इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: रेप केस में पीड़िता को ठहराया जिम्मेदार
Prayagraj Court: ने हाल ही में एक रेप केस में बेहद चौंकाने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने न सिर्फ आरोपी को जमानत दी, बल्कि अपने आदेश में यह भी कहा कि पीड़िता ने खुद मुसीबत को न्यौता दिया और इस पूरी घटना की जिम्मेदारी उसी की है। इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है और कोर्ट की टिप्पणी को लेकर लोग हैरान हैं।
पीड़िता ने दर्ज कराई थी रेप की FIR
यह मामला गौतमबुद्ध नगर का है, जहां एक MA की छात्रा ने सितंबर 2024 में सेक्टर 126 थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। छात्रा ने अपनी शिकायत में बताया था कि वह पीजी में रहकर एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करती है। 21 सितंबर को वह अपनी महिला दोस्तों के साथ दिल्ली के हौज खास स्थित एक बार में गई थी, जहां शराब पीने के बाद वह नशे में आ गई। इसी दौरान एक युवक ने उसे अपने घर चलने को कहा और वो उसके साथ चली गई।
आरोपी पर गुरुग्राम में दो बार रेप का आरोप
पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने नोएडा ले जाने के नाम पर उसे गुरुग्राम स्थित अपने किसी रिश्तेदार के फ्लैट में ले गया और वहां दो बार उसके साथ बलात्कार किया। अगले दिन उसने अपने घर लौटकर FIR दर्ज कराई।
कोर्ट ने कहा- यह सहमति से संबंध का मामला हो सकता है
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने इस केस की सुनवाई करते हुए आरोपी को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि मामले की सभी परिस्थितियों को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह जबरन रेप नहीं, बल्कि आपसी सहमति से बनाए गए संबंध का मामला हो सकता है।
“पीड़िता ने खुद मुसीबत को आमंत्रित किया”
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि पीड़िता बालिग है और एक MA की छात्रा है, इसलिए वह सही-गलत समझने में सक्षम है। उसने अपनी मर्जी से बार में शराब पी, देर रात तक रही और फिर आरोपी के साथ चली गई। इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने खुद ही जोखिम लिया और इस स्थिति के लिए वही जिम्मेदार है।
आरोपी को दी गई जमानत
कोर्ट ने माना कि आरोपी 11 दिसंबर 2024 से जेल में बंद है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। साथ ही अभियोजन पक्ष के सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका भी नहीं है। इसलिए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका स्वीकार कर उसे राहत दी।
सोशल मीडिया पर भड़के लोग
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर काफी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग कोर्ट के फैसले को महिला विरोधी बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि नैतिकता के आधार पर इस मामले को नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने कानूनी दृष्टिकोण से फैसला सुनाया और इस बात पर जोर दिया कि सभी तथ्य रेप का आरोप साबित नहीं करते।
News Source – NDTV