इसे विज्ञान का करिश्मा कहें या इंसान की ज़िद, अब विज्ञान ने ऐसा मोड़ ले लिया है जहां माता-पिता अपने होने वाले बच्चे की बुद्धिमत्ता का अनुमान गर्भावस्था के दौरान ही लगा सकते हैं। एक अमेरिकी स्टार्टअप हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स ने दावा किया है कि वह आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए भ्रूण की बुद्धिमत्ता का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। इस दावे ने विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा दी है, वहीं नैतिक मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
50,000 डॉलर में बच्चे की बुद्धिमत्ता की भविष्यवाणी
हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स कंपनी ने एक खुफिया वीडियो में खुलासा किया है कि वह आईवीएफ प्रक्रिया से गुजर रहे माता-पिता से $50,000 की भारी रकम लेकर भ्रूण के बुद्धिमत्ता का विश्लेषण कर रही है। इस प्रक्रिया में 100 से अधिक भ्रूणों के परीक्षण किए जाते हैं, ताकि सबसे बुद्धिमान भ्रूण का चयन किया जा सके। कंपनी के मुताबिक, वे जीन आधारित परीक्षण के आधार पर यह बता सकते हैं कि भविष्य में बच्चा कितना बुद्धिमान होगा।
क्या है जीन आधारित बुद्धिमत्ता का अनुमान?
हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स के अनुसार, वे भ्रूण के जीनों का अध्ययन करके उसकी बुद्धिमत्ता का अनुमान लगाते हैं। जीनोमिक्स और आनुवंशिकी पर आधारित यह प्रक्रिया लैब में की जाती है। जब आईवीएफ के जरिए भ्रूण बनाए जाते हैं, तो उनमें मौजूद जीनों की जांच की जाती है। इन्हीं जीनों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि कौन सा भ्रूण भविष्य में अधिक बुद्धिमान हो सकता है। – भारतीय टीवी
नैतिक सवाल और एक्सपर्ट्स की चिंता
इस तकनीक को लेकर दुनिया भर में नैतिक सवाल खड़े हो रहे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बुद्धिमत्ता केवल जीन से नहीं, बल्कि पर्यावरण, परवरिश और शिक्षा से भी निर्धारित होती है। ऐसे में केवल जीन आधारित पूर्वानुमान करना गलत है। कैलिफ़ोर्निया सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की एसोसिएट डायरेक्टर केटी हैसन का कहना है कि जीन को चुनने का यह तरीका बेहद जटिल है। अच्छा और बुरा जीन लोगों के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसके अलावा, अगर इस प्रक्रिया से सुपरह्यूमन बच्चे बनने लगे, तो यह समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
विज्ञान और नैतिकता के बीच संघर्ष
यह तकनीक भले ही विज्ञान की दुनिया में एक नई क्रांति के रूप में देखी जा रही हो, लेकिन इसके नैतिक पहलुओं पर गंभीर विचार-विमर्श की जरूरत है। अगर माता-पिता भ्रूण के जीन को चुनने लगे, तो भविष्य में यह समाज के मूल्यों और संस्कारों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
इस नई तकनीक ने विज्ञान के साथ-साथ नैतिकता के मुद्दों को भी सतह पर ला दिया है। जहां एक तरफ लोग अपने बच्चों को बुद्धिमान, स्वस्थ और बिमारियों से मुक्त चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम इस तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल करें। आने वाले समय में इस पर गहन चर्चा और नियमों की आवश्यकता होगी।
मेटा टाइटल:
बच्चे की बुद्धिमत्ता पहले से तय! अमेरिकी स्टार्टअप का दावा – विज्ञान और नैतिकता पर उठा सवाल
मेटा डिस्क्रिप्शन:
अमेरिकी स्टार्टअप हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स ने आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान बच्चों की बुद्धिमत्ता का पूर्वानुमान लगाने का दावा किया है। जानिए कैसे यह तकनीक जीन आधारित भविष्यवाणी करती है और नैतिक मुद्दों को जन्म देती है।
स्लग:
american-startup-claims-to-predict-child-intelligence-ethical-questions-arise
बच्चे की बुद्धिमत्ता पहले से तय! अमेरिकी स्टार्टअप का दावा – विज्ञान और नैतिकता पर उठा सवाल
इसे विज्ञान का करिश्मा कहें या इंसान की ज़िद, अब विज्ञान ने ऐसा मोड़ ले लिया है जहां माता-पिता अपने होने वाले बच्चे की बुद्धिमत्ता का अनुमान गर्भावस्था के दौरान ही लगा सकते हैं। एक अमेरिकी स्टार्टअप हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स ने दावा किया है कि वह आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए भ्रूण की बुद्धिमत्ता का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। इस दावे ने विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा दी है, वहीं नैतिक मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
50,000 डॉलर में बच्चे की बुद्धिमत्ता की भविष्यवाणी
हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स कंपनी ने एक खुफिया वीडियो में खुलासा किया है कि वह आईवीएफ प्रक्रिया से गुजर रहे माता-पिता से $50,000 की भारी रकम लेकर भ्रूण के बुद्धिमत्ता का विश्लेषण कर रही है। इस प्रक्रिया में 100 से अधिक भ्रूणों के परीक्षण किए जाते हैं, ताकि सबसे बुद्धिमान भ्रूण का चयन किया जा सके। कंपनी के मुताबिक, वे जीन आधारित परीक्षण के आधार पर यह बता सकते हैं कि भविष्य में बच्चा कितना बुद्धिमान होगा।
यह भी पढ़ें: Bhartiya TV के साथ पढ़ें हिंदी न्यूज़: हिंदी समाचार, Today Hindi News, Latest Breaking News in Hindi – Bhartiyatv.com
क्या है जीन आधारित बुद्धिमत्ता का अनुमान?
हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स के अनुसार, वे भ्रूण के जीनों का अध्ययन करके उसकी बुद्धिमत्ता का अनुमान लगाते हैं। जीनोमिक्स और आनुवंशिकी पर आधारित यह प्रक्रिया लैब में की जाती है। जब आईवीएफ के जरिए भ्रूण बनाए जाते हैं, तो उनमें मौजूद जीनों की जांच की जाती है। इन्हीं जीनों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि कौन सा भ्रूण भविष्य में अधिक बुद्धिमान हो सकता है।
नैतिक सवाल और एक्सपर्ट्स की चिंता
इस तकनीक को लेकर दुनिया भर में नैतिक सवाल खड़े हो रहे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बुद्धिमत्ता केवल जीन से नहीं, बल्कि पर्यावरण, परवरिश और शिक्षा से भी निर्धारित होती है। ऐसे में केवल जीन आधारित पूर्वानुमान करना गलत है। कैलिफ़ोर्निया सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की एसोसिएट डायरेक्टर केटी हैसन का कहना है कि जीन को चुनने का यह तरीका बेहद जटिल है। अच्छा और बुरा जीन लोगों के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसके अलावा, अगर इस प्रक्रिया से सुपरह्यूमन बच्चे बनने लगे, तो यह समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
विज्ञान और नैतिकता के बीच संघर्ष
यह तकनीक भले ही विज्ञान की दुनिया में एक नई क्रांति के रूप में देखी जा रही हो, लेकिन इसके नैतिक पहलुओं पर गंभीर विचार-विमर्श की जरूरत है। अगर माता-पिता भ्रूण के जीन को चुनने लगे, तो भविष्य में यह समाज के मूल्यों और संस्कारों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
निष्कर्ष
इस नई तकनीक ने विज्ञान के साथ-साथ नैतिकता के मुद्दों को भी सतह पर ला दिया है। जहां एक तरफ लोग अपने बच्चों को बुद्धिमान, स्वस्थ और बिमारियों से मुक्त चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम इस तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल करें। आने वाले समय में इस पर गहन चर्चा और नियमों की आवश्यकता होगी।
यह भी पढ़ें: यह भी पढ़ें:
हिंदी समाचार, राजनीति, मनोरंजन, राशिफल और पीएम योजनाओं की हर बड़ी खबर सबसे पहले और सबसे तेज़, सिर्फ Bhartiya TV पर!https://bhartiyatv.com
Source – news18