हिमाचल के पूह में भारतीय सेना की पहल, शुरू हुआ ‘वॉइस ऑफ किन्नौर’ सामुदायिक रेडियो स्टेशन
दुर्गम इलाकों में भी गूंजेगी अब स्थानीय आवाजें
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के पूह गांव से अब एक नई आवाज उठेगी — और वह होगी ‘वॉइस ऑफ किन्नौर’। भारतीय सेना ने एक सराहनीय पहल करते हुए इस सामुदायिक रेडियो स्टेशन की शुरुआत की है, जो न सिर्फ सूचना का सशक्त माध्यम बनेगा बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी जीवंत बनाए रखेगा।
ऑपरेशन सद्भावना के अंतर्गत सेना की खास पहल
‘वॉइस ऑफ किन्नौर’ को सेना की फ्लैगशिप योजना ऑपरेशन सद्भावना के तहत स्थापित किया गया है। इस रेडियो स्टेशन का उद्देश्य केवल सूचना देना भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच बनेगा जहां स्थानीय लोग अपनी बात खुलकर कह सकेंगे। यहां से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में स्थानीय त्योहारों, लोकगीतों, पारंपरिक कहानियों और युवाओं की उपलब्धियों को विशेष स्थान मिलेगा।
लोगों की आवाज, लोगों के लिए
इस स्टेशन से न केवल मनोरंजन और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम चलेंगे, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि संबंधी उपयोगी जानकारी भी साझा की जाएगी। सेब के किसान, महिलाएं, युवाओं और स्थानीय स्कूलों को यह रेडियो एक ऐसा मंच देगा जहां वे अपने अनुभव और पहल साझा कर सकें।
उद्घाटन के मौके पर बोले सेना प्रमुख – “भरोसे का सेतु है यह रेडियो”
रेडियो स्टेशन का उद्घाटन पूह के त्रिपीक्स स्कूल में हुआ, जहां इसे स्थापित किया गया है। उद्घाटन समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता, जीओसी-इन-सी सेंट्रल कमांड ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण करार देते हुए कहा:
“’वॉइस ऑफ किन्नौर’ भारतीय सेना और हिमाचल प्रदेश के लोगों के बीच सहयोग, भरोसे और साझेदारी का प्रतीक है। इस मंच के जरिए स्थानीय समुदायों की आवाज अब देशभर में गूंजेगी।”
सामुदायिक भागीदारी की नई मिसाल
स्थानीय प्रतिनिधियों और निवासियों ने सेना का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्टेशन न केवल सूचनाओं का पुल बनेगा, बल्कि इससे युवाओं में आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की भावना भी बढ़ेगी। रेडियो के ज़रिए स्थानीय स्कूलों, सांस्कृतिक संस्थानों और एनजीओ के साथ मिलकर सामूहिक प्रयासों को गति देने की योजना भी बनाई जा रही है।
सीमावर्ती क्षेत्र में एक सशक्त कदम
हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में इस तरह का सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू करना, न केवल सूचनात्मक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी एक क्रांतिकारी कदम है। यह प्रयास यह साबित करता है कि सेना सिर्फ सुरक्षा ही नहीं करती, बल्कि सामाजिक विकास में भी कंधे से कंधा मिलाकर चलती है।