पानीपत: हरियाणा में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां जिंदा लोगों को मृत दिखाकर योजनाओं का लाभ उठाया गया। अब तक की जांच में 3600 फर्जी मामले उजागर हुए हैं और लगभग 10 करोड़ रुपये के गबन का अनुमान है। इस गंभीर मामले ने न्यायपालिका तक का दरवाजा खटखटाया है।
हरियाणा बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन बोर्ड में बड़ा फर्जीवाड़ा
यह मामला हरियाणा बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से जुड़ा है। श्रमिकों के नाम पर फर्जी कार्ड बनाकर योजनाओं का लाभ लिया गया। एडवोकेट सुभाष चंद्र पाटिल का दावा है कि इस गड़बड़झाले में 20,000 से अधिक फर्जी कार्ड बनाए गए। इस फर्जीवाड़े में नोटरी, श्रम विभाग के कर्मचारी और अधिकारी शामिल पाए गए हैं।
योजनाओं के नाम पर गबन
श्रमिकों को दी जाने वाली योजनाओं जैसे मातृत्व लाभ, बच्चों की शिक्षा, कन्यादान योजना, सिलाई मशीन योजना और औजार खरीदने जैसी योजनाओं का दुरुपयोग किया गया। यहां तक कि मृत घोषित करके 2 लाख रुपये की सहायता राशि भी ली गई। जांच में यह खुलासा हुआ कि दलालों ने अफसरों की मिलीभगत से राशि निकाली।
कमीशन का खेल
शिकायतकर्ता का आरोप है कि बोर्ड से जितनी राशि निकाली जाती थी, उसका 30 से 50 प्रतिशत कमीशन दलालों को मिलता था। पानीपत श्रम विभाग के तत्कालीन सहायक कल्याण अधिकारी नरेंद्र कुमार सिंघल और सहायक निदेशक हरेंद्र मान के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है।
हाईकोर्ट में पहुंचा मामला
एडवोकेट सुभाष चंद्र ने 2020 में सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद सरकार ने एक कमेटी का गठन किया, जिसने एनके सिंघल, हरेंद्र मान और 15 अन्य कर्मचारियों को दोषी ठहराया। एसआईटी की जांच में 3600 फर्जी मामलों का खुलासा हुआ, जिसमें 10 करोड़ रुपये का गबन सामने आया। इसके बावजूद कार्रवाई में देरी होने पर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।
निष्कर्ष
इस मामले ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल, हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच तेज की जा रही है। उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।