Monday, July 7, 2025

Shubhanshu Shukla Axiom-4 मिशन ISS जाने वाले पहले भारतीय, गगनयान की ओर भारत की बड़ी छलांग

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Shubhanshu Shukla Axiom-4

Shubhanshu Shukla Axiom-4 मिशन से भारत की अंतरिक्ष में नई छलांग

Axiom-4 Mission Update 28 Hour Journey Till International Space Station Shubhanshu  Shukla May Talk To Pm Modi - Amar Ujala Hindi News Live - Axiom-4 Mission:शुभांशु  शुक्ला को Iss पहुंचने में 28
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नई दिल्ली/केनेडी स्पेस सेंटर:
“नमस्ते, मैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हूं…” – इन गर्व भरे शब्दों से शुरू होता है भारत के एक और अंतरिक्ष इतिहास का नया अध्याय। भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला अब अंतरिक्ष की उस यात्रा पर निकलने वाले हैं, जो सिर्फ व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारत की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतीक है। 10 जून 2025 को Axiom Space द्वारा संचालित Axiom-4 मिशन के तहत वह स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे।


कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

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39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे हैं। साल 2006 में उन्हें भारतीय वायुसेना में कमीशन मिला था और तब से अब तक उन्होंने 2,000 से अधिक उड़ान घंटे का अनुभव हासिल किया है। उन्होंने मिग-21, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और AN-32 जैसे कई युद्धक और परिवहन विमानों की उड़ान भरी और परीक्षण किया है।

शुक्ला 15 वर्षों तक एक कॉम्बैट और टेस्ट पायलट रहे हैं। उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में भी प्रशिक्षण लिया है और अब वह अंतरिक्ष में कदम रखने वाले राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय नागरिक बनने जा रहे हैं।


क्या है Axiom-4 मिशन?

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Axiom-4 एक व्यावसायिक मिशन है जिसे Axiom Space द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसमें अंतरिक्ष यात्री SpaceX के क्रू ड्रैगन यान (C213) के माध्यम से ISS (International Space Station) तक की यात्रा करेंगे। यह मिशन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा और करीब 28 घंटे की यात्रा के बाद ISS से जुड़ेगा। शुक्ला समेत चार सदस्य इस मिशन में हिस्सा लेंगे और ISS पर लगभग 14 दिन बिताएंगे।


मिशन को क्यों कहा जा रहा है “मिशन आकाश गंगा”?

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भारतीय मीडिया और ISRO से जुड़े सूत्रों ने इस मिशन को “मिशन आकाश गंगा” का नाम दिया है। यह केवल एक तकनीकी मिशन नहीं, बल्कि भारत की भावनात्मक और वैज्ञानिक उन्नति की उड़ान है। इस मिशन से जुड़ी सबसे बड़ी बात यह है कि यह भारत को गगनयान जैसे स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए आवश्यक अनुभव देगा।


भारत के लिए क्यों है शुभांशु का मिशन अहम?

इस मिशन से भारत दो बड़े रिकॉर्ड बना रहा है:

  1. शुभांशु शुक्ला, ISS पर जाने वाले पहले भारतीय नागरिक होंगे।
  2. वे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय होंगे।

लेकिन इन तथ्यों से भी परे, यह मिशन भारत के गगनयान प्रोग्राम के लिए एक प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का काम करेगा। ISRO पहले ही यह संकेत दे चुका है कि शुभांशु शुक्ला गगनयान मिशन के लिए एक मजबूत उम्मीदवार हैं। Axiom-4 से मिलने वाला अनुभव भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए बेहद अहम साबित होगा।


गगनयान मिशन से कैसे जुड़ा है Axiom-4?

भारत की पहली मानवयुक्त उड़ान, गगनयान, 2027 में लॉन्च होने की योजना है। इस उड़ान से पहले ISRO दो मानवरहित मिशन लॉन्च करेगा, जिसमें अंतरिक्ष यात्रा की परिस्थितियों को परीक्षण किया जाएगा। Axiom-4 मिशन शुभांशु शुक्ला को जो अनुभव देगा, वह न केवल गगनयान की योजना में मदद करेगा, बल्कि क्रू सुरक्षा, माइक्रोग्रैविटी ट्रेनिंग, मिशन कंट्रोल सहयोग जैसे पहलुओं पर भी भारत को दिशा देगा।


शुभांशु की सोच: 1.4 अरब भारतीयों की उड़ान

शुक्ला ने अपने संदेश में कहा है:

“मुझे विश्वास है कि यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की है। मुझे उम्मीद है कि इससे देश में विज्ञान, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के प्रति नया जोश पैदा होगा।”

उनकी इस भावना ने देशभर में वैज्ञानिक सोच को एक नई ऊर्जा दी है। बच्चों और युवाओं के लिए वे एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं।


भारत की अंतरिक्ष रणनीति को मिलेगा बल

Axiom-4 मिशन को भारत के अंतरिक्ष विभाग ने “रणनीतिक महत्व” का बताया है। यह केवल अनुभव या रिकॉर्ड की बात नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के मिशन जैसे अंतरिक्ष स्टेशन (2035 तक), चंद्र मानव मिशन (2040 तक) की तैयारियों का हिस्सा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार ने इस मिशन के लिए 60 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।


राकेश शर्मा के बाद चार दशक में पहली अंतरिक्ष छलांग

1984 में राकेश शर्मा रूस के Soyuz-T11 मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे। इसके बाद भारत के किसी भी नागरिक ने अंतरिक्ष में कदम नहीं रखा। शुभांशु शुक्ला अब उस अंतराल को समाप्त कर रहे हैं। अंतरिक्ष विभाग के मुताबिक, शुक्ला का मिशन देश के लिए “नए युग की शुरुआत” है।


ISS पर 14 दिन: क्या सीखेंगे भारतीय यात्री?

शुभांशु शुक्ला ISS पर करीब 2 हफ्ते बिताएंगे। इस दौरान वे माइक्रोग्रैविटी में बॉडी बिहेवियर, फिजिकल और साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स, कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम जैसे कई पहलुओं पर अध्ययन करेंगे। ये सभी अनुभव गगनयान क्रू ट्रेनिंग के लिए अमूल्य साबित होंगे।


प्रधानमंत्री मोदी का भविष्य विज़न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने 2035 तक भारत का खुद का स्पेस स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने का लक्ष्य तय किया है। शुभांशु शुक्ला की उड़ान उस विज़न की पहली कड़ी है।

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