अक्टूबर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली की हवा तेजी से खराब होने लगती है, और यह सिलसिला दिवाली के बाद तक चलता रहता है। मौसमी बदलाव और आस-पास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं इस समय हवा को बेहद प्रदूषित कर देती हैं। दिल्ली सरकार ने इस बार भी पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। – भारतीय टीवी
पटाखों और पराली से बिगड़ती है दिल्ली की हवा
इस दौरान तापमान गिरने से हवा की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व वायुमंडल में ठहर जाते हैं। साथ ही, दिवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल से हवा की गुणवत्ता और खराब हो जाती है। दिल्ली के व्यस्त बाजारों जैसे सदर बाजार, चांदनी चौक और लक्ष्मी नगर में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
सरकार का कड़ा कदम: पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध
दिल्ली की सरकार ने 1 जनवरी तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री, भंडारण और जलाने पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है। इस फैसले का उद्देश्य दिवाली के दौरान होने वाले प्रदूषण को कम करना है। यदि कोई व्यक्ति इस प्रतिबंध का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदूषण और AQI: गंभीर स्तर तक पहुंचने की चेतावनी
विशेषज्ञों का अनुमान है कि नवंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली-NCR का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंच सकता है। इस स्थिति का मुख्य कारण पराली जलाना और दिवाली पर पटाखे फोड़ना है। हर साल दिवाली के बाद दिल्ली की हवा का AQI गंभीर से खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
पटाखों पर प्रतिबंध: जनता का सहयोग जरूरी
पटाखों पर प्रतिबंध के इस कदम को सफल बनाने के लिए जनता का सहयोग आवश्यक है। पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए लोगों को प्रदूषण रोकने के उपायों को अपनाना चाहिए। पटाखों की जगह दीयों, मोमबत्तियों और रोशनी से दिवाली मनाने की परंपरा को बढ़ावा देना चाहिए ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।
पराली जलाने पर भी नियंत्रण की जरूरत
पराली जलाने की समस्या का समाधान ढूंढना भी बेहद जरूरी है। सरकार और किसानों को मिलकर फसल अवशेषों के वैज्ञानिक निपटारे के उपायों को अपनाना चाहिए, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
नतीजा: प्रदूषण के खिलाफ जनता और सरकार का सहयोग
दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए जनता और सरकार का मिलकर काम करना अनिवार्य है। पटाखों पर प्रतिबंध और पराली जलाने पर सख्त कदम तभी प्रभावी होंगे जब हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझकर उनका पालन करेंगे।