Monday, July 7, 2025

भारत को पानी रोकने पर पाकिस्तान की खुली धमकी, शहबाज और बिलावल ने दिया उग्र बयान

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Pakistan openly threatens India for stopping water, Shahbaz and Bilawal give fiery statement

पाकिस्तान की भारत को धमकी: “पानी रोकने की जुर्रत ना करे भारत, नहीं तो अंजाम भुगतेगा”

पहलगाम हमले के बाद भारत के एक्शन से पाकिस्तान में मची खलबली

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान की ओर जा रही नदियों के जल प्रवाह को सीमित करने की योजना बनाई है। यह कदम जहां भारत की ओर से सख्त संदेश माना जा रहा है, वहीं पाकिस्तान में इस फैसले को लेकर घबराहट और बौखलाहट दोनों दिखाई दे रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर भारत ने पानी रोकने की कोशिश की, तो उसका जवाब पाकिस्तान की सेना मजबूती से देगी।


शहबाज शरीफ बोले – “हम पानी रोकने नहीं देंगे, सेना है तैयार”

शहबाज शरीफ ने अपने बयानों में न सिर्फ भारत पर सीधा आरोप लगाया बल्कि यह भी कहा कि, “अगर किसी ने पाकिस्तान के पानी के साथ खिलवाड़ किया तो इसका करारा जवाब दिया जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की जनता और सेना इस मामले में एकजुट हैं और अपने हक के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री का कहना था, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा पर समझौता नहीं करेंगे।”


बिलावल भुट्टो का विवादित बयान: “या तो सिंधु में पानी बहेगा, या खून”

इस मुद्दे पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने उग्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि, “सिंधु दरिया हमारा है, और हमारा ही रहेगा। अगर किसी ने हमारी हिस्सेदारी छीनी तो इस नदी में या तो पानी बहेगा या फिर उसका खून जो ऐसा करने की हिम्मत करेगा।”

बिलावल ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की जनता सिंधु नदी को सिर्फ एक जल स्रोत नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के रूप में देखती है।


‘सिंधु जल संधि’ पर भारत का पुनर्विचार और पाकिस्तान की चिंता

भारत की ओर से यह इशारा कि सिंधु जल संधि की समीक्षा की जा सकती है, पाकिस्तान को चुभ रहा है। गौरतलब है कि यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसके तहत भारत कुछ सीमित अधिकारों के साथ पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग करता है जबकि शेष प्रवाह पाकिस्तान को जाता है।

अब भारत अगर संधि पर पुनर्विचार करता है, तो यह पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर सीधा असर डाल सकता है, जो पहले ही आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है।


पाकिस्तान की पानी पर चिंता या रणनीतिक सियासत?

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की यह तीव्र प्रतिक्रिया केवल जल संकट को लेकर नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक सियासत है। आतंकी घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने और आंतरिक असंतोष को भटकाने के लिए पानी के मुद्दे को उछालना पाकिस्तान की पुरानी रणनीति रही है।


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Source – india Tv
Written by – Pankaj Chaudhary

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