Turkey बना चाहता है ‘चौधरी’, कश्मीर मामले में फिर दी दखल की पेशकश
India-Pak : भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराने कश्मीर मुद्दे पर एक बार फिर Turkey ने अपनी ‘चौधरी’ बनने की इच्छा जाहिर की है। तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने कश्मीर मसले पर बयान देते हुए कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में मदद करने को तैयार है। एर्दोगन ने यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बैठक के बाद दिया है।
एर्दोगन बोले- कश्मीर पर शहबाज शरीफ से हुई व्यापक बातचीत
तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा, “हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ कश्मीर मुद्दे पर व्यापक बातचीत की और सहायता के तरीके तलाशे। हमारा मानना है कि संतुलित दृष्टिकोण से दोनों देशों को समाधान के करीब लाया जा सकता है।” – pakistan turkey

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस ऑपरेशन में भारत ने 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया था।
पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन से किया था भारत पर हमला
भारत की सख्त कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया और इसके लिए तुर्किए में बने ड्रोन का इस्तेमाल किया। जब यह जानकारी सामने आई, तो भारत में तुर्किए के खिलाफ नाराजगी और विरोध साफ नजर आने लगा। इसके बावजूद तुर्किए लगातार पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा नजर आया है।

तुर्किए ने जताई मध्यस्थता की इच्छा, भारत ने दिया सख्त संदेश
एर्दोगन ने कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान चाहें तो तुर्किए शांति के लिए मध्यस्थता करने को तैयार है। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी से मानवाधिकारों पर आधारित समाधान तलाशा जा सकता है।
हालांकि भारत का रुख इस मुद्दे पर हमेशा से साफ रहा है—भारत-पाक के बीच कोई भी वार्ता केवल द्विपक्षीय होगी और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई जरूरत नहीं है। भारत की विदेश नीति के तहत किसी भी बाहरी देश की दखलअंदाजी को स्वीकार नहीं किया जाता।
क्या तुर्किए बन पाएगा ‘शांति दूत’?
यह पहली बार नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर या भारत-पाक संबंधों पर टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे पाकिस्तान के मंच से भारत के खिलाफ बयान दे चुके हैं। अब रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद शायद उन्हें लगता है कि वे भारत-पाक विवाद में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं।
लेकिन भारत की स्पष्ट नीति और कश्मीर को आंतरिक मामला मानते हुए किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को खारिज करने से साफ हो जाता है कि तुर्किए की यह ‘चौधरी’ बनने की चाहत हकीकत में नहीं बदल पाएगी।
भारत का संदेश साफ: कश्मीर पर न ही राय दें और न ही भूमिका तलाशें
कश्मीर मुद्दा भारत के लिए एक आंतरिक विषय है, जिस पर बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंच से पाकिस्तान और अब तुर्किए जैसी ताकतें बयानबाजी कर रही हैं। भारत पहले भी यह साफ कर चुका है कि ऐसे किसी भी प्रयास को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा। तुर्किए को चाहिए कि वह अपनी सीमाओं में रहकर खुद के घरेलू मामलों पर ध्यान दे, बजाय भारत-पाक मसलों में मध्यस्थता की भूमिका ढूंढ़ने के।
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