China ड्रैगन की खतरनाक चाल: अमेरिका में फैलाना चाहता था कृषि आतंकवाद, चीन से तस्करी कर लाया गया खतरनाक फंगस
वाशिंगटन/बीजिंग:
दुनिया को पहले ही कोरोना वायरस से जूझने पर मजबूर करने वाले चीन की एक और बायोलॉजिकल साजिश सामने आई है। इस बार मामला स्वास्थ्य नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और कृषि पर हमला करने का है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से ‘फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम’ (Fusarium graminearum) नामक एक खतरनाक फंगस बरामद हुआ है।
इस फंगस को कृषि आतंकवाद (Agro Terrorism) के तहत इस्तेमाल किए जाने की साजिश थी। अमेरिकी वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने इस खुलासे को चीन द्वारा जैविक हथियारों के जरिए अमेरिका को अस्थिर करने की साजिश करार दिया है।
क्या है ‘फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम’ फंगस?
‘फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम’ कोई सामान्य फंगस नहीं है। यह दुनिया की प्रमुख अनाज फसलों – गेंहू, मक्का, जौ और धान – को प्रभावित करता है और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर सकता है। यह फंगस विशेष रूप से ‘हेड ब्लाइट’ नामक बीमारी फैलाता है, जिससे अनाज काला पड़ जाता है, उसमें मायकोटॉक्सिन्स (Mycotoxins) बनते हैं जो इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हैं।
इसके कारण:
- लिवर फेलियर हो सकता है
- बच्चों के जन्म में विकृति आ सकती है
- कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा रहता है
- दूध, मांस और अन्य खाद्य वस्तुएं भी विषैली हो सकती हैं

अमेरिका ने क्या कहा?
अमेरिकी अदालत में हुए खुलासे में कहा गया है कि यह फंगस बायो वेपन के रूप में चीन से अमेरिका लाया गया था। इस फंगस को अमेरिका की कृषि व्यवस्था को कमजोर करने के उद्देश्य से तस्करी करके लाया गया और इसे खेतों में फैलाने की योजना थी।
एफबीआई डायरेक्टर काश पटेल के मुताबिक:
“यह एक सुनियोजित बायोलॉजिकल अटैक था, जो खाद्य आपूर्ति और कृषि उद्योग को तबाह करने की मंशा से किया जा रहा था।”

कौन हैं पकड़े गए चीनी नागरिक?
एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए दो नागरिक हैं:
- युनकिंग जियन (33 वर्ष)
- जुनयोंग लियू (34 वर्ष)
इन दोनों को कई गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। जाँच में पता चला है कि युनकिंग जियन को इस प्रोजेक्ट के लिए चीनी सरकार (CCP) से फंडिंग मिली थी। उसके पास से बरामद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस में साक्ष्य मिले हैं जो उसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े होने की पुष्टि करते हैं।
जुनयोंग लियू की कबूलनामा
लियू ने कबूल किया कि वह एक चीनी यूनिवर्सिटी में इसी फंगस पर रिसर्च करता था, और वहीं से उसने इस फंगस को अमेरिका में तस्करी कर लाया। यह फंगस अमेरिकी कृषि व्यवस्था में जानबूझकर फैलाने की योजना थी ताकि अमेरिका की फसलें तबाह हों और अनाज का संकट पैदा हो जाए।
क्या होता है एग्रो टेररिज्म?
एग्रो टेररिज्म (Agro Terrorism) यानी कृषि आतंकवाद का मतलब होता है — किसी देश की कृषि, खाद्य उत्पादन और खाद्य आपूर्ति पर जैविक या रासायनिक हथियारों से हमला करना।
इसका उद्देश्य है:
- फसलें बर्बाद करना
- खाद्य संकट पैदा करना
- आर्थिक नुकसान पहुंचाना
- जनसंख्या में भय फैलाना
एग्रो टेररिज्म में सिर्फ फसलें ही नहीं, पालतू जानवर, डेयरी उद्योग और जल स्रोत भी निशाना बनाए जाते हैं।
अमेरिका क्यों चिंतित है?
अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि अगर यह फंगस देशभर में फैल गया होता, तो यह अमेरिका के कृषि-आधारित राज्यों, जैसे कि कैनसस, आयोवा, टेक्सास में तबाही मचा देता। इससे अरबों डॉलर का नुकसान होता और खाद्य वस्तुओं की कीमतें कई गुना बढ़ जातीं। साथ ही, इसका मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता था।
क्या चीन के पास और भी जैविक हथियार हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन लंबे समय से जैविक हथियारों पर काम कर रहा है। कोरोना वायरस, जो चीन के वुहान शहर से फैला, एक उदाहरण है कि कैसे चीन जैविक रिसर्च को अपने फायदे और वैश्विक वर्चस्व के लिए इस्तेमाल करता है। अब यह नया मामला दिखाता है कि चीन फसलों को भी हथियार बना सकता है।
भारत को क्यों सतर्क रहने की ज़रूरत है?
इस मामले से भारत को भी सबक लेना चाहिए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। अगर ऐसे जैविक हथियार भारत में घुसपैठ करते हैं, तो इससे:
- अनाज संकट पैदा हो सकता है
- खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं
- किसान तबाह हो सकते हैं
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था डगमगा सकती है
भारत को भी अपनी बायो सिक्योरिटी नीति को और मजबूत करने की जरूरत है।
क्या अंतरराष्ट्रीय नियम लागू होते हैं?
बायो टेररिज्म पर ‘Biological Weapons Convention (BWC)’ लागू होता है, जिसे 1972 में बनाया गया था। लेकिन चीन पर पहले भी इस संधि के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। अमेरिका इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जा सकता है।
विशेषज्ञों की राय
जैविक हथियार विशेषज्ञ डॉ. अर्चना त्रिवेदी का कहना है:
“फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम जैसे फंगस को हथियार बनाना चीन की सोच को दर्शाता है। ये सिर्फ बीज या मिट्टी से नहीं, बल्कि हवा और पानी से भी फैल सकता है। ऐसे में यह वैश्विक सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है।”