Monday, July 7, 2025

RBI का अनोखा जुगाड़: कटे-फटे नोटों से बनेंगे लकड़ी के बोर्ड, जानें पूरा प्लान

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RBI अब पुराने कटे-फटे नोटों का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल तरीके से करेगा। जानिए कैसे नोटों से बनाए जाएंगे पार्टिकल बोर्ड और इससे पर्यावरण को क्या लाभ होगा।

RBI का जुगाड़: अब कटे-फटे नोटों से बनेंगे पार्टिकल बोर्ड, पर्यावरण भी बचेगा

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Damaged Currency

नई दिल्ली:
अक्सर जब हमारे हाथ में कटे-फटे नोट आते हैं तो हम उन्हें तुरंत बैंक में जमा करवा देते हैं या बदलवा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन पुराने, फटे-चिथड़े नोटों का आखिर क्या होता है? क्या इन्हें जला दिया जाता है या कहीं जमीन में गाड़ दिया जाता है? इस सवाल का जवाब अब खुद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दिया है।

RBI अब इन कटे-फटे नोटों का इस्तेमाल एक ऐसे तरीके से करने जा रहा है जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि भारत में टिकाऊ संसाधनों के इस्तेमाल की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।


क्या है RBI की नई योजना?

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Rbi (Reserve Bank Of India)

भारतीय रिजर्व बैंक की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में हर साल करीब 15,000 टन कटे-फटे नोटों या उनके ब्रिकेट्स (छोटे टुकड़ों से बनाए गए ब्लॉक्स) का उत्पादन होता है। अभी तक इन नोटों का निपटान जमीन में दबाकर या जलाकर किया जाता था, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है।

अब RBI ने इन पुराने नोटों को पार्टिकल बोर्ड यानी लकड़ी के बोर्ड में बदलने की योजना बनाई है। इसके लिए रिजर्व बैंक ने ऐसे विनिर्माताओं को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो लकड़ी की जगह इन नोटों से बने ब्रिकेट्स का उपयोग करेंगे।


क्या होते हैं पार्टिकल बोर्ड?

पार्टिकल बोर्ड्स सामान्यतः लकड़ी के कणों, चिप्स और बाइप्रोडक्ट्स से बनाए जाते हैं। ये बोर्ड फर्नीचर निर्माण, दीवारों की सजावट, और अन्य निर्माण कार्यों में उपयोग किए जाते हैं।

अब RBI इन बोर्ड्स में लकड़ी की जगह कटे-फटे नोटों से बने ब्रिकेट्स का इस्तेमाल करवाना चाहता है, जिससे एक ओर कचरे का बेहतर इस्तेमाल होगा, तो दूसरी ओर पर्यावरण को भी कम नुकसान होगा।

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Torn Notes

क्यों जरूरी है ये कदम?

✦ पर्यावरणीय संकट को देखते हुए

परंपरागत रूप से ज्यादातर केंद्रीय बैंक पुराने और कटे-फटे नोटों को या तो जला देते हैं या जमीन में गाड़ देते हैं। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है बल्कि ज़मीन की उर्वरता और पारिस्थितिकी पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकनोट में प्रयुक्त होने वाले रसायन, स्याही, फाइबर और सुरक्षा धागे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में इनका निपटान अधिक टिकाऊ और ईको-फ्रेंडली तरीके से किया जाना अनिवार्य है।


वैज्ञानिक शोध से मिला भरोसा

इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए RBI ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान से एक विस्तृत अध्ययन करवाया।

इस स्टडी में यह पाया गया कि पुराने नोटों से बने ब्रिकेट्स तकनीकी दृष्टिकोण से लकड़ी के बोर्ड के लिए एक उपयुक्त विकल्प हैं। इन ब्रिकेट्स से बने बोर्ड सभी मानकों पर खरे उतरते हैं।


किस तरह होगा क्रियान्वयन?

RBI अब सक्रिय रूप से ऐसे पार्टिकल बोर्ड विनिर्माताओं को अपने पैनल में शामिल कर रहा है जो इन ब्रिकेट्स को खरीदकर अपने उत्पादों में इस्तेमाल करेंगे। – wooden boards

इस प्रक्रिया के तहत पुराने नोटों को पहले छोटे टुकड़ों में काटा जाएगा, फिर उन्हें ब्रिकेट्स के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके बाद इन्हें बोर्ड विनिर्माताओं को अंतिम उपयोग के लिए बेचा जाएगा।


देश के लिए क्या है इसका लाभ?

1. पर्यावरण संरक्षण

नोट जलाने की प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले गैसों से मुक्ति मिलेगी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।

2. वनों की कटाई में कमी

लकड़ी की जगह ब्रिकेट्स का उपयोग करने से पेड़ों की कटाई घटेगी, जिससे वन संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

3. सस्टेनेबल डेवलपमेंट की ओर कदम

यह कदम भारत को अपने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में आगे बढ़ाएगा।

4. नई रोजगार संभावनाएं

ब्रिकेट्स निर्माण और पार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्री में नए रोजगार के अवसर भी खुल सकते हैं।


अन्य देश क्या करते हैं?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ देश पुराने नोटों के पुनः उपयोग की दिशा में काम कर रहे हैं।

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