pakistan के jasoos नेटवर्क का पर्दाफाश: दिल्ली से लाहौर तक फैला था ‘दानिश कनेक्शन’
pakistan jasoos दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग (Pakistan High Commission) से एक बड़ा जासूसी नेटवर्क सामने आया है, जो न केवल भारतीय नागरिकों को घूस के जरिए वीजा देता था, बल्कि उन्हें फंसाकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के लिए भी तैयार करता था। इस नेटवर्क की जड़ें उस अधिकारी तक जाती हैं, जो वीजा डेस्क पर बैठता था—नाम है दानिश।
कैसे वीजा बना जाल और दानिश बना जाल बिछाने वाला

दानिश, जो पाकिस्तान हाई कमीशन में वीजा डेस्क पर तैनात था, हर वीजा एप्लीकेशन के बदले करीब 5000 रुपये की घूस लेता था। यह रकम सीधे दानिश के साथी यामीन मोहम्मद के पास जमा होती थी। यामीन ही वह कड़ी था, जो लोगों को वीजा लगवाने के नाम पर दानिश से मिलवाता था और पैसे इकट्ठा करता था।
दानिश का मोबाइल नंबर, जो पाकिस्तान हाई कमीशन के नाम पर रजिस्टर्ड है, ज्योति मल्होत्रा, गजाला और यामीन के साथ उसकी बातचीत का मुख्य जरिया था। वह व्हाट्सएप और स्नैपचैट जैसी सोशल मीडिया ऐप्स का उपयोग करके लोगों से संपर्क में रहता था।

गजाला की कहानी: एक विधवा महिला को कैसे फंसाया गया
गजाला, जिसने अपने पति को कोविड में खो दिया, आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। वह फरवरी और मार्च में पाकिस्तान उच्चायोग गई थी। वहां वीजा डेस्क पर दानिश से मुलाकात हुई। दानिश ने न केवल उसके निजी जीवन में घुसपैठ की, बल्कि उसे शादी का झांसा भी दिया।
उसने गजाला को UPI के जरिए 20,000 रुपये भेजे, जो यामीन के माध्यम से पहुंचे। दानिश दिल्ली की कई जगहों पर घूमने जाता था और गजाला को QR कोड भेजकर शॉपिंग या खाने के लिए पेमेंट करने को कहता था।

दानिश ने गजाला से भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी भी मांगी। साथ ही यह भी कहा गया कि पाकिस्तान जाकर कपड़ों का व्यापार शुरू किया जाए जिससे आर्थिक स्थिति सुधरे।
यामीन का कबूलनामा: कैसे बना वह दानिश का मोहरा
यामीन ने जांच एजेंसियों को बताया कि वह दो बार पाकिस्तान गया है और दानिश से अच्छी जान-पहचान रखता है। दानिश ने उसे वीजा के काम के बदले कमीशन लेने को कहा और बदले में जान-पहचान वालों का वीजा जल्द लगवाने का वादा किया।
यामीन ने बताया कि उसने चार एप्लिकेशन लगवाईं और 20,000 रुपये जुटाए, जिन्हें गजाला के UPI में ट्रांसफर कर दिया गया। यामीन खुद भी गुजरेवाला पाकिस्तान गया था।
देवेंद्र सिंह ढिल्लो का खुलासा: कैसे करतारपुर यात्रा बना जासूसी की एंट्री
देवेंद्र सिंह ढिल्लो एक जत्थे के साथ करतारपुर कॉरिडोर गया था, जहां उसकी मुलाकात पाकिस्तानी नागरिक विक्की से हुई। विक्की ने ढिल्लो को भारत में एक सिम कार्ड भेजने को कहा और एक QR कोड पर 1500 रुपये ट्रांसफर करने को भी कहा।
लाहौर में विक्की ने ढिल्लो की मुलाकात अरसलान नामक व्यक्ति और उसकी महिला दोस्त से करवाई। सोशल मीडिया पर संपर्क हुआ लेकिन भारत लौटते ही उसे ब्लॉक कर दिया गया। एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि उस QR कोड से जुड़ा भारतीय नंबर किसका था और वह पाकिस्तान ISI तक कैसे पहुंचा।
दानिश का डिजिटल नेटवर्क: व्हाट्सएप, स्नैपचैट और QR कोड से जासूसी
इस पूरी साजिश में दानिश ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का बखूबी इस्तेमाल किया। वह व्हाट्सएप कॉल और स्नैपचैट चैट के जरिए गजाला और ज्योति मल्होत्रा जैसे लोगों को अपनी बातों में उलझाता था। QR कोड और UPI ट्रांजैक्शन के जरिए पैसे का आदान-प्रदान होता था, जिससे किसी को शक न हो।
जासूसी का नया तरीका: शादी, व्यापार और आर्थिक मदद का लालच
इस केस से साफ हो गया है कि ISI और पाकिस्तानी एजेंसियां अब जासूसी के लिए पारंपरिक तरीकों की जगह भावनात्मक और आर्थिक शोषण का रास्ता अपना रही हैं। शादी का झांसा, व्यापार की उम्मीद, QR कोड से पैसे भेजना—ये सब नए युग के जासूसी हथियार बन चुके हैं।
जांच एजेंसियों की अगली चुनौती
अब जांच एजेंसियों के सामने यह चुनौती है कि इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों को पकड़ा जाए और यह पता लगाया जाए कि अब तक कौन-कौन ISI को जानकारी दे चुका है। दानिश जैसे अधिकारी कैसे हाई कमीशन के जरिए भारत में लोगों तक पहुंच बना रहे हैं, यह एक गहन जांच का विषय है।
Source-indiatv
Written by -sujal