Monday, July 7, 2025

Temba Bavuma: साउथ अफ्रीका को WTC जिताने वाले पहले अश्वेत कप्तान की प्रेरणादायक कहानी

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Temba Bavuma: ‘देखन में छोटो लगे घाव करे गंभीर’… वही ‘अश्वेत क्रिकेटर’ जिसने इतिहास बना दिया, नाम है बावुमा

Wtc Final 2025 South Africa Beat Australia Captain Temba Bavuma Journey  Career Criticism Race Discrimination - टेम्बा बावुमा होना आसान नहीं है: साउथ  अफ्रीका के पहले ब्लैक बैटर होने से Wtc खिताब

Temba Bavuma, एक ऐसा नाम जो अब सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि उम्मीद, संघर्ष और एक नई सोच का प्रतीक बन गया है। दक्षिण अफ्रीका ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2025 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर इतिहास रच दिया। लेकिन इस जीत के केंद्र में खड़े थे — एक छोटे कद के, शांत और दृढ़ संकल्प वाले कप्तान — टेम्बा बावुमा।


एक निबंध से शुरू हुआ सपना, जो लॉर्ड्स में जाकर पूरा हुआ

Wtc Final: साउथ अफ्रीका ने 15 सदस्यीय टीम का किया ऐलान, ऑस्ट्रेलिया के  खिलाफ दम दिखाने को तैयार बावुमा, रबाडा को भी मिली जगह - South Africa Squad  For Wtc Final Against

छठी कक्षा में पढ़ने वाले एक लड़के ने स्कूल की पत्रिका में एक निबंध लिखा था – ‘‘मैं खुद को पंद्रह साल बाद सूट में देखता हूं, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति से हाथ मिलाते हुए, जो मुझे टीम में चुने जाने की बधाई दे रहे हैं।’’ यह सपना सिर्फ एक कल्पना नहीं रहा, वह लड़का आज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीतने वाला पहला अश्वेत कप्तान बना।

उस लड़के का नाम था — टेम्बा बावुमा


‘तेम्बा’ नाम में छुपा था ‘उम्मीद’

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‘तेम्बा’ नाम की कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है। बावुमा की दादी ने उन्हें यह नाम दिया, जिसका अर्थ होता है — उम्मीद। और उन्होंने अपने करियर और जिंदगी में कभी भी इस उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।

भले ही लोग उनके छोटे कद का मज़ाक उड़ाते रहे, बल्लेबाजी औसत को लेकर आलोचना करते रहे, लेकिन बावुमा ने यह साबित कर दिया कि कद से नहीं, नीयत और मेहनत से ऊंचाई तय होती है।


सोशल मीडिया ट्रेंड बना #LittleBigMan

महज 63 इंच के कद वाले इस खिलाड़ी के लिए मैदान पर खड़ा होना, कप्तानी करना और दुनिया की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया को हराना आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने सबका मुंह बंद कर दिया। जब चौथे दिन काइल वेरेने ने विजयी रन बनाया, तो बावुमा ने अपना चेहरा हाथों से ढक लिया – शायद ताकि उनकी भावनाएं कैमरे में न आ जाएं।

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दक्षिण अफ्रीका के लिए 27 साल बाद पहली ICC ट्रॉफी

इस जीत ने न सिर्फ बावुमा का सपना पूरा किया, बल्कि 27 सालों से एक ICC ट्रॉफी का इंतजार कर रही दक्षिण अफ्रीकी जनता को वह खुशी दी, जिसका वह हकदार थी। और यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, यह रंगभेद की मानसिकता को तोड़ने वाली एक ऐतिहासिक जीत थी।

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रंगभेद के दौर से समावेशिता तक का सफर

बावुमा दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत टेस्ट कप्तान हैं, जिन्होंने ICC खिताब दिलाया। उनके साथ टीम में कागिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी, केशव महाराज, सेनुरन मुथुसामी जैसे खिलाड़ियों का होना इस बदलाव का सबूत है कि आज की टीम विविधता में विश्वास करती है।

बावुमा ने मैच के बाद कहा,

“हम अलग-अलग हैं, लेकिन यह जीत हमें एकजुट करती है। यह पूरा देश इस जीत का जश्न मना सकता है।”


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कोच तक नहीं चाहते थे कि वो खेलें

इस सफर में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि टीम के मुख्य कोच शुकरी कॉनराड भी नहीं चाहते थे कि बावुमा आगे खेलें। लेकिन बावुमा डटे रहे, खेले, और कप्तान के रूप में औसत 57 के आसपास पहुंचा दिया, जबकि कप्तान बनने से पहले उनका औसत सिर्फ 30 के करीब था।


क्विंटन डी कॉक विवाद और उनकी समझदारी

जब दक्षिण अफ्रीकी टीम में Black Lives Matter आंदोलन के दौरान क्विंटन डी कॉक ने घुटने टेकने से इनकार किया, तब भी बावुमा ने एक नेता की तरह बर्ताव किया। उन्होंने कोई सख्त बयान नहीं दिया, कोई निंदा नहीं की – बल्कि शांति से स्थिति को संभाला और टीम को एकजुट रखा।


लैंगा से लॉर्ड्स तक: असली संघर्ष की कहानी

बावुमा के लिए यह सफर आसान नहीं रहा। केपटाउन के अश्वेत बहुल इलाके लैंगा की संकरी गलियों से निकलकर लंदन के लॉर्ड्स मैदान में ट्रॉफी उठाना – यह किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है। उन्होंने बताया कि उनके बचपन में गली की एक तरफ का टार रोड इतना खराब था कि वे उसे “कराची” कहते थे क्योंकि वहां बॉल अजीब तरह से उछलती थी। और दूसरी तरफ की सड़क को “MCG” कहते थे।

यह किस्से सुनाते हुए बावुमा मुस्कुराते हैं, लेकिन इन स्मृतियों में वह संघर्ष छुपा है जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाया।


टीम के हर खिलाड़ी का योगदान

इस ऐतिहासिक जीत में सिर्फ बावुमा ही नहीं, बल्कि पूरी टीम का योगदान रहा। एडेन मार्कराम, डेविड बेडिंघम, ट्रिस्टन स्टब्स, सबने बल्ले से अपना योगदान दिया। केशव महाराज और लुंगी एनगिडी जैसे गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया की मजबूत बैटिंग को उधेड़कर रख दिया।

लेकिन फिर भी, जो चीज सबसे ज्यादा चमकी, वो थी कप्तान बावुमा का आत्मविश्वास और टीम को एक सूत्र में बांधने की काबिलियत।


मैदान के बाहर भी एक सच्चे नेता

बावुमा सिर्फ एक कप्तान नहीं हैं, एक सच्चे नेता हैं। उन्होंने टीम में सांस्कृतिक विविधता और समावेशिता की भावना को बढ़ाया। उन्होंने कभी भी अपने आलोचकों से बदला लेने की कोशिश नहीं की, बल्कि प्रदर्शन से जवाब दिया।


यह जीत अश्वेतों की जीत है

यह जीत सिर्फ दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम की नहीं, बल्कि उन करोड़ों अश्वेत नागरिकों की भी है जो सालों तक भेदभाव झेलते रहे। उन्हें आज एक ऐसे ‘लिटिल बिग मैन’ पर गर्व है, जिसने उनकी आवाज़ को क्रिकेट के मैदान से दुनिया तक पहुंचा दिया।

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