Monday, July 7, 2025

राणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन का विवादित बयान, जानें कौन थे मेवाड़ के वीर योद्धा?

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Controversial statement of SP MP Ramji Lal Suman on Rana Sanga, know who was the brave warrior of Mewar?

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने मेवाड़ के महान शासक राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया, जिसके बाद बवाल मच गया है। जानिए कौन थे राणा सांगा और उनके बारे में पूरा विवाद।


राणा सांगा पर सपा सांसद का विवादित बयान

समाजवादी पार्टी के सासंद रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को लेकर विवादित टिप्पणी की, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। उन्होंने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा और दावा किया कि बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर भारत आया था। उनके इस बयान के बाद से सोशल मीडिया पर विरोध बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि राणा सांगा कौन थे और उनके बारे में यह विवाद क्यों खड़ा हुआ है।

राणा सांगा: मेवाड़ के वीर योद्धा

राणा सांगा, जिनका असली नाम संग्राम सिंह था, मेवाड़ के शासक राणा रायमल के पुत्र थे। उनका जन्म 1484 ईस्वी में हुआ था और उन्होंने 1509 से 1527 तक शासन किया। राणा सांगा भारतीय इतिहास के सबसे वीर योद्धाओं में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने कई युद्ध लड़े और अपने शासनकाल में मेवाड़ को शक्तिशाली बनाया।

राणा सांगा की वीरता और साहस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि युद्ध में उनका एक हाथ कट गया था, एक आंख चली गई थी और उनके शरीर पर 80 से अधिक गहरे घाव थे। इसके बावजूद वे अंतिम सांस तक अपने राज्य और स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे।

बाबर और राणा सांगा के बीच युद्ध

राणा सांगा का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध 1527 में बाबर के खिलाफ खानवा के मैदान में लड़ा गया था। इससे पहले 21 फरवरी, 1527 को बयाना के युद्ध में बाबर को राणा सांगा ने पराजित किया था। लेकिन खानवा की लड़ाई में बाबर ने तोपखाने और आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जबकि राजपूत तलवारों से लड़ रहे थे। इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हो गए, लेकिन उनकी वीरता इतिहास में अमर हो गई।

राणा सांगा की हार के बावजूद, उन्हें भारतीय इतिहास के महानतम योद्धाओं में से एक माना जाता है।

राणा सांगा की मृत्यु

खानवा के युद्ध के बाद भी राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की योजना बनाई, लेकिन 1528 में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उनके कुछ सरदारों ने उन्हें बाबर के खिलाफ दोबारा युद्ध करने से रोकने के लिए जहर दे दिया था। उनकी मृत्यु के बाद मेवाड़ की बागडोर राणा उदय सिंह के हाथों में आई, जो आगे चलकर महाराणा प्रताप के पिता बने

राणा सांगा पर रामजी लाल सुमन के बयान से विवाद क्यों?

बीते 21 मार्च, 2024 को समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि बाबर भारत में राणा सांगा के निमंत्रण पर आया था और इस कारण से उन्होंने राणा सांगा को ‘गद्दार’ करार दिया।

रामजी लाल सुमन ने कहा:
“बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर भारत आया था। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। हर बार कहा जाता है कि भारत के मुसलमानों के डीएनए में बाबर है। भारत के मुसलमान मुहम्मद साहब (पैगंबर मुहम्मद) को अपना आदर्श मानते हैं और सूफी परंपरा का पालन करते हैं। मेरा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।”

रामजी लाल सुमन के बयान का विरोध क्यों हो रहा है?

रामजी लाल सुमन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू हो गया है। कई इतिहासकार और राजपूत समुदाय के लोग इस बयान को इतिहास के साथ छेड़छाड़ मान रहे हैं। उनका कहना है कि राणा सांगा एक महान योद्धा थे, जिन्होंने कभी किसी बाहरी आक्रमणकारी को आमंत्रित नहीं किया था, बल्कि उन्होंने भारत में विदेशी शासन को रोकने के लिए संघर्ष किया था।

राजनीतिक दलों और राजपूत संगठनों ने रामजी लाल सुमन से माफी की मांग की है और उनके बयान को वापस लेने की अपील की है।

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