पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे सेंसेक्स 4,091.53 अंक या 4.98 प्रतिशत नीचे आया। यह गिरावट जून 2022 के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट थी। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेत से बाजार की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा। फेडरल रिजर्व ने 2025 तक केवल दो बार दरों में कटौती का अनुमान लगाया है, जिससे वैश्विक बाजारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार में भी मंदड़िया रुख हावी हो गया। इस गिरावट ने निवेशकों के लिए बड़ा झटका साबित किया, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस और एचडीएफसी बैंक जैसी बड़ी कंपनियों के लिए।
रिलायंस और टीसीएस को भारी नुकसान
सेंसेक्स की शीर्ष-10 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में कुल 4.95 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई। इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को झेलना पड़ा। रिलायंस के निवेशकों को 91,140 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 16.32 लाख करोड़ रुपये रह गया। वहीं, टीसीएस का मूल्यांकन 1.10 लाख करोड़ रुपये घटकर 15.08 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जैसी कंपनियों ने भी अपने मूल्यांकन में भारी गिरावट दर्ज की।
सेंसेक्स की सभी कंपनियां प्रभावित
इस गिरावट के कारण सेंसेक्स की सभी टॉप-10 कंपनियां नुकसान में रहीं। एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 76,448 करोड़ रुपये घट गया, जबकि भारती एयरटेल और एसबीआई का मूल्यांकन क्रमश: 59,055 करोड़ और 43,909 करोड़ रुपये कम हो गया। आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की बाजार हैसियत में भी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने टॉप-10 कंपनियों की सूची में अपना पहला स्थान बनाए रखा।
निवेशकों के लिए कड़ा सप्ताह
सप्ताहभर की इस गिरावट ने निवेशकों को सावधान कर दिया है। अमेरिकी और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के बीच भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों को निराश किया। यह गिरावट यह संकेत देती है कि आगामी समय में बाजार की चाल पर फेडरल रिजर्व की नीतियों और वैश्विक कारकों का प्रभाव प्रमुख रहेगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत अन्य कंपनियों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर है, जिससे उबरने के लिए बाजार में स्थिरता जरूरी होगी।