Axiom-4 Launch मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अपने पहले संदेश में ‘जय हिंद जय भारत’ कहकर देशवासियों का दिल जीत लिया। जानिए उन्होंने स्पेस से और क्या-क्या कहा जो हर भारतीय को गर्व से भर देगा।
शुभांशु शुक्ला ने अपने पहले संदेश में कहा – “41 वर्षों बाद भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष में कदम रखा है। मेरे कंधों पर लहराता तिरंगा इस बात का प्रतीक है कि मैं वहां नहीं, बल्कि आप सभी के साथ हूं। यह यात्रा बेहद अद्भुत और गर्व से भरी हुई है।”
भारत का Axiom-4 मिशन SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के ज़रिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस ऐतिहासिक उड़ान के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गर्व से अंतरिक्ष में भारत की वापसी का संदेश दिया। इस मिशन में ISRO, NASA और ESA के अनुभवी अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं, जो मिलकर विज्ञान और मानवता के लिए नई खोजों की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा को मिली नई ऊंचाई, शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास

SpaceX के फाल्कन 9 से रॉकेट से Axiom-4 मिशन की सफल लॉन्चिंग
भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। भारतीय मूल के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्राओं को ले लेकर अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी SpaceX का Falcon -9 रॉकेट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की ओर रवाना हो चुका है। यह रॉकेट NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया, जिसे विश्व के सबसे प्रतिनिष्ठत लॉन्च पैड में से एक माना जाता है। यह वही लॉन्च साइट है जहां से 1969 में नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी।
41 साल बाद भारत का अंतरिक्ष में गर्वपूर्ण आगमन
Axiom – 4 मिशन भारत के लिए इसीलिए भी बेहद खास है क्योंकि लगभग 41 वर्षों के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी। अब शुभांशु शुक्ला ने यह परंपरा फिर से जीवित कर दी है और भारत को एक बार फिर अंतरिक्ष के नक्शे पर मजबूती से स्थापित किया है।
शुभांशु शुक्ला का भावुक संदेश
Falcon-9 की सफल उड़ान के बाद शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से अपना पहला संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने भारत के लिए अपने गर्व और समर्पण को साझा किया। उन्होंने कहा:-
हम चाहते हैं कि इस खास पल पर हर भारतीय को गर्व हो। यह सिर्फ मेरा नहीं, पूरे भारत का मिशन है। 41 वर्षों बाद एक बार फिर भारत अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। मेरे कंधे पर लहराता हुआ तिरंगा इस बात का प्रतीक है कि मैं भले ही अंतरिक्ष में हु, लेकिन मेरा दिल और आत्मा देश के साथ है। यह सफर बेहद शानदार है और मैं इसे हमेशा याद रखूंगा।
ISRO, NASA और ESA का साझा प्रयास
Axiom-4 मिशन केवल भारत ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का भी प्रतीक है। इस मिशन में ISRO ( भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के साथ -साथ NASA ( अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी) और ESA ( यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) के विशेषज्ञ और अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं। यह मिशन विज्ञान, शोध और मानवता के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
भारत के लिए गर्व और प्रेरणा का पल
शुभांशु शुक्ला की या उपलब्धि देश के युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा बनकर सामने आई है। यह दर्शाता है कि यदि समर्पण और मेहनत हो, तो अंतरिक्ष भी हमारे से दूर नहीं। इस ऐतिहासिक मिशन के माध्यम से भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता और क्षमता को एक बार फिर साबित किया है।
सुधांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से संदेश: “भारत के मानव अंतरिक्ष में बस शुरुआत है”
“नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों,
यह सफर अविश्वसनीय रहा है। आज हम इतिहास का एक नया अध्याय लिख रहे हैं। 41 वर्षों के बाद भारत में एक बार फिर अंतरिक्ष में कदम रखा है और मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आप सभी इस मिशन का हिस्सा है।
इस वक्त हम लगभग 7.3 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधे पर लगा तिरंगा यह बताता है कि मेरी यात्रा सिर्फ मेरी नहीं, पूरे भारत की है।
यह केवल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक की मेरी उड़ान नहीं है, बल्कि यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की आधिकारिक शुरुआत है। मै चाहता हूं कि इस ऐतिहासिक मौके पर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो।
आइए मिलकर इस नए युग की शुरुआत करें। इस अपने को साकार करे।
अपनी खुशी और जोश को खुलकर दिखाइए।
भारत के लिए, भविष्य के लिए –
जय हिंद! जय भारत!”
Axiom-4 मिशन में कौन कौन अंतरिक्ष की उड़ान पर निकला??
Axiom-4 मिशन एक बहुराष्ट्रीय और ऐतिहासिक मिशन है, जिसमें चार देशों के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। यह मिशन न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि कई देशों के लिए मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की नईं शुरुआत का प्रतीक भी है।

भारत – शुभांशु शुक्ला ( पायलट)
इस मिशन में भारत की ओर से ISRO के ग्रुप कैप्टेन शुभांशु शुक्ला हिस्सा ले रहे हैं। वे प्रतिनिधि है और Axiom -4 में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं और यह उनके लिए एक ऐतिहासिक उड़ान है।
अमेरिका – पैगी व्हिटसन ( कमांडर)
NASA की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमांडर हैं। वह अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री मानी जाती है और अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला भी हैं। उनके अनुभव ने इस मिशन को और भी सशक्त बनाया है।
पोलैंड – स्लावोज उज्जानसकी – विस्तृवस्की (स्पेशलिस्ट)
पोलैंड से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्जानसकी – विस्तृवस्की को मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर शामिल किया गया है। यह पोलैंड के लिए मानव अंतरिक्ष यान की वापसी का बड़ा प्रतीक है।
हंगरी – टीबोर कापु ( स्पेशलिस्ट)
हंगरी से टीबोर कापु इस मिशन का हिस्सा बने हैं जो स्पेशलिस्ट के रूप में Axiom -4 के वैज्ञानिक और तकनीकी मिशनों में सहयोग कर रहे हैं। उनके शामिल होने से यह मिशन हंगरी के लिए भी अंतरिक्ष में एक नई शुरुआत बन गया है।
एक ऐतिहासिक वापसी
भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए यह मिशन कई वर्षों बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान की वापसी का प्रतीक है। अंतरास्ट्रीय सहयोग और विविधता से भरपूर यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया युग स्थापित कर रहा है।
भारत का अंतरिक्ष विजन: Axiom -4 से चांद तक की यात्रा की शुरुआत
Axiom-4 मिशन बना भारत की अंतरिक्ष प्रतिबद्धता का प्रतीक
Axiom space के अनुसार, Axiom-4 मिशन में ISRO द्वारा किए जा रहे रिसर्च और वैज्ञानिक प्रयोग इस बात का प्रमाण है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी नवाचारों के क्षेत्र में पूरी तरह समर्पित है। ये प्रयोग न केवल विज्ञान में नईं प्रगति की ओर संकेत करते हैं, बल्कि आने वाले पीढ़ियों के वैज्ञानिकों और इंजीनियरो को प्रेरित भी करते हैं।
यह मिशन यह दर्शाता हैं कि भारत सिर्फ एक भागीदार नहीं, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में एक सक्रिय योगदानकर्ता बन चुका है। जैसे – जैसे भारत अंतरिक्ष में अपने पांव और मजबूत करता जा रहा है, वह दुनिया को दिखा रहा है कि भविष्य की टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और जीवन की संभावनाएं अब पृथ्वी तक सीमित नहीं हैं।
Axiom-4 से आगे की योजना: अंतरिक्ष में भारा का भविष्य
Axiom -4 मिशन केवल एक स्टार्टिंग पॉइंट है। इसके बाद भारत के पास एक दूरदर्शी और मजबूत अंतरिक्ष रणनीति है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ाया जा रहा है:
2026-2027 :
श्रीहरिकोटा से पूरी तरह से भारतीय मिशन के तहत एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना है। यह,गगनयान, परियोजना का हिस्सा होगा।
2035 तक :
भारत का अपना ‘ Indian Space station station ‘ ( भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) स्थापित करने का लक्ष्य है, जो देश को अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बनाएगा।
2040 तक:
भारत ने एक संकल्प लिया है कि एक भारतीय को चंद्रमा की सतह पर स्वदेशी तकनीक के माध्यम से भेजा जाएगा। यह न सिर्फ तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक होगा, बल्कि भारत को अंतरिक्ष की अग्रणी शक्तियों में शामिल होगा।

Axiom-4 : उस बड़े सपने की पहली सीढ़ी
Axiom-4 मिशन, जिसमे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत का प्रतिनिधित्व किया, उस दीर्घकालिक यात्रा की पहली ठोस कड़ी है, जो भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की ओर ले जा रही है।
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