतित हुआ मंत्रालय

हाल के दिनों में कई रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट में सामने आया है कि बैंक शाखाओं में कर्मचारियों के साथ गाली-गलौच, मारपीट और धमकी जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कई जगहों पर महिला कर्मचारियों को भी परेशान किया गया। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित हो रहा है, बल्कि बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता और नागरिकों का विश्वास भी डगमगा रहा है।
वित्त मंत्रालय की सख्त चेतावनी

सचिव नागराजू ने पत्र में लिखा,
“ये कृत्य पूरी तरह से गैरकानूनी हैं। इनसे बैंकिंग व्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है और जनता के बैंकिंग सिस्टम पर भरोसे को गहरी चोट पहुंचती है। ऐसे मामलों में कानून के तहत सख्त और तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।“
राज्यों को दिए गए ये प्रमुख निर्देश
वित्त मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में निम्नलिखित प्रमुख निर्देश शामिल हैं:
- जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाएं:
राज्य सरकारें सभी जिला प्रशासन और पुलिस इकाइयों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें ताकि बैंक कर्मचारियों की सुरक्षा प्राथमिकता बने। - संवेदनशील स्थानों पर पुलिस तैनाती:
जिन शाखाओं में असामाजिक तत्वों की सक्रियता ज्यादा हो, वहां कार्य घंटों के दौरान पुलिस या गश्ती दल की स्थायी तैनाती की जाए। - शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई:
बैंक कर्मचारियों की शिकायतों पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा तत्काल और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। - कानूनी प्रावधानों का प्रयोग:
हमला करने वाले या असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि अन्य लोग ऐसा करने से डरें।
बैंक कर्मचारी संगठनों की भी बड़ी मांग
बढ़ती घटनाओं को देखते हुए बैंक यूनियनों और कर्मचारी संगठनों ने भी सरकार और बैंक प्रबंधन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। कई संगठनों ने लिखा कि बैंक कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर माना जाना चाहिए, और उनकी सुरक्षा व्यवस्था उसी अनुसार की जानी चाहिए।
महिला कर्मचारियों की बढ़ती परेशानियां
हाल की घटनाओं में देखा गया है कि ग्राहक कई बार महिला कर्मचारियों के साथ अशोभनीय व्यवहार करते हैं। ऐसे मामलों में महिला अधिकारी मानसिक तनाव से गुजरती हैं, जिससे उनकी कार्य क्षमता पर असर पड़ता है। मंत्रालय ने इन मामलों को लेकर भी चिंता जताई है और राज्य प्रशासन से विशेष सतर्कता बरतने को कहा है।
बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित
कर्मचारियों के साथ लगातार हो रहे दुर्व्यवहार के चलते कई जगहों पर बैंक शाखाओं को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है। इससे न सिर्फ बैंक को आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि आम जनता की भी परेशानियां बढ़ जाती हैं, खासकर उन ग्रामीण या कस्बाई इलाकों में जहां सीमित बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वित्त मंत्रालय का उद्देश्य
इस पहल के जरिए मंत्रालय का उद्देश्य सिर्फ कर्मचारियों को सुरक्षा देना नहीं, बल्कि पूरे बैंकिंग सिस्टम को मजबूत और भरोसेमंद बनाना है। वित्तीय सेवा सचिव ने लिखा,
“इन उपायों से जनता का बैंकिंग पर विश्वास बढ़ेगा और कर्मचारियों को आत्मविश्वास मिलेगा।“
इस मामले पर विशेषज्ञों की राय
बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व बैंकर अजय श्रीवास्तव का कहना है,
“यह एक सकारात्मक पहल है। बैंक कर्मचारी देश के आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ हैं। अगर उनकी सुरक्षा नहीं होगी, तो बैंकिंग व्यवस्था चरमरा जाएगी।”
सुरक्षा उपायों को लेकर सुझाव
विशेषज्ञों और बैंक यूनियनों ने कुछ अतिरिक्त सुझाव भी दिए हैं:
- सभी शाखाओं में CCTV निगरानी को अनिवार्य किया जाए।
- बैंकिंग हॉल में सुरक्षा गार्ड की तैनाती अनिवार्य हो।
- हर शाखा में एक आपातकालीन सहायता बटन (पैनिक बटन) की व्यवस्था हो।
- कर्मचारियों को साइकोलॉजिकल सपोर्ट और ट्रेनिंग दी जाए।