स्मार्टफोन और किफायती डेटा
भारत का डिजिटल परिवर्तन अब सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक तेजी से बढ़ती हकीकत बन चुका है। स्मार्टफोन और किफायती डेटा ने देश को कैशलेस लेन-देन, ऑनलाइन शॉपिंग, और ई-कॉमर्स की दिशा में एक बड़ा बदलाव दिया है। यह परिवर्तन न केवल आम उपभोक्ताओं के जीवन को आसान बना रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नए मुकाम तक ले जाने की तैयारी में है।
1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था
आस्क कैपिटल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2028 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। गहरी इंटरनेट पहुंच, सस्ती 4G और 5G सेवाओं का विस्तार, और डिजिटल क्षेत्र में सरकार की नीतिगत पहलें इस विकास की नींव हैं। डिजिटल पेमेंट्स और रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली, जैसे UPI, ने देश को वैश्विक डिजिटल वित्तीय मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है, जिससे भारत अब डिजिटल लेन-देन का एक प्रेरक उदाहरण बन चुका है।
डिजिटलीकरण में भारत की उपलब्धि
आईसीआरआईईआर की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि डिजिटलीकरण के मामले में भारत ने जापान, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) जैसी सरकारी योजनाओं ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है, जिससे देश के लाखों लोगों को डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया है।
इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का प्रसार
देश में मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवाओं का बढ़ता प्रसार, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में, न केवल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में इजाफा कर रहा है, बल्कि आर्थिक समावेशन को भी मजबूती दे रहा है। मार्च 2024 तक, भारत में लगभग 120 करोड़ दूरसंचार ग्राहक और 95.4 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे, जिनमें से बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। पिछले एक साल में 7.3 करोड़ से अधिक नए इंटरनेट ग्राहक और 7.7 करोड़ नए ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े गए हैं।
डिजिटल सेवाओं की पहुंच
डिजिटल मनोरंजन, ऑनलाइन शिक्षा, टेली-मेडिसिन, और डिजास्टर रिस्पॉन्स जैसी सेवाएं भी बेहतर मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी का लाभ उठा रही हैं। इसके अलावा, किफायती डेटा और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने ई-कॉमर्स को तेजी से बढ़ने में मदद की है, जिससे देश के हर हिस्से में डिजिटल सेवाओं की पहुंच हो रही है।