Rekha Gupta सरकार का एक फैसला, पेट्रोल-पंप मालिकों के छूटने लगे पसीने, भागे-भागे पहुंचे हाईकोर्ट, कहा- हमें क्यों…?
Rekha Gupta सरकार द्वारा लिया गया एक नया प्रशासनिक फैसला पेट्रोल पंप मालिकों पर भारी पड़ता दिख रहा है। नई नीति या नियमों से नाराज होकर कई पंप संचालक हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि सरकार की कार्रवाई एकतरफा है और सिर्फ उन्हें ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। अदालत में दाखिल याचिका में न्याय की मांग की गई है, जबकि सरकार का पक्ष है कि यह कदम पारदर्शिता और जनहित में उठाया गया है। मामला अब अदालत के पाले में है और अगली सुनवाई का सबको इंतजार है।
दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार के फैसले देश की राजधानी में हड़कंप मचा हुआ है. सरकार के नए फैसले से शहर भर में फैले पेट्रोल-पंप मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है. सरकार का फैसला है कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाली गाड़ियों को तेल देने वाले पेट्रोल पंप पर सरकार जुर्माना लगाएगी. इतना सुनते ही सभी पेट्रोल पंप के मालिकों में हड़कंप मच गया. उन्होंने सरकार के इस फैसले से नराजगी जताई है. पेट्रोल पंप संचालकों ने सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. साथ ही उन्होंने सरकार के फैसले के कुछ अंग से सहमति जताई है. चलिए जानते हैं पूरा मामाला.

दिल्ली पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार के उस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि यदि पेट्रोल पंप संचालक ऐसे वाहनों को ईंधन भरते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. उनका कहना है कि हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, मगर मालिकों और चालकों तक ही सीमित रहना चाहिए, आप इसे पेट्रोल पंप संचालकों तक नहीं बढ़ा सकते हैं.

सरकार के साथ मगर
पेट्रोल-पंप संचालकों की तरफ से याचिका दायर करने वाले वकील आनंद वर्मा ने कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192(1) के तहत केवल वाहन मालिक या चालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, न कि ईंधन आपूर्ति करने वालों के खिलाफ. उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप संचालकों की जिम्मेदारी केवल ईंधन भरने तक सीमित है. वे यह जांच नहीं कर सकते कि कौन-सा वाहन EOL की श्रेणी में आता है या नहीं. ऐसे में सरकार का ये आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का दायित्व थोपने जैसा है.
हाईकोर्ट से ही उम्मीद

पेट्रोल पंप संचालकों ने यह भी कहा है कि वे सरकार की नई पर्यावरण नीति का समर्थन करते हैं. उसके क्रियान्वयन के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें इस तरह दंडित करना तर्कसंगत नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना है कि पेट्रोल पंप मालिक न तो ट्रैफिक पुलिस हैं, न ही आरटीओ अधिकारी, ऐसे में वाहन की उम्र और कानूनी वैधता की जांच करना उनके कार्यक्षेत्र से बाहर है. अब इस याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई की उम्मीद की जा रही है, जिससे हजारों पेट्रोल पंप संचालकों की चिंता का समाधान मिल सके.