Bihar Chunav वोटर वेरिफिकेशन पर EC का यूटर्न, विपक्ष की मांग पूरी, अब 9 को नहीं होगा बिहार बंद?
बिहार चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पर यू-टर्न लिया है। विपक्ष की आपत्तियों के बाद EC ने बदलाव किए हैं, जिससे 9 जुलाई को होने वाला बिहार बंद अब रद्द हो सकता है। यह फैसला विपक्ष की बड़ी जीत माना जा रहा है।

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन मामले में चुनाव आयोग की तरफ से लोगों को बड़ी राहत मिली है. अब कागजात के बगैर भी गणना प्रपत्र जमा करा सकते हैं. विपक्ष लगातार चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन के मामले का विरोध कर रहा था. इसी बीच इलेक्शन कमीशन ने यूटर्न लेते हुए फैसला लिया है कि अब गणना पत्र बिना दस्तावेजों के भी भरा जा सकेगा. जिसके बाद निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी यानी बीएलओ स्थानीय जांच या अन्य साक्ष्य के आधार पर फैसला करेंगे. ऐसे में विपक्ष के 9 जुलाई को बिहार बंद के ऐलान पर सवाल उठ रहा है.
इलेक्शन कमीशन से मिली जानकारी के मुताबिक, अब बिना दस्तावेज के गणना प्रपत्र जमा हो सकेगा. अगर मतदाता आवश्यक दस्तावेज जमा करते हैं तो आसानी होगी. साथ ही नवीनतम फोटो भी उपलब्ध नहीं है तो बगैर फोटो के भी गणना प्रपत्र भर कर जमा कर सकते हैं. पहले 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम दर्ज नहीं है उन्हें जन्मतिथि और जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेज देने होंगे. 26 जुलाई तक ऑनलाइन या ऑफलाइन ये गणना फॉर्म हर हाल में मतदाताओं को भरकर जमा करना होगा.

क्या 9 जुलाई को बंद होगा बिहार
बता दें कि, हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में अगले सप्ताह चक्का जाम जाम करेगा. उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि 9 जुलाई को चक्का जाम किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि हमने विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, जो कमजोर वर्गों को उनके मताधिकार से वंचित करने की साजिश है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह डर है कि राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) आगामी विधानसभा चुनाव हार सकता है.

सुप्रीम कोर्ट कर पहुंचा मामला

गौरतलब है कि, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया था. चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में संशोधन का एलान किया है, जिसका कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. महुआ ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है. उनके अलावा सोशल एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
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