राजस्थान: कोटा में NEET की तैयारी कर रही नाबालिग छात्रा ने की आत्महत्या, परीक्षा से ठीक एक रात पहले घटना
राजस्थान के कोटा से एक और दुखद खबर सामने आई है, जहां NEET (यूजी) परीक्षा की तैयारी कर रही एक नाबालिग छात्रा ने आत्महत्या कर ली। यह घटना उस समय सामने आई जब देशभर में आज यानी 4 मई को NEET (UG) 2025 की परीक्षा आयोजित की जा रही है। पुलिस ने बताया कि छात्रा ने शनिवार रात को फांसी लगाकर जान दी।
Rajasthan | A minor girl, who was preparing for the NEET exam, has died by suicide in Kota. The student hanged herself the night before NEET exam. Police are gathering information to find out the reasons behind the suicide: Arvind Bhardwaj, SHO
— ANI (@ANI) May 4, 2025
परीक्षा से पहले छात्रा का जीवन समाप्त
कोटा जिले के जवाहर नगर थाना क्षेत्र में यह मामला दर्ज किया गया है। SHO अरविंद भारद्वाज के अनुसार, छात्रा ने शनिवार रात अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या की। पुलिस को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी गई। आत्महत्या की वजहों को लेकर फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन मानसिक दबाव की आशंका जताई जा रही है।
कोटा: पढ़ाई के दबाव में टूटते सपने
कोटा शहर, जो कि देशभर के छात्रों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी का प्रमुख केंद्र माना जाता है, वहां छात्रों की आत्महत्याएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। इस घटना से पहले भी एक अन्य छात्र, तमीम इकबाल, जो बिहार के कटिहार का रहने वाला था, ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। वह 11वीं कक्षा का छात्र था और मात्र 20 दिन पहले ही कोटा आया था।
2025 में अब तक 14 आत्महत्याएं
सरकारी आंकड़ों और पुलिस रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2025 में कोटा में आत्महत्या के यह 14वें छात्र का मामला है। जनवरी से अब तक यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाएं इस प्रवृत्ति को लेकर गंभीर चिंता जता चुकी हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस सुधार नजर नहीं आ रहा।
NEET परीक्षा: एक नजर
NEET (UG) परीक्षा भारत के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवश्यक है। यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है और इसमें MBBS, BDS, आयुष जैसे कोर्सेज में दाखिला मिलता है। मेडिकल की पढ़ाई का सपना देखने वाले लाखों छात्र इस परीक्षा में शामिल होते हैं, जो हर साल जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बीच गुजरते हैं।
सवाल: क्या कोटा में सिस्टम बदलने की जरूरत है?
कोटा की लगातार बढ़ती आत्महत्याओं की संख्या इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं शैक्षणिक वातावरण में मानवीय संवेदनाओं की कमी रह गई है। सिर्फ परीक्षा पास कराना ही संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है।
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Source – India tv
Written by – Pankaj Chaudhary