बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान बेचने से साफ इनकार कर दिया है। सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा छाया हुआ है, जबकि किसान खुले बाजार में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में सरकारी केंद्रों पर मात्र 50 कुंतल धान की खरीद हो पाई है, जिससे सरकार की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं।
हरियाणा और दिल्ली की मंडियों में बेचना पसंद कर रहे किसान
बागपत के किसान हरियाणा और दिल्ली की नरेला मंडी में धान बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं, जहां उन्हें सरकारी दर से ज्यादा कीमत मिल रही है। यह विकल्प किसानों के लिए अधिक आकर्षक है, क्योंकि सरकारी प्रक्रिया और एमएसपी की दरें उन्हें संतुष्ट नहीं कर पा रही हैं।
एमएसपी दरों में मामूली बढ़ोतरी, फिर भी किसानों की असंतुष्टि
केंद्र सरकार ने इस बार धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2300 रुपये प्रति कुंतल और ग्रेड ए धान के लिए 2320 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया है। हालांकि यह दर पिछले साल से कुछ अधिक है, फिर भी किसानों का मानना है कि ये दरें उनकी लागत और मेहनत के हिसाब से पर्याप्त नहीं हैं।
सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा, खुले बाजार में बेहतर विकल्प
बागपत, बड़ौत और खेकड़ा में सरकारी क्रय केंद्रों को मंगलवार से खोल दिया गया है, लेकिन किसानों की उपस्थिति बेहद कम है। सरकारी क्रय केंद्रों की तुलना में निजी मंडियों में बेहतर मूल्य मिल रहे हैं, जिससे किसान सरकारी पंजीकरण प्रक्रिया से बच रहे हैं और खुले बाजार का रुख कर रहे हैं।
सरकारी नीतियों पर उठ रहे सवाल
किसानों की इस उदासीनता से सरकारी खरीद केंद्रों पर संकट गहराता दिख रहा है। किसान नेता और विपक्ष इस मुद्दे को बड़ा चुनावी दांव बना रहे हैं, जबकि बागपत के किसान खुले बाजार की ओर बढ़ रहे हैं। इससे सरकार की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे किसानों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ हैं।