Raid 2 Review: कमजोर स्क्रिप्ट के बावजूद अजय-रितेश की जोड़ी ने बचाई फिल्म की इज्जत
01 मई को रिलीज हुई ‘रेड 2’ से दर्शकों को काफी उम्मीदें थीं। पिछली फिल्म की सफलता ने इसे एक बड़ी फ्रेंचाइजी में तब्दील कर दिया, लेकिन क्या यह सीक्वल पहली फिल्म की बराबरी कर पाता है? जानिए इस रिव्यू में।
पुराने कलेवर में नई पॉलिश, लेकिन दम नहीं
‘रेड’ जैसी पक्की स्क्रिप्ट और रियलिस्टिक टोन वाली फिल्म का दूसरा भाग बनाना जोखिम से भरा था। ‘रेड 2’ में निर्देशक राज कुमार गुप्ता ने इस बार राजनीति, भ्रष्टाचार और पावर गेम को केंद्र में रखा है, लेकिन कहानी उतनी प्रभावशाली नहीं बन पाई है।
अजय देवगन एक बार फिर IRS ऑफिसर अमय पटनायक के किरदार में लौटे हैं। उनका आत्मविश्वास और संयम स्क्रीन पर झलकता है, लेकिन इस बार असली सरप्राइज पैकेज रितेश देशमुख हैं, जिन्होंने ‘दादा मनोहर भाई’ के किरदार में जान डाल दी है।
कहानी में दम है पर प्रस्तुति ढीली
IRS अधिकारी अमय पटनायक इस बार अपने करियर के सबसे जटिल केस पर काम कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उन्हें एक बेहद ताकतवर अपराधी दादा मनोहर भाई से टकराना है।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, पटनायक को सिर्फ भ्रष्ट सिस्टम ही नहीं, बल्कि अपने ट्रांसफर, राजनीतिक दबाव और अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों से भी जूझना पड़ता है।
दूसरे भाग में कहानी ज्यादा नाटकीय है, जहां असली घटनाओं की जगह सिनेमाई ड्रामा हावी हो गया है। हालांकि क्लाइमैक्स में आने वाला ट्विस्ट थोड़ा राहत जरूर देता है।
अजय-रितेश की एक्टिंग बनी फिल्म का सहारा
अजय देवगन अमय पटनायक के किरदार में एक बार फिर फिट बैठे हैं। उनकी आंखों की गंभीरता और संवादों की गंभीरता प्रभावशाली है।
रितेश देशमुख ने निगेटिव रोल में धमाकेदार एंट्री की है। हर फ्रेम में उनका किरदार छाया रहता है। उनके डायलॉग्स जरूर कहीं-कहीं मेलोड्रामा का शिकार हो जाते हैं, लेकिन परफॉर्मेंस दिल जीतता है।
वाणी कपूर को सीमित स्पेस मिला है, लेकिन वो ठीक-ठाक रही हैं। सौरभ शुक्ला जैसे वेटरन को इस बार सपोर्टिंग रोल में सीमित रखा गया है, हालांकि उनकी मौजूदगी कहानी में वेट जोड़ती है।
सुप्रिया पाठक के किरदार में गहराई की कमी रही। कुछ सीन्स में उनकी ओवरएक्टिंग खटकती है। अमित सियाल ने जबरदस्त परफॉर्म किया है और केसरी 2 की झलक यहां भी मिलती है।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष में चूक
राज कुमार गुप्ता का निर्देशन इस बार उतना धारदार नहीं रहा। पहले पार्ट का डायरेक्शन फिल्म को एक अलग ही स्तर पर ले गया था, लेकिन रेड 2 में कई बार निर्देशन कमजोर महसूस होता है।
गाने कहानी की रफ्तार में रुकावट डालते हैं और फिल्म का फर्स्ट हाफ कुछ ज्यादा ही स्लो है। यदि एडिटिंग थोड़ी कसावट वाली होती और शुरुआती भाग में गति बनी रहती, तो फिल्म ज्यादा प्रभाव छोड़ सकती थी।
क्या देखनी चाहिए ‘रेड 2’?
फिल्म में दमदार एक्टिंग, खासकर रितेश देशमुख के कारण फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है।
हालांकि कहानी में मौलिकता की कमी और स्क्रिप्ट की ढीलापन साफ नजर आता है, फिर भी अजय देवगन और रितेश देशमुख की टक्कर स्क्रीन पर देखने लायक है।
अगर आप सीरियस सिनेमा के फैन हैं तो ये फिल्म आपको कुछ हद तक निराश कर सकती है, लेकिन अगर आप एंटरटेनमेंट और स्टार पावर को प्राथमिकता देते हैं, तो इसे एक बार ट्राय कर सकते हैं।
Source – India tv
Written by – Pankaj Chaudhary