Monday, July 7, 2025

civil judge भर्ती में बड़ा बदलाव: अब अनिवार्य होगी 3 साल की प्रैक्टिस, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने civil judgeकी नियुक्ति के लिए 3 साल की कानूनी प्रैक्टिस को अनिवार्य किया है। अब लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती नहीं होगी। जानें कोर्ट का पूरा फैसला और इसका असर।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सिविल जज बनने के लिए अब जरूरी होगी 3 साल की कानूनी प्रैक्टिस

civil judge न्यायिक सेवाओं में करियर बनाने की सोच रहे लॉ ग्रेजुएट्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब सिविल जज जूनियर डिवीजन की परीक्षा में शामिल होने के लिए कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्य होगी। यह निर्णय न्यायपालिका की गुणवत्ता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।


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लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती का रास्ता बंद

अब तक कई राज्यों में सीधे लॉ ग्रेजुएट्स को सिविल जज की परीक्षा में बैठने की अनुमति मिलती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक सेवा में शामिल होने से पहले कोर्ट का व्यावहारिक अनुभव जरूरी है, जो केवल किताबों से नहीं सीखा जा सकता।


तीन साल की प्रैक्टिस का नियम बहाल, लेकिन कब से लागू होगा?

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नया नियम उन भर्तियों पर लागू नहीं होगा जो पहले से चल रही हैं या जिनके लिए विज्ञापन पहले जारी हो चुके हैं। यह शर्त केवल आने वाली भर्ती प्रक्रियाओं में लागू की जाएगी।

प्रैक्टिस की गणना प्रोविजनल पंजीकरण की तारीख से की जाएगी। यानी बार काउंसिल में अस्थायी तौर पर नामांकन के दिन से अनुभव माना जाएगा।

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क्यों जरूरी है न्यूनतम अनुभव?

CJI बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अनुभव के बिना न्यायपालिका में आने से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हाई कोर्ट द्वारा जमा किए गए हलफनामों में भी इस बात की पुष्टि हुई है। कोर्ट का मानना है कि अदालत के वातावरण, कार्यप्रणाली और वरिष्ठों से सीखने का अनुभव न्यायिक अधिकारियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।


10 साल के अनुभवी वकील से लेना होगा प्रमाण

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन साल की प्रैक्टिस को प्रमाणित करने की जिम्मेदारी 10 साल के अनुभव वाले वकीलों पर होगी। उम्मीदवार को प्रमाण देना होगा कि उसने लगातार आवश्यक अवधि तक कानूनी प्रैक्टिस की है।


A Female Judge Sitting At A Desk With A Name Plate That Says Reynolds

जजों की नियुक्ति से जुड़ी अन्य प्रमुख बातें

  • 25% कोटा बहाल: उच्च न्यायिक सेवा में पदोन्नति के लिए सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आरक्षित कोटा फिर से लागू होगा।
  • 10% पदोन्नति का प्रावधान: सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए 10 प्रतिशत पद अब त्वरित पदोन्नति के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
  • जज के क्लर्क अनुभव को भी माना जाएगा: यदि कोई उम्मीदवार न्यायाधीश के विधि लिपिक के रूप में कार्य कर चुका है, तो यह अनुभव भी मान्य होगा।

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राज्यों को नियमों में करना होगा संशोधन

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि सभी राज्य सरकारें और हाईकोर्ट अपने सेवा नियमों में आवश्यक संशोधन करें ताकि 3 साल की न्यूनतम प्रैक्टिस अनिवार्य रूप से शामिल की जा सके। इसके साथ ही बार काउंसिल, हाईकोर्ट और राज्य सरकारों के बीच समन्वय बनाकर इस फैसले को लागू करना होगा।


भविष्य की भर्तियों पर होगा असर

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर भविष्य की न्यायिक भर्तियों पर पड़ेगा। हजारों लॉ ग्रेजुएट्स को अब पहले तीन साल की प्रैक्टिस करनी होगी, तभी वे सिविल जज बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।


यह फैसला देशभर के उन हजारों लॉ ग्रेजुएट्स के लिए एक बड़ा झटका है, जो सीधे सिविल जज बनने की उम्मीद लगाए बैठे थे। अब उन्हें कम से कम तीन साल तक अदालतों में प्रैक्टिस करनी होगी, जिससे उन्हें न्यायिक प्रक्रिया की गहराई से समझ मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि बिना अनुभव के जज बनने से न्यायपालिका की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यह कदम न्याय की विश्वसनीयता को और मजबूत करेगा।

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Source-indiatv

Written by -sujal

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