Monday, July 7, 2025

जब बचपन की यादों ने रुलाया धीरेंद्र शास्त्री को, बोले- मां पलंग के नीचे सुला देती थीं

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Dhirendra Shastri cry

भीलवाड़ा के कुमुद विहार में पांच दिवसीय हनुमंत कथा का आयोजन चल रहा है, जिसमें बागेश्वर पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कथा वाचन कर रहे हैं। कथा के अंतिम दिन शास्त्री जी ने अपने संघर्षपूर्ण बचपन की मार्मिक कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उनकी मां ने उन्हें छत टपकने पर पलंग के नीचे सुला दिया था।

तीन दिन तक खाने का नहीं रहता था ठिकाना

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। उन्होंने बताया, “हमारे पास इतना भी नहीं था कि नियमित रूप से भोजन का इंतजाम हो सके। कई बार तीन दिन तक खाने का पता नहीं रहता था। मेरी मां मुझे एक पारले जी बिस्किट लाकर देती थीं ताकि किसी तरह हम समय निकाल सकें।”

बारिश के समय छत से टपकता था पानी

शास्त्री जी ने अपने बाल्यकाल की कठिनाइयों को याद करते हुए कहा कि जब बारिश होती थी, तो उनकी झोपड़ी की छत टपकने लगती थी। “जब भी बारिश होती थी, मेरी मां मुझे पलंग के नीचे सुला देती थीं ताकि मैं गीला ना होऊं। हमारे पास रहने के लिए एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें पानी टपकता था,” उन्होंने बताया।

गुरुदेव और माता-पिता के संघर्ष को किया याद

कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने अपने गुरुदेव और माता-पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की और बताया कि उनके मार्गदर्शन के कारण ही वे आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, “मेरे गुरुदेव जगतगुरु रामभद्राचार्य जी का आशीर्वाद और माता-पिता का बलिदान ही मेरा सहारा बने। मैं आज हनुमान जी से प्रार्थना करता हूं कि जैसे उन्होंने मेरी कठिनाइयों को दूर किया, वैसे ही सभी की मदद करें।”

गरीब की सुनने वाला सिर्फ परमात्मा है

शास्त्री जी ने यह भी कहा कि दुनिया में गरीब की सुनने वाला सिर्फ परमात्मा है। “देश में गरीब की आवाज सिर्फ हनुमान जी ही सुनते हैं। वे ही संकटमोचन हैं, जो गरीबों की पीड़ा हरते हैं। मैं आज इस मुकाम पर हनुमान जी की कृपा से हूं। वे सबकी पीड़ाएं हर लेते हैं और गरीबों का सहारा बनते हैं,” उन्होंने कहा।

उद्देश्य: गरीबों की मदद और बेटियों की शादी

धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी बताया कि उनका उद्देश्य गरीब बेटियों की शादी कराना है। उन्होंने कहा कि वे बड़े लोगों के संपर्क में केवल इसलिए रहते हैं ताकि वे इस नेक काम में सहायता कर सकें। “मेरा उद्देश्य नाम कमाना नहीं, बल्कि उन बेटियों की मदद करना है जिन्हें आर्थिक सहायता की आवश्यकता है,” उन्होंने कहा।

जीवन की सीख: अमीरों से नहीं, परमात्मा से करें प्रार्थना

धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी कथा के अंत में सबको सलाह दी कि अगर जीवन में कोई भी परेशानी हो, तो अमीरों से सहायता मांगने के बजाय परमात्मा से प्रार्थना करें। उन्होंने कहा, “अमीर लोग आपकी गरीबी को नहीं समझ सकते। परमात्मा ही हैं जो गरीबों की सुनते हैं और उनकी मदद करते हैं।

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