Akhilesh yadav की एक तस्वीर से मच गया सियासी तूफान, दलित वोटों पर तीनों पार्टियों की खींचतान तेज
उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों एक तस्वीर को लेकर उबाल पर है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और डॉ. भीमराव आंबेडकर की साझा तस्वीर ने पूरे सियासी समीकरणों को झकझोर दिया है। जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस तस्वीर को बाबा साहेब का अपमान बता रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने आ गई है। सबका निशाना सपा और अखिलेश यादव पर है।
कौन-सी है वो तस्वीर जिसने मचा दिया बवाल?
लखनऊ में सपा की लोहिया वाहिनी की एक बैठक के दौरान पार्टी प्रदेश सचिव लालचंद गौतम ने अखिलेश यादव को एक तस्वीर भेंट की। इस फोटो में आधा चेहरा अखिलेश यादव का है और आधा बाबा साहेब आंबेडकर का। इस तस्वीर को सपा कार्यालय के बाहर होर्डिंग के रूप में भी लगाया गया। यहीं से विवाद की चिंगारी भड़की और अब तक थमी नहीं है।
बीजेपी ने बताया अपमान, प्रदर्शन से लेकर आरोपों की झड़ी
बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जो दलित समाज के बड़े चेहरे माने जाते हैं, ने इस तस्वीर पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि कोई कैसे अपने चेहरे को बाबा साहेब के साथ जोड़ सकता है? यही नहीं, बीजेपी ने सपा पर प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने और दलित विरोधी मानसिकता रखने का आरोप भी दोहराया।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इसे राणा सांगा के अपमान के बाद दूसरा बड़ा ‘दलित अपमान’ करार दिया।
कन्नौज में असीम अरुण के नेतृत्व में हुआ विरोध
अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज में मंत्री असीम अरुण ने खुद सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने सपा अध्यक्ष पर दलित समाज के खिलाफ मानसिकता रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव के “खून में ही दलित विरोध” है।
बीएसपी भी हुई हमलावर, आकाश आनंद ने बोला हमला
सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बीएसपी भी इस पूरे मामले पर चुप नहीं बैठी। मायावती के भतीजे और पार्टी के उभरते नेता आकाश आनंद ने कहा कि सपा ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर अक्षम्य अपराध किया है। उन्होंने सपा पर सोची-समझी साजिश रचने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।
Akhihlesh yadavकी रणनीति में दलित वोट की बड़ी भूमिका
लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव अब विधानसभा की ओर नजरें गड़ाए हुए हैं। उनका मानना है कि लोकसभा जीतने वाली पार्टी विधानसभा भी जीतती है। इसीलिए वे दलितों को साथ लाने की हर संभव कोशिश में लगे हैं। सपा की ओर से ‘पीडीए’ (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण को आगे बढ़ाया जा रहा है।
बीएसपी का घरवापसी अभियान, अपनी ज़मीन बचाने की कोशिश
मायावती की पार्टी बीएसपी को इस बात का अंदेशा है कि सपा और बीजेपी दोनों दलित वोट बैंक को खींचने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए बीएसपी ने पुराने नेताओं की घरवापसी कराई है और संगठन को फिर से मजबूत करने में जुट गई है।
रामजी लाल सुमन का बयान भी बना सपा के लिए नई चुनौती
सपा सांसद रामजी लाल सुमन के राणा सांगा पर दिए विवादित बयान ने पार्टी को एक और मोर्चे पर घेर लिया है। हालांकि, पार्टी उनके साथ खड़ी नजर आ रही है। विपक्ष इस बयान को भी दलित विरोधी रंग देकर हमलावर हो रहा है।
चुनाव तक जारी रहेगा दलितों को रिझाने का खेल
उत्तर प्रदेश में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और दलित वोट एक बार फिर सत्ता की चाबी बन गए हैं। ऐसे में हर पार्टी दलितों को अपनी ओर खींचने की पुरजोर कोशिश कर रही है। फोटो विवाद इसका ताज़ा उदाहरण है। आने वाले दिनों में ऐसे और कई सियासी घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।
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