तहव्वुर की वापसी से फिर ताजा हुई 26/11 की टीस
Mumbai Attack 26/11 आतंकी हमलों की वह भयावह रात आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। इस हमले में देश के 166 मासूमों ने अपनी जान गंवाई थी। उन्हीं में से एक थे केरल के जांबाज अफसर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, जिन्होंने ताज होटल में आतंकियों से लोहा लेते हुए 28 नवंबर 2008 को शहादत दी थी।
अब जब हमलों के एक मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है, तो शहीद मेजर के पिता के. उन्नीकृष्णन का दर्द एक बार फिर छलक उठा है। उन्होंने इस extradition को देश के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता तो बताया, लेकिन यह भी कहा – “बदला अभी पूरा नहीं हुआ है।”
यह सिर्फ कूटनीतिक सफलता नहीं, बल्कि एक बदला है
शहीद मेजर के पिता ने NDTV से बातचीत में कहा,
“तहव्वुर राणा को भारत लाया जाना सिर्फ कूटनीतिक जीत नहीं, बल्कि उस ज़ख्म पर मरहम जैसा है जो Mumbai Attack 26/11 ने पूरे देश को दिया था। लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।”
उन्होंने आगे कहा कि उनका बेटा संदीप सिर्फ एक शिकार नहीं था, वह कर्तव्य निभाते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। अगर वह मुंबई के बजाय कहीं और तैनात होते, तब भी वही करते जो उन्होंने ताज में किया।
“हमारी चिंता होनी चाहिए – अगला हमला रोकने की”
उन्नीकृष्णन ने कहा कि देश को अब भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। आतंकवादियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना जरूरी है।
“तहव्वुर जैसे आतंकी अब भी नेटवर्क में हैं। हमें उनका नेटवर्क तोड़ना होगा। सिर्फ उन्हें पकड़ना काफी नहीं, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे हमले दोबारा ना हों।”
“बदला अभी अधूरा है, हेडली को भी सजा मिलनी चाहिए”
शहीद के पिता ने साफ तौर पर कहा कि जब तक डेविड कोलमैन हेडली को सजा नहीं मिलती, तब तक 26/11 का बदला अधूरा रहेगा।
“हेडली हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था। हमने सारे सबूत जुटा लिए हैं, फिर भी आज तक उसे सजा नहीं मिली। ये हमारे सिस्टम की कमजोरी है।”
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि NIA इस केस में पूरी ताकत लगाएगी, लेकिन तहव्वुर एक चालाक आतंकी है और वह जांच से बचने की हर मुमकिन कोशिश करेगा।
कौन थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन?
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन NSG कमांडो थे, जिन्हें मुंबई हमलों के दौरान ताज होटल में आतंकियों को मार गिराने के अभियान में शामिल किया गया था।
उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर कई लोगों की जान बचाई। उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
अंतिम शब्द: देश नहीं भूला अपने सच्चे नायकों को
तहव्वुर राणा को भारत लाना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन देश के असली हीरो जैसे मेजर संदीप की कुर्बानी को न्याय तभी मिलेगा जब हर दोषी को सजा मिलेगी। आज भी उनके पिता की आवाज़ में वही दर्द, वही गर्व और वही उम्मीद झलकती है – कि न्याय जरूर मिलेगा, चाहे जितना भी समय लगे।
News Source – NDTV