महासमुंद जिले के 15 गांवों में प्रदूषण ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। करणी कृपा स्टील और पावर प्लांट से होने वाले प्रदूषण की वजह से यहां खड़ी करीब 7000 एकड़ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। स्थानीय विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा और सांसद रूपकुमारी चौधरी ने इस गंभीर मुद्दे को राज्य और केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया है। किसानों की हालत इस समय बहुत खराब है, क्योंकि इस प्रदूषण के कारण उनकी फसलें न सिर्फ खराब हो चुकी हैं, बल्कि उन्हें किसी भी मंडी में बेचा भी नहीं जा सकता। इसके अलावा, स्थानीय लोगों के घरों और पेड़-पौधों पर भी प्रदूषण का असर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, जिससे उनकी जिंदगियों में भी एक नया संकट उत्पन्न हो गया है।
दिल्ली-NCR नहीं, महासमुंद में भी प्रदूषण की समस्या
हालांकि प्रदूषण की समस्या इन दिनों दिल्ली-NCR में सबसे ज्यादा चर्चा में है, जहां स्कूलों और कॉलेजों को ऑनलाइन करना पड़ा है और कई पाबंदियां लागू की गई हैं, लेकिन महासमुंद जिले में प्रदूषण एक अलग ही रूप में सामने आया है। यहां 15 गांवों के किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसलों का सही मूल्य नहीं पा रहे हैं। प्रदूषण के कारण धान की फसल काली पड़ चुकी है और सब्जियां खराब हो गई हैं। इतना ही नहीं, पेड़-पौधों पर भी प्रदूषण का असर साफ देखा जा सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जो क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त था, अब वह प्रदूषण से प्रभावित हो गया है, जिससे उनके पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
प्रदूषण से फसल और सब्जियां पूरी तरह खराब
महासमुंद विधानसभा क्षेत्र के खैरझिटी, मालीडीह, पिरदा, कौंवाझर समेत 15 गांवों के किसानों ने बड़ी मेहनत से अपनी फसलें उगाई थीं, लेकिन अब वे अपनी फसलों से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। पक चुकी धान की फसल काली पड़ चुकी है, और सब्जियां भी सड़ने लगी हैं। किसान बताते हैं कि शासकीय धान खरीद केन्द्रों पर भी उनकी फसलें स्वीकार नहीं की जा रही हैं, क्योंकि इन्हें प्रदूषण की वजह से खराब माना जा रहा है। इस प्रदूषण के कारण न सिर्फ फसलें, बल्कि पेड़-पौधों और यहां तक कि घरों की दीवारें भी काली पड़ चुकी हैं। इससे किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। उनके लिए यह एक बहुत बड़ा आर्थिक संकट बन चुका है, क्योंकि उनकी मेहनत पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
किसानों को मुआवजा दिलाने का आश्वासन
महासमुंद के विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लिया। उन्होंने खुद मौके पर जाकर प्रदूषित इलाकों का दौरा किया और वहां की स्थिति का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि करणी कृपा स्टील और पावर प्लांट के प्रदूषण के कारण खेतों में पहले 20 क्विंटल तक उत्पादन होने वाली फसल अब केवल 10 क्विंटल ही हो पा रही है, और उसमें से भी आधी फसल प्रदूषण के कारण खराब हो रही है। विधायक ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी से इस मामले की शिकायत करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, सांसद रूपकुमारी चौधरी ने इस मुद्दे को केंद्रीय मंत्री तक पहुंचाने की बात कही है। उनका कहना है कि वे इस प्रदूषण के कारण किसानों को मुआवजा दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।
प्रदूषण फैलाने में स्टील प्लांट की भूमिका
स्टील और पावर प्लांट दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में से एक हैं। स्टील बनाने की प्रक्रिया में कोक और कोकिंग प्रक्रिया से निकलने वाला प्रदूषित पानी और गैसें पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। कोक ओवन से निकलने वाला नेफ़थलीन हवा को जहरीला बनाता है, जबकि कोकिंग प्रक्रिया में साइनाइड, सल्फाइड, अमोनियम, और अमोनिया जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं। इन प्रदूषित तत्वों का पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ता है, और इससे न सिर्फ हवा, बल्कि पानी और मिट्टी भी प्रदूषित होती है। इन प्रदूषकों के कारण आसपास के क्षेत्र में जीवन जीना मुश्किल हो जाता है, और यह पूरी पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
स्थानीय प्रशासन और सरकार से उम्मीदें
किसानों ने अब स्थानीय प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगाई है। क्षेत्रीय सांसद रूपकुमारी चौधरी ने इस गंभीर समस्या को केंद्रीय मंत्री तक पहुंचाया है। किसानों को उम्मीद है कि अब इस समस्या का समाधान जल्द निकलेगा और उन्हें उनके नुकसान का उचित मुआवजा मिलेगा। इस कदम से न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि यह प्रदूषण के नियंत्रण में भी मददगार साबित होगा।