Monday, July 7, 2025

PM Modi : का ‘पाक बेनकाब’ मिशन: थरूर और ओवैसी को क्यों चुना गया? जानें पूरी रणनीति

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Pm Modi : के मिशन 'पाक बेनकाब' में शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी की चौंकाने वाली एंट्री! जानें क्यों भेजा गया विरोधी खेमे के इन नेताओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और क्या है सरकार की पूरी योजना।

PM Modi : के मिशन पर थरूर और ओवैसी! जानें दोनों को क्यों चुना गया, क्या है प्लान ‘पाक बेनकाब’

PM Modi की छवि एक ऐसे नेता की है जो अपने निर्णयों से अक्सर सबको चौंका देते हैं। एक बार फिर उन्होंने विपक्ष के दो प्रमुख चेहरों — कांग्रेस के शशि थरूर और AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी — को अपने मिशन ‘पाक बेनकाब’ का हिस्सा बनाकर सबको चौंका दिया है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद नया कदम: पाकिस्तान को बेनकाब करने की रणनीति

नई दिल्ली:
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों पर जबरदस्त कार्रवाई के बाद अब भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति बनाई है। इस बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस और AIMIM जैसे विपक्षी दलों के नेता भी शामिल किए गए हैं। इस लिस्ट में शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी के नाम सबसे खास माने जा रहे हैं।

पीएम मोदी ने थरूर को क्यों चुना?

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शशि थरूर का संयुक्त राष्ट्र में लंबा अनुभव, उनकी कूटनीतिक समझ और अंग्रेजी पर पकड़ उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का बेहतरीन प्रतिनिधि बनाता है। थरूर 2006 में UN महासचिव की रेस में भी थे। वह पहले भी पीएम मोदी की विदेश नीति की रणनीतियों की तारीफ कर चुके हैं, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप के बयान के मामले में।

थरूर की कूटनीति से मोदी को उम्मीदें

  • UN में 30+ साल का अनुभव
  • कूटनीति के विशेषज्ञ
  • ऑपरेशन सिंदूर के समर्थक
  • पाकिस्तान के खिलाफ कई मंचों पर भारत का पक्ष रख चुके हैं
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ओवैसी को क्यों शामिल किया गया?

असदुद्दीन ओवैसी की छवि मुस्लिम चेहरा होने के साथ एक राष्ट्रवादी नेता की भी बनी है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद। उन्होंने खुले मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ तीखा विरोध जताया। ओवैसी की लॉ बैकग्राउंड, तार्किक शैली और डिबेट में धार उन्हें इस मिशन के लिए उपयुक्त बनाती है।

मुस्लिम देशों में भारत का पक्ष रखने में ओवैसी की भूमिका

  • लंदन से लॉ की पढ़ाई
  • पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोले
  • देश पहले की भावना बार-बार जाहिर की
  • मुस्लिम देशों में मजबूत प्रभाव डाल सकते हैं

1994 की तरह विपक्ष और सत्ता एकजुट

यह पहली बार नहीं है जब सभी दल मिलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का पक्ष रखेंगे। इससे पहले 1994 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (जिनेवा) में भारत का नेतृत्व सौंपा था। आज फिर वैसी ही एकता देखने को मिल रही है।

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Source – Ndtv
Written by – Pankaj Chaudhary

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