RBI Repo रेट में 50 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती की, लोन लेने वालों के लिए राहत की खबर

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जून 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक से आम आदमी के लिए राहत की खबर आई है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50% की कटौती का ऐलान किया है। इसके बाद रेपो रेट अब घटकर 5.50% रह गया है। इस फैसले का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन्होंने होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन ले रखा है।
तीसरी बार घटा रेपो रेट, कुल 1% की राहत

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह इस साल की तीसरी कटौती है। फरवरी 2025 में 0.25% और अप्रैल 2025 में 0.25% की कटौती के बाद अब जून में 0.50% की बड़ी राहत दी गई है। यानी साल की शुरुआत से अब तक कुल 1 प्रतिशत (100 बेसिस प्वाइंट्स) की कटौती की जा चुकी है।
EMI पर पड़ेगा सीधा असर, जेब में बचेगा पैसा

रेपो रेट में कटौती का सबसे सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है। चूंकि बैंक रेपो रेट के आधार पर लोन की ब्याज दर तय करते हैं, ऐसे में जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी अपने लोन सस्ते कर देते हैं। इससे लोन की मासिक किस्त यानी EMI में राहत मिलती है।
फ्लोटिंग रेट लोन वालों को मिलेगा फायदा:
अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है तो इस फैसले का असर कुछ ही हफ्तों में दिख सकता है। बैंक आपकी EMI को दोबारा कैलकुलेट करेंगे और आपको कम राशि चुकानी होगी।
फिक्स्ड रेट लोन वालों के लिए बदलाव नहीं:
हालांकि, अगर आपने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया है, तो इस रेपो रेट कटौती का आप पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि आपकी ब्याज दर फिक्स है।
RBI का उद्देश्य – ग्रोथ को सपोर्ट करना

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालातों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। इस रेपो रेट कटौती का उद्देश्य है कि देश की आर्थिक वृद्धि को सपोर्ट किया जा सके और लोन लेकर निवेश करने वालों को प्रोत्साहित किया जा सके।
लेकिन चुनौतियां भी बरकरार
हालांकि गवर्नर ने यह भी माना कि आने वाले समय में भूराजनीतिक तनाव, मौसम की अनिश्चितताएं और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता भारतीय बाजारों के लिए चुनौती बन सकती हैं।
खुदरा महंगाई पर नियंत्रण, टारगेट 3.7%
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई दर के अनुमान को घटाकर 3.7% कर दिया है, जो पहले 4% था। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई घटकर 3.16% तक आ गई थी, जो पिछले छह सालों में सबसे कम है।
महंगाई घटने का मतलब है:
- जरूरी वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी
- आम आदमी को राहत मिलेगी
- मुद्रा स्फीति के दबाव में कमी आएगी
जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.5% पर बरकरार
मौद्रिक नीति समिति ने यह भी साफ किया कि चालू वित्त वर्ष यानी 2025-26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर ही बरकरार रहेगा। यह सरकार के लिए एक पॉजिटिव संकेत है।
क्या है इसका मतलब?
- देश की अर्थव्यवस्था स्थिर गति से बढ़ रही है
- रोजगार और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हो सकती है
- विदेशी निवेशकों को भी भारत में अवसर दिख सकता है
क्या अब फिर से रेपो रेट कटेगा?
आरबीआई गवर्नर ने संकेत दिए कि अब लगातार तीन बार दरों में कटौती के बाद, मौद्रिक नीति में ज्यादा गुंजाइश नहीं बची है। यानी हो सकता है कि आने वाले महीनों में रेपो रेट में और कटौती नहीं हो।
लेकिन अगर वैश्विक मंदी का दबाव बढ़ता है, या फिर घरेलू मांग कमजोर होती है, तो RBI फिर से दरों में कटौती कर सकता है।
बैंकों की रणनीति: EMI घटेगी या नहीं?
अब सवाल उठता है कि क्या बैंक तुरंत ब्याज दरों में कटौती करेंगे? आम तौर पर देखा गया है कि रेपो रेट घटने के कुछ ही हफ्तों में बैंक भी ब्याज दरों को कम करते हैं, लेकिन यह उनके आंतरिक फैसलों पर निर्भर करता है।
प्रमुख बैंक क्या कर सकते हैं:
- SBI (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया): आमतौर पर RBI की कटौती के बाद सबसे पहले रेट घटाता है
- HDFC और ICICI बैंक: कुछ हफ्तों में ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं
- प्राइवेट बैंक: कुछ समय तक स्थिति का जायजा लेने के बाद रेट घटा सकते हैं
आपकी EMI कितनी कम हो सकती है?
उदाहरण के लिए, अगर आपने 50 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और ब्याज दर 9% से घटकर 8.5% हो जाती है, तो आपकी EMI में लगभग 1,500 से 2,000 रुपये तक की कमी आ सकती है।
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