Goa Health Minister ‘ज़ुबान पर काबू रखना सीखो’, डॉक्टर पर भड़के तुरंत किया सस्पेंड, जानिए क्या रही वजह?

गोवा में एक वायरल वीडियो ने सियासी और चिकित्सा हलकों में हलचल मचा दी है। स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) के एक सीनियर डॉक्टर को फटकार लगाते और उन्हें तुरंत सस्पेंड करने का आदेश देते दिखाई दे रहे हैं।
इस पूरे मामले ने न सिर्फ मेडिकल समुदाय को चौंका दिया है, बल्कि राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है। आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला, डॉक्टर पर क्या आरोप लगे और स्वास्थ्य मंत्री ने इतनी सख्ती क्यों दिखाई।

कहां और कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह मामला गोवा की राजधानी पणजी के नज़दीक बाम्बोलिम स्थित गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) का है। शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे अस्पताल के औचक निरीक्षण पर पहुंचे थे। निरीक्षण के दौरान उन्हें एक मरीज द्वारा शिकायत मिली कि GMCH का एक वरिष्ठ डॉक्टर मरीज का इलाज करने से इनकार कर रहा है और उनके साथ दुर्व्यवहार भी कर रहा है।

जैसे ही यह शिकायत मंत्री राणे तक पहुंची, उन्होंने मौके पर ही संबंधित डॉक्टर को बुलाया और फटकार लगाते हुए कहा, “ज़ुबान पर काबू रखना सीखो।” इसी दौरान वीडियो रिकॉर्ड किया गया जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वायरल वीडियो में क्या दिखा?
वीडियो में मंत्री डॉक्टर से बेहद सख्त लहजे में बात करते नजर आते हैं। वह डॉक्टर को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि वह मरीजों के साथ इस तरह का बर्ताव बर्दाश्त नहीं करेंगे। फिर वह तुरंत डॉक्टर को सस्पेंड करने का आदेश देते हैं।
वीडियो में यह भी दिखता है कि आसपास मौजूद अस्पताल स्टाफ और अधिकारी मंत्री के रुख से हैरान हैं। वीडियो सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गया और गोवा कांग्रेस ने इसे तुरंत एक राजनीतिक मुद्दा बना लिया।
मरीज की शिकायत क्या थी?

जानकारी के मुताबिक, मंत्री को मरीज की शिकायत फोन पर मिली थी। मरीज ने आरोप लगाया था कि डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया और उसके साथ अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया। मरीज ने यह भी बताया कि डॉक्टर ने उनकी बात तक सुनने से इनकार कर दिया और अभद्रता की।
इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने तुरंत एक्शन लेने का फैसला किया और मौके पर ही डॉक्टर को सस्पेंड करने का आदेश दे दिया।
मंत्री का पक्ष: मरीजों से कोई समझौता नहीं
इस घटना के बाद जब मीडिया ने मंत्री से इस सख्त कार्रवाई को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा,
“हमारे अस्पतालों में मरीजों के साथ किसी भी तरह की दुर्व्यवहार की कोई जगह नहीं है। अगर कोई डॉक्टर मरीज का इलाज नहीं करना चाहता या दुर्व्यवहार करता है, तो वह इस सेवा के योग्य नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी आर्थिक या सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हों।
कांग्रेस ने किया हमला
वीडियो सामने आते ही गोवा कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा,
“स्वास्थ्य मंत्री का यह व्यवहार शर्मनाक है। डॉक्टर के साथ इस तरह की सार्वजनिक बदसलूकी पूरी स्वास्थ्य प्रणाली का अपमान है।”
कांग्रेस नेताओं ने मंत्री के रवैये को “तानाशाही” करार दिया और मुख्यमंत्री से मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
डॉक्टरों और मेडिकल यूनियन का रोष
डॉक्टर को खुलेआम फटकार लगाने और बिना जांच के सस्पेंड करने की कार्रवाई पर डॉक्टर समुदाय ने भी नाराज़गी जताई है। मेडिकल एसोसिएशनों ने इसे “मानसिक उत्पीड़न” बताया है।
गोवा मेडिकल यूनियन (GMU) के अध्यक्ष ने बयान में कहा,
“कोई भी निर्णय लेने से पहले एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस तरह सार्वजनिक रूप से किसी डॉक्टर को अपमानित करना अस्वीकार्य है।”
उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस तरह के व्यवहार को जारी रखेगी, तो डॉक्टरों का मनोबल टूटेगा और इसका असर मरीजों की देखभाल पर भी पड़ेगा।
क्या है सरकार की प्रतिक्रिया?
सरकारी सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री की मंशा केवल यह सुनिश्चित करना था कि मरीजों के साथ कोई अन्याय न हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच की जाएगी और यदि डॉक्टर निर्दोष पाए जाते हैं तो कार्रवाई को वापस भी लिया जा सकता है।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस वीडियो को लेकर आम जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग मंत्री की त्वरित कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि सार्वजनिक रूप से किसी को यूं फटकारना और बिना जांच के सस्पेंड करना अनुचित है।