सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी के संभल जामा मस्जिद सर्वे विवाद में हस्तक्षेप करते हुए निचली अदालत को किसी भी प्रकार की आगे की कार्रवाई करने से रोक दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट मामले में कोई आदेश जारी नहीं करता, तब तक निचली अदालत सर्वेक्षण के आदेश पर अमल नहीं करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष को निर्देश दिया कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर करें। कोर्ट ने मामले को लंबित रखते हुए कहा कि इसकी अगली सुनवाई 8 जनवरी से पहले होगी।
शाही जामा मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
शाही जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के सर्वेक्षण के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा,
“हम इस केस को इसलिए ले रहे हैं ताकि सौहार्द बना रहे। हम नहीं चाहते कि वहां कुछ अप्रिय घटनाएं हों।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की मेरिट पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी। निचली अदालत द्वारा सर्वे के आदेश पर रोक लगाने की मांग एक तरह से स्वीकार कर ली गई।
हिंसा के बाद बढ़ा विवाद
संभल की स्थानीय अदालत ने 19 नवंबर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि जामा मस्जिद का निर्माण हरिहर मंदिर की जमीन पर हुआ है। 24 नवंबर को मस्जिद के दोबारा सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी।
इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक लोग घायल हुए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के बाद मस्जिद के आसपास तनाव बढ़ गया।
कांग्रेस ने फैसले का स्वागत किया
कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट को धार्मिक स्थलों पर हो रहे अन्य मामलों जैसे अजमेर शरीफ आदि पर भी ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के फैसले सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
क्या है जामा मस्जिद विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब स्थानीय अदालत ने मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता का दावा है कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह पहले एक हिंदू मंदिर की जमीन थी।
हालांकि, मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस मामले को निचली अदालत में नहीं ले जाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मामले में निचली अदालत कोई कदम नहीं उठाएगी। इसके साथ ही, मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई है। अब देखना होगा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है।