Monday, July 7, 2025

युद्ध की चिंता: भारत-पाक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर असर | War Anxiety & Mental Health

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क्या हम युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? जानिए कैसे ये चिंता आपकी मेंटल हेल्थ पर डाल रही असर

सार:

War Anxiety : इन दिनों ये सवाल कई लोगों के मन में है – क्या भारत-पाक तनाव हमें युद्ध की ओर ले जा रहा है? युद्ध हुआ तो उसका अंजाम क्या होगा? यह चिंता बहुत आम है लेकिन अगर इस पर काबू न पाया गया तो यह मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।


तनाव बढ़ा रहा युद्ध का डर: हमारी मानसिक स्थिति पर मंडरा रहा नया खतरा

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने आम नागरिकों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। कुछ लोग सख्त जवाब की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह डर भी सता रहा है कि युद्ध सिर्फ दुश्मन को नहीं, बल्कि हमें भी तबाह कर सकता है।

यह भावनात्मक ऊहापोह, चिंता और भय — मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार ‘वॉर एंग्जाइटी’ (युद्ध से जुड़ी चिंता) को लेकर अलर्ट कर रहे हैं।

Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान तनाव से मेंटल हेल्थ पर क्या असर? - How War  Effects Mental Health Of People Know Here The Side Effects

क्या है ‘वॉर एंग्जाइटी’? विशेषज्ञों की चेतावनी

पुणे के एक निजी अस्पताल में कार्यरत क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. रविंद्र अस्थाना कहते हैं कि संभावित युद्ध की लगातार चर्चा, मीडिया की 24/7 कवरेज और सोशल मीडिया की ओवरएक्सपोजर, स्ट्रेस और एंग्जाइटी को गंभीर रूप से ट्रिगर कर सकती है।

“संघर्ष क्षेत्र से दूर रहने वाले लोग भी इस तनाव की चपेट में आ सकते हैं,” — डॉ. रविंद्र अस्थाना

वे बताते हैं कि मस्तिष्क में तनाव को नियंत्रित करने वाला सिस्टम अत्यधिक भावनात्मक और डरावनी खबरों से असंतुलित हो सकता है। इससे नींद में कमी, घबराहट, और लॉन्ग टर्म में PTSD (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


बच्चों पर गंभीर असर: डरावने वीडियो और अफवाहों से बचाना जरूरी

10 वर्षीय रश्मि (परिवर्तित नाम) इस तनाव की मिसाल बन चुकी है। हाल की घटनाओं और स्कूल में हुई चर्चा के बाद अब वह छोटी-छोटी आवाजों से चौंक जाती है और परमाणु युद्ध की कल्पनाओं से डर जाती है।

उसके माता-पिता बताते हैं कि सोशल मीडिया पर देखे गए परमाणु हमलों के वीडियो ने उसके मन में डर की गहरी छाप छोड़ी है।

“माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को सुरक्षा का एहसास दिलाएं और डरावनी सूचनाओं की बजाय उनसे खुलकर बात करें।” — डॉ. अस्थाना


युद्ध की आशंका से कैसे निपटें? विशेषज्ञों की सलाह

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान समय में खुद को मानसिक रूप से स्थिर रखना बेहद आवश्यक है। इसके लिए कुछ व्यवहारिक उपाय दिए जा रहे हैं:

मेडिटेशन करें:

रोजाना 10-15 मिनट ध्यान लगाएं। इससे मस्तिष्क को शांति मिलती है।

सोशल मीडिया डिटॉक्स:

भ्रामक या डरावने कंटेंट से बचने के लिए सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाएं।

सकारात्मक बातचीत:

परिवार और दोस्तों से बात करें। साथ ही बच्चों से डर के बजाय भरोसे की बात करें।

विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लें:

केवल ऑथेंटिक न्यूज पोर्टल्स या सरकारी सूत्रों से ही खबरों पर भरोसा करें।


अंत में: डर को न पालें, जागरूक रहें

चिंता और डर को समझना जरूरी है, लेकिन उसमें डूब जाना नहीं। जब हालात तनावपूर्ण हों, तो मानसिक संतुलन बनाए रखना और परिवार के साथ सकारात्मक माहौल बनाना ही सबसे जरूरी है।


नोट:

यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के इंटरव्यू के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी मानसिक समस्या के लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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