Heatstroke vs Heat Exhaustion: क्या फर्क है दोनों में? जानिए गर्मी से जुड़ी इन दो बड़ी समस्याओं को समझने और बचाव के तरीके
भारत में इन दिनों भीषण गर्मी से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। तापमान कई इलाकों में 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। ऐसे में बाहर निकलना जहां एक ओर एक मजबूरी बन गया है, वहीं दूसरी ओर यह सेहत के लिए गंभीर खतरा भी बन चुका है। गर्मी में सबसे आम लेकिन खतरनाक समस्याओं में हीट एक्जॉशन (Heat Exhaustion) और हीटस्ट्रोक (Heatstroke) शामिल हैं।
हालांकि लोग इन दोनों को एक जैसा समझते हैं, लेकिन हकीकत में ये दो बिल्कुल अलग स्थितियां हैं। दोनों का इलाज और इनसे बचाव के तरीके भी अलग हैं। इसलिए यह समझना बेहद जरूरी है कि इन दोनों में अंतर क्या है और अगर आपको या आपके किसी परिचित को इनमें से कोई लक्षण दिखे, तो क्या करना चाहिए।
क्या है हीट एक्जॉशन (Heat Exhaustion)?
हीट एक्जॉशन तब होता है जब शरीर बहुत अधिक गर्मी में रहकर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता और शरीर से पसीने के ज़रिए पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की भारी मात्रा में कमी हो जाती है। यह स्थिति आमतौर पर अधिक देर तक धूप में रहने, शारीरिक मेहनत करने और पर्याप्त पानी न पीने के कारण होती है।
हीट एक्जॉशन के लक्षण:
- अत्यधिक पसीना आना
- सिरदर्द और चक्कर आना
- जी मिचलाना या उल्टी जैसा लगना
- थकावट और कमजोरी महसूस होना
- त्वचा का ठंडा और चिपचिपा हो जाना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- तेज़ या धीमी नाड़ी
- मूर्छा जैसा महसूस होना

क्या करें?
- पीड़ित को तुरंत छांव या ठंडी जगह पर ले जाएं
- शरीर को ठंडा करने के लिए गीले कपड़े या स्पंज का इस्तेमाल करें
- पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स वाला पेय दें
- तंग कपड़ों को ढीला करें और शरीर को खुला रखें
- अगर 30 मिनट में सुधार न हो, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं
क्या है हीटस्ट्रोक (Heatstroke)?
हीटस्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है जो तब होती है जब शरीर का तापमान 104°F (लगभग 40°C) या उससे अधिक हो जाता है और शरीर की कूलिंग प्रणाली (पसीने द्वारा) काम करना बंद कर देती है।
इस स्थिति में शरीर पूरी तरह ओवरहीट हो जाता है और इससे मस्तिष्क, दिल, गुर्दे और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है। अगर समय रहते इलाज न मिले, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
हीटस्ट्रोक के लक्षण:
- शरीर का तापमान 104°F या उससे अधिक
- पसीना नहीं आना (या बहुत कम आना)
- त्वचा का लाल, गर्म और सूखा होना
- भ्रम, गुस्सा या चक्कर
- बोलने में कठिनाई
- दौरे (seizures) आना
- मूर्छा या बेहोशी
- उलझन या बेहोशी की स्थिति
क्या करें?
- तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं या नजदीकी अस्पताल ले जाएं
- शरीर को जल्दी से ठंडा करने की कोशिश करें
- बर्फ से सेक करें
- ठंडे पानी की पट्टियां लगाएं
- ठंडी हवा या पंखा चलाएं
- पीड़ित को होश में आने पर भी केवल डॉक्टर की निगरानी में रखें
ध्यान रखें: हीटस्ट्रोक का इलाज घर पर नहीं किया जा सकता। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है।

Heatstroke और Heat Exhaustion में क्या है अंतर?
तत्व | हीट एक्जॉशन | हीटस्ट्रोक |
---|---|---|
तापमान | सामान्य या थोड़ा बढ़ा हुआ | 104°F (40°C) या उससे अधिक |
पसीना | अत्यधिक पसीना | बहुत कम या बिल्कुल नहीं |
त्वचा | ठंडी, चिपचिपी | गर्म, सूखी या लाल |
मानसिक स्थिति | थकान, चक्कर | भ्रम, बोलने में दिक्कत, बेहोशी |
प्राथमिक उपचार | घर पर किया जा सकता है | मेडिकल इमरजेंसी, तुरंत अस्पताल ले जाना आवश्यक |
खतरा स्तर | मध्यम | अत्यधिक, जानलेवा |
गर्मी से इन खतरों से कैसे बचें? अपनाएं ये सावधानियां
गर्मी का सामना करना कठिन जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। यदि आप कुछ ज़रूरी सावधानियां रखेंगे तो हीटस्ट्रोक और हीट एक्जॉशन जैसे जोखिम से बचा जा सकता है।
1. खुद को हाइड्रेट रखें
- दिनभर भरपूर मात्रा में पानी पिएं
- नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी और ओआरएस का सेवन करें
- प्यास न लगे तब भी थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें
2. धूप में बाहर निकलने से बचें
- दोपहर 12 से 4 बजे तक बाहर जाने से बचें
- अगर निकलना जरूरी हो, तो छाता, टोपी और धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें
- हल्के और सूती कपड़े पहनें जो शरीर को ठंडा रखें
3. सही खानपान अपनाएं
- भारी, तैलीय और मसालेदार खाने से बचें
- मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी खाएं
- कैफीन और शराब से परहेज करें क्योंकि ये डिहाइड्रेशन बढ़ाते हैं

4. घर को ठंडा बनाए रखें
- पर्दे और खिड़कियां बंद रखें
- सुबह और शाम ताजगी के लिए वेंटिलेशन बनाएं
- पंखा, कूलर या AC का संतुलित उपयोग करें
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