भारतीय नौसेना ने अपनी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण भारत की दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को प्रमाणित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। के-4 मिसाइल का यह परीक्षण भारतीय नौसेना के बढ़ते सामरिक प्रभाव और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का स्पष्ट प्रमाण है।
आईएनएस अरिहंत और अरिघाट की ताकत
भारतीय नौसेना के शस्त्रागार में इस समय दो परमाणु पनडुब्बियां, आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट, शामिल हैं। ये दोनों पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइलें दागने की क्षमता रखती हैं। आईएनएस अरिघाट को हाल ही में अगस्त 2024 में विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर में शामिल किया गया था। इसके अलावा, एक और पनडुब्बी का निर्माण चल रहा है, जो अगले साल नौसेना में शामिल हो सकती है।
दूसरी-स्ट्राइक क्षमता का प्रमाण
के-4 मिसाइल परीक्षण भारत की दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को साबित करता है। यह क्षमता भारत को समुद्र के अंदर से जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है, जिससे दुश्मनों के लिए किसी भी आक्रमण के बाद बच पाना असंभव हो जाता है। इस परीक्षण ने भारत की रक्षा प्रणाली को और मजबूत किया है।
नौसेना की भविष्य की योजनाएं
भारतीय नौसेना इस सफलता के बाद अन्य मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण पर भी काम कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण न केवल भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की शक्ति और प्रभाव को भी दर्शाता है।