BSF New dress : में दिखेगा डिजिटल पैटर्न, 50% खाकी और 45% ग्रीन
नई दिल्ली: बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) अब एक नए अवतार में नजर आएगी। सेना और CRPF की तरह BSF की नई कॉम्बैट ड्रेस अब डिजिटल पैटर्न में होगी। इस बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले एक साल में BSF के सभी जवान नई यूनिफॉर्म में नजर आएंगे। इस ड्रेस में 50 फीसदी खाकी, 45 फीसदी ग्रीन और 5 फीसदी ब्राउन कलर का संयोजन होगा।

नया फैब्रिक, ज्यादा आरामदेह और टिकाऊ
BSF की इस नई ड्रेस का फैब्रिक पहले के मुकाबले काफी आरामदेह और मजबूत है। पहले की ड्रेस में जहां 50% कॉटन और 50% पॉलिस्टर का मिश्रण होता था, अब उसमें 80% कॉटन, 19% पॉलिस्टर और 1% स्पैन्डेक्स शामिल किया गया है। इससे कपड़े में खिंचाव बना रहता है और पहनने में ज्यादा आरामदायक होता है।
डिजिटल प्रिंट का कमाल
पहले के मुकाबले इस बार का डिजिटल प्रिंट फाइबर के अंदर तक समाहित होता है, जिससे इसकी टिकाऊ क्षमता कहीं अधिक है। पहले जहां पैटर्न केवल कपड़े के ऊपर छपता था, अब यह सीधे तंतु में घुल जाता है, जिससे वह जल्दी न फटता है, न उतरता है।

इनहाउस डेवलपमेंट और पेटेंट
BSF की इस यूनिफॉर्म को खुद बीएसएफ के इनहाउस डिज़ाइन और टेक्निकल टीम ने डेवलप किया है। लगभग 1 से 1.5 साल तक अधिकारियों ने इसपर काम किया और अब इसका डिज़ाइन और डिजिटल प्रिंट, दोनों का पेटेंट BSF ने करा लिया है। इतना ही नहीं, इस पैटर्न की सिलाई तक बिना इजाजत नहीं हो सकती। बिना अनुमति किसी भी व्यक्ति द्वारा इस ड्रेस को पहनना या बनवाना कानूनन अपराध होगा और दंडनीय होगा।
BSF की तैनाती और भूमिका
BSF करीब 2.7 लाख जवानों की एक शक्तिशाली फोर्स है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर तैनात रहती है। इसके अलावा BSF नक्सल विरोधी अभियान, आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक आधुनिक, टिकाऊ और आरामदायक यूनिफॉर्म जवानों को मनोवैज्ञानिक रूप से भी सशक्त बनाती है।
नया लुक, नई सोच
यह यूनिफॉर्म केवल पहनावे में बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक नई सोच और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की मिसाल है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनी इस ड्रेस से BSF के जवान ज्यादा आत्मविश्वास के साथ अपनी ड्यूटी कर सकेंगे।
नई ड्रेस की प्रमुख विशेषताएं
बीएसएफ की यह नई ड्रेस डिजिटल प्रिंट पैटर्न पर आधारित है, जो कि पुराने प्रिंटेड कपड़ों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ और आधुनिक है। इसमें रंगों का अनुपात भी रणनीतिक रूप से तय किया गया है—50% खाकी, 45% ग्रीन और 5% ब्राउन। इस रंग संयोजन का उद्देश्य जंगल और मैदानी इलाकों में जवानों को बेहतर तरीके से छिपने में मदद करना है।
नई ड्रेस में प्रयुक्त कपड़े का फैब्रिक भी बदल गया है। पहले जहां ड्रेस में 50% कॉटन और 50% पॉलिएस्टर होता था, वहीं अब इसमें 80% कॉटन, 19% पॉलिएस्टर और 1% स्पैन्डेक्स का उपयोग किया गया है। इससे कपड़े में लचीलापन आता है और यह पहनने में अधिक आरामदायक होता है।
टेक्नोलॉजी और पेटेंट सुरक्षा
बीएसएफ की यह वर्दी इनहाउस डिजाइन की गई है। लगभग डेढ़ साल तक बीएसएफ के टेक्निकल और डिजाइनिंग अधिकारियों ने मिलकर इस वर्दी को तैयार किया है। इस डिजिटल प्रिंट का पेटेंट बीएसएफ के नाम पर दर्ज कर दिया गया है, जिससे कोई भी बाहरी संस्था या व्यक्ति बिना अनुमति इसका उपयोग नहीं कर सकता। सिलाई की तकनीक भी पेटेंट करवाई गई है।
यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति इस डिज़ाइन की कॉपी करता है या इस तरह की वर्दी तैयार करता है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
व्यावसायिक उपयोग पर रोक
इस नई वर्दी का प्रयोग केवल बीएसएफ के जवानों के लिए सीमित रहेगा। कोई भी आम नागरिक, फैशन ब्रांड या फिल्म निर्माता इसे उपयोग में नहीं ले सकता। डिजिटल प्रिंट और सिलाई की तकनीक दोनों को विशेष रूप से बीएसएफ के लिए संरक्षित किया गया है।
बीएसएफ की भूमिका और नई वर्दी का महत्व
भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान केवल सीमा सुरक्षा तक ही सीमित नहीं हैं। वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी अभियानों और आंतरिक सुरक्षा के मामलों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनकी वर्दी का आरामदायक, टिकाऊ और सुरक्षा के अनुकूल होना बेहद जरूरी है।
नई वर्दी न केवल जवानों को कार्यक्षमता में मदद करेगी, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाएगी। यह वर्दी उन्हें देश के भीतर और बाहर विभिन्न परिस्थितियों में अधिक सक्षम बनाएगी।
एक साल के भीतर पूरा होगा बदलाव
बीएसएफ के अनुसार, एक साल के भीतर सभी जवानों को यह नई डिजिटल पैटर्न वाली वर्दी उपलब्ध करा दी जाएगी। इसके लिए कपड़े की आपूर्ति, सिलाई, वितरण और प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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