Chhattisgarh Kanker में पारिवारिक त्रासदी तीन बच्चों को जहर देकर मारा, माता-पिता ने भी की आत्महत्या की कोशिश

कांकेर (छत्तीसगढ़):
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही परिवार के पांच लोगों ने कथित तौर पर जहर खा लिया, जिससे तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि मां-बाप की हालत बेहद गंभीर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह घटना परतापुर थाना क्षेत्र के परलकोट गांव-70 की है और शुक्रवार देर रात को सामने आई। इस खबर ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया है और मानवता को झकझोरने वाली यह घटना आर्थिक तंगी की भयावहता को उजागर करती है।

क्या है पूरा मामला?
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृत बच्चों की पहचान दीप्ति बैरागी (12 वर्ष), जुतिका बैरागी (9 वर्ष) और देवराज बैरागी (6 वर्ष) के रूप में हुई है। उनके माता-पिता देवेंद्र बैरागी (36 वर्ष) और उनकी पत्नी ने खाने में जहर मिलाकर पहले बच्चों को खिलाया और फिर खुद भी खा लिया।
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक यह सब रात के खाने के दौरान हुआ। जब पड़ोसियों ने अगली सुबह घर में हलचल न होते देखी, तो उन्होंने घर जाकर देखा और मामले की जानकारी पुलिस को दी।
दंपत्ति की हालत नाजुक, अस्पताल में भर्ती
पड़ोसियों की सतर्कता के चलते समय रहते देवेंद्र बैरागी और उनकी पत्नी को पास के पखांजूर सिविल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां दोनों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार उनकी जान बचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जहर काफी देर से शरीर में पहुंच चुका है।

भोजन की थाली और शव – दृश्य ने सबको रुलाया
घटनास्थल से प्राप्त तस्वीरें रूह कंपा देने वाली हैं। कमरे में फर्श पर बिछी चटाई पर तीनों बच्चों के शव पड़े हैं, और उनके पास ही भोजन की थालियां रखी हुई हैं, जिनमें वह खाना है जिसमें जहर मिलाया गया था।
इस दृश्य ने हर किसी को अंदर तक हिला दिया। गांववालों ने बताया कि इस परिवार की स्थिति पिछले कई महीनों से ठीक नहीं थी और वे आर्थिक रूप से परेशान चल रहे थे।

गरीबी बनी आत्महत्या की वजह?
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि परिवार ने यह आत्मघाती कदम आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की वजह से उठाया है। हालांकि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि देवेंद्र बैरागी खेती-बाड़ी करता था, लेकिन इस साल फसल अच्छी नहीं हुई और ऊपर से कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता गया। कोई स्थायी आय का स्रोत न होने के कारण परिवार तनाव में जी रहा था।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच शुरू
परतापुर थाने की पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर सबूत इकट्ठा किए हैं और एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि जहर कैसे प्राप्त किया गया, और क्या किसी अन्य व्यक्ति की इस कृत्य में भूमिका थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,
“परिवार की आर्थिक स्थिति और मानसिक तनाव को ध्यान में रखते हुए हम आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी संभावनाओं पर भी जांच कर रहे हैं।”
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है गरीबी का गहरा असर
यह घटना सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज में मौजूदा आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और मानसिक स्वास्थ्य संकट का भी आईना है। जब एक परिवार एक साथ अपने जीवन का अंत करने का प्रयास करता है, तो यह सिर्फ उनकी असफलता नहीं, बल्कि सिस्टम की भी विफलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से बचाव तभी संभव है जब समाज और प्रशासन समय रहते हस्तक्षेप करें और मानसिक और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया – मदद की घोषणा
जैसे ही यह मामला मीडिया में सामने आया, कांकेर जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और मृत बच्चों के अंतिम संस्कार एवं माता-पिता के इलाज के लिए आपात फंड से सहायता की घोषणा की है।
इसके अलावा मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग टीम को भी गांव में भेजा गया है ताकि परिवार के बाकी रिश्तेदारों और गांव के अन्य लोगों को समझाइश और समर्थन मिल सके।
गांव में मातम, स्कूलों में मौन रखा गया
परलकोट गांव में इस घटना के बाद से गहरा शोक छाया हुआ है। गांव के स्कूलों में मृत बच्चों की याद में एक दिन का मौन रखा गया और शिक्षकों ने छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत रहने की प्रेरणा दी।
गांव के सरपंच ने कहा,
“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी प्यारी बेटियां और बेटा इस तरह हमसे बिछड़ जाएंगे। यह केवल उनका नहीं, पूरे गांव का नुकसान है।”
जरूरत है सिस्टम में बदलाव की
ऐसी घटनाएं बार-बार समाज को यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या हमारी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, कर्ज राहत स्कीम्स और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं वास्तव में ज़मीनी स्तर पर काम कर रही हैं? अगर कोई परिवार बच्चों समेत आत्महत्या जैसा कदम उठाता है, तो यह एक संकेत है कि कहीं कुछ बहुत बड़ा चूक गया है।