Monday, July 7, 2025

यूक्रेनी पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना की मौत: रूसी हिरासत में हुई क्रूर यातनाएं

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Ukrainian journalist Viktoria Roshchina dies after brutal torture in Russian custody

रूसी हिरासत में यूक्रेनी पत्रकार को दी गईं भयानक यातनाएं, मौत से पहले झेली असहनीय पीड़ा

रूस-यूक्रेन युद्ध केवल मोर्चों पर ही नहीं लड़ा जा रहा, बल्कि इसकी गूंज जेल की दीवारों के भीतर भी सुनाई दे रही है। ऐसी ही एक दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें यूक्रेनी महिला पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना को रूस की हिरासत में गंभीर यातनाएं दी गईं। उनकी मौत न सिर्फ एक जंग की त्रासदी है, बल्कि पत्रकारिता पर हमला भी है।


हिरासत में बिताए आठ महीने, कोई आरोप नहीं

27 वर्षीय पत्रकार रोशचिना अगस्त 2023 में रिपोर्टिंग के लिए यूक्रेन के कब्जे वाले एनरहोदर क्षेत्र गई थीं। वहीं से उन्हें रूसी सुरक्षाबलों ने उठाया और बाद में मेलिटोपोल होते हुए रूस के टैगानरोग डिटेंशन सेंटर भेजा गया। इस पूरे दौरान न तो उनके खिलाफ कोई आरोप दर्ज हुआ और न ही कानूनी कार्यवाही हुई।


रोज मिलती थीं क्रूर यातनाएं

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें डिटेंशन सेंटर में लगातार शारीरिक और मानसिक प्रताड़नाएं दी गईं। रिपोर्ट बताती है कि विक्टोरिया को इलेक्ट्रिक शॉक, भूखा रखने, नशीले पदार्थ देने, हड्डियां तोड़ने और मस्तिष्क निकालने तक की क्रूरता का सामना करना पड़ा। यह सारी यातनाएं उन्हें चुप कराने के मकसद से दी गई थीं।


फरवरी में मिला शव, हालत देख दहल गए सब

फरवरी 2025 में जब कैदियों की अदला-बदली हुई, तो रोशचिना का शव यूक्रेन को सौंपा गया। शव को अज्ञात व्यक्ति के रूप में चिन्हित किया गया था, पर डीएनए टेस्ट के बाद पहचान स्पष्ट हुई। पोस्टमार्टम में सामने आया कि उनकी आंखें और मस्तिष्क गायब थे—संभवतः यातनाओं के सबूत मिटाने के लिए। शरीर पर जलने के निशान, टूटी पसलियां और कुपोषण के संकेत भी पाए गए।


यूक्रेन और यूरोपीय संघ ने किया विरोध

यूक्रेनी अभियोजन पक्ष ने इसे युद्ध अपराध और पूर्व नियोजित हत्या करार दिया है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग की है। यूरोपीय संघ और रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसे संगठनों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।


एक निडर पत्रकार की खामोश हो गई आवाज

रोशचिना यूक्रेन की उन पत्रकारों में थीं, जो कब्जे वाले इलाकों में जाकर सच को सामने लाने का साहस रखती थीं। वो गुप्त हिरासत स्थलों और आम नागरिकों पर हो रही ज्यादतियों को दुनिया तक पहुंचाने के लिए जान की बाज़ी लगा रही थीं। लेकिन जिस सच को सामने लाने निकली थीं, वही उनके अंत का कारण बन गया।

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Source – India tv
Written by – Pankaj Chaudhary

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