PM Modi सम्मान में दागी गईं,जलन ड्रैगन को हो रही,दुनिया भर में क्यों है खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेश में ऐतिहासिक सम्मान मिला है, जहां उनके स्वागत में तोपों की सलामी दी गई। इस राजकीय सम्मान ने भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत किया है। उधर चीन को यह कूटनीतिक संदेश रास नहीं आया और वहां बेचैनी साफ देखी जा रही है। मोदी के इस सम्मान पर न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में खुशी जताई जा रही है। यह घटना भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख और पीएम मोदी की लोकप्रियता का बड़ा प्रतीक मानी जा रही है।
घाना का नाम कभी गोल्ड कोस्ट हुआ करता था. इस पश्चिम अफ्रीकी देशों में सोने का भंडार भी अच्छा खासा है. दुनिया का छठा सबसे बड़ा सोना उत्पादक ये देश 1957 में आजाद हुआ था. हालांकि भारत ने आजादी के छब साल पहले ही इसे मान्यता दे दी थी. अब ये देश दुनिया भर को रेयर अर्थ मैटेरियल्स के तौर पर दौर की सबसे अहम चीज मुहैया कराएगा. इसकी खोज और खनन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा के दौरान समझौता भी हो चुका है.

क्या होते हैं रेयर अर्थ मैटेरियल्स
रेयर अर्थ मैटेरियल्स आज के इस इलेक्ट्रानिक दौर में वो चीज है जिसके बिना कोई भी डिवाइस काम नहीं कर सकती. चाहें छोटा से छोटा चिप हो या बड़े से बड़ी कोई मॉर्डन गाड़ी या मशीन.इसे आरईइज के तौर पर भी जाना जाता है. इसमें 17 रासायनिक तत्वों होते हैं. इनका इस्तेमाल, स्मार्ट फोन,कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, डिसप्ले,बैटरी, सौर पैनल, चार्जर, मोटर, बैटरी, विंड टरबाइन, मिसाइल, राडार, लेजर, एमआरआई मशीन, कैंसर की रेडियोथेरिपी मशीन, एलईडी, पेट्रोलियम रिफाइनरी, कैटेलेटिक कनवर्टर समेत परमाणु ऊर्जा जैसी चीजों में किया जाता है.

चीनी मोनोपॉली को मिल सकती है बड़ी चुनौती
यहां ये भी बता देना सही होगा कि इस REES के उत्पादन में चीन की अभी तक मोनोपॉली है. दुनिया भर में पैदा होने वाले कुल रेयर अर्थ मैटेरियल का 70 फीसद अकेले चीन में होता है. चीन इसी के जोर पर पूरी दुनिया आंखें दिखता रहा है. आलम ये है कि अगर इस तरह के एलीमेंट न मिले तो भारत जैसे किसी भी देश की हालत खराब हो जाएगी.
भारत बड़ा निवेश करेगा
वैसे तो अभी घाना में इनका उत्पादन शुरु नहीं हुआ है, लेकिन अनुमान जताया जा रहा है कि भारत के सहयोग से खोज और खनन के बाद घाना 2 हजार टन सालाना का उत्पादन कर सकता है. खदान और खोज में भारत के सहयोग के बाद अफ्रीकी देशों से दुनिया के कुल भंडार का 10 फीसदी आरईईज निकाले जा सकते हैं. इसकी राह में रोड़ा बजट की समस्या ही रही है. अब भारत इस क्षेत्र में घाना के साथ शुरुआत करने जा रहा है.

पश्चिम अफ्रीका के इस छोटे से देश की आबादी दिल्ली जितनी है.करीब साढ़े तीन करोड़. फिर भी केंद्र सरकार ने पुरानी नीतियों पर चलते हुए घाना के साथ संबंध और प्रगाढ़ किए. भारत-घाना का व्यापार 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है. भारतीय कंपनियों ने घाना में 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. वहां अभी भी 900 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं.

पीएम मोदी की यात्रा की अहमियत
इस पृष्ठभूमि के बीच पीएम नरेंद्र मोदी का घाना दौरा बहुत ही अहम है. घाना ने भी पीएम का स्वागत उसी तरह से किया है. वहां का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना” भी पीएम मोदी को पेश किया गया. पीएम के घाना पहुंचने पर राष्ट्रपति ने हवाई अड्डे पर आ कर उनका स्वागत किया. पीएम मोदी को 21 तोपों की सलामी दी गई. घाना के बच्चों ने “हरे रामा-हरे कृष्णा” गाया. चीन की रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर पकड़ ढीली करने में ये दौरा बहुत अहम है. भारत ने घाना के साथ मिलकर इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. ये न सिर्फ आर्थिक सहयोग है, बल्कि रणनीतिक जवाब भी है. चीन अफ्रीका में अपने कर्ज के जाल से प्रभाव बढ़ा रहा है. लेकिन भारत की नीति अलग है. भारत सहयोग और विश्वास पर आधारित साझेदारी चाहता है. घाना के साथ भारत की ये दोस्ती चीन के लिए एक संदेश है. भारत अब अपनी जरूरतों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा. घाना में बहुत बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं. इसकी वजह से घाना और भारत के बीच व्यापारिक से ज्यादा सांस्कृतिक रिश्ता भी बहुत मजबूत है. ऐसे में पीएम के दौरों में घाना के साथ हुए समझौतों से न सिर्फ व्यापार और रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि चीन के एकाधिकार को झटका भी लगेगा.