Indian Astronaut की ओर भारत की उड़ान ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन से रचेंगे इतिहास

नई दिल्ली: भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में नया इतिहास रचने जा रहा है। लगभग 40 साल बाद एक भारतीय नागरिक, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, 10 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से मानव अंतरिक्ष मिशन एक्सिओम-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे।
मिशन की जानकारी: कब, कहां और कैसे?

Axiom-4 मिशन 10 जून को लॉन्च होगा और यह स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट पर आधारित होगा, जिसमें क्रू ड्रैगन कैप्सूल के जरिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक भेजा जाएगा। 28 घंटे की उड़ान के बाद यह यान 11 जून को भारतीय समयानुसार रात लगभग 10 बजे अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचेगा।
कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी हैं और इस मिशन में मिशन पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। वह इस उड़ान में यान की मुख्य तकनीकी और उड़ान संबंधित जिम्मेदारियों को संभालेंगे। साथ ही, वह अंतरिक्ष स्टेशन पर होने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

यह केवल एक मिशन नहीं है, यह भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा और वैश्विक स्तर पर सहभागिता का प्रतीक है।
क्या बोले एक्सिओम स्पेस के चीफ एस्ट्रोनॉट?

माइकल लोपेज़-एलेग्रिया, जो खुद एक पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री रह चुके हैं और 257 दिन अंतरिक्ष में बिता चुके हैं, ने शुक्ला की जमकर सराहना की है। उन्होंने कहा:
“शुक्ला बहुत अच्छी तरह प्रशिक्षित हैं। हां, वह दबाव महसूस करेंगे लेकिन उनका प्रशिक्षण उन्हें हर स्थिति में संभालना सिखा चुका है। मुझे पूरा विश्वास है कि वह बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे।”
लोपेज़-एलेग्रिया ने उनका कॉल साइन “Shuks” कहते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं – “Shuks, इसका आनंद लो और कमाल करो!”
मिशन के उद्देश्यों में भारत की भागीदारी
Axiom-4 मिशन के ज़रिए भारत पहली बार किसी कॉमर्शियल क्रू मिशन का हिस्सा बन रहा है, जिसे भारत सरकार द्वारा फंड किया गया है। इसका मतलब है कि अब भारत केवल अपने अंतरिक्ष अभियानों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग के नए दौर में प्रवेश कर चुका है।
इस मिशन की तुलना साल 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा की उड़ान से की जा रही है। जहां राकेश शर्मा ने सोवियत संघ की मदद से अंतरिक्ष की यात्रा की थी, वहीं अब शुभांशु शुक्ला स्पेसएक्स जैसे निजी कंपनी और नासा के संयुक्त मिशन में भाग ले रहे हैं।
वैश्विक मिशन, बहुराष्ट्रीय टीम
शुक्ला के साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री होंगे – जिनमें हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के नागरिक शामिल हैं। यह मिशन एक बहुराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है और भारत के बढ़ते कद को वैश्विक मंच पर रेखांकित करता है।
‘हैप्पी स्प्लैशडाउन’ का क्या मतलब?
NDTV द्वारा पूछे गए सवाल पर कि क्या मिशन की सफल लैंडिंग होगी, लोपेज़-एलेग्रिया ने हंसते हुए कहा – “हैप्पी स्प्लैशडाउन।” यानी 14 दिन बाद मिशन पूरा होने पर क्रू ड्रैगन यान समुद्र में उतरेगा, जिसे ‘स्प्लैशडाउन’ कहा जाता है। यह सुरक्षित वापसी का संकेत है।
भविष्य की दिशा: गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन
शुक्ला का मिशन केवल एक उड़ान नहीं बल्कि भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए एक बुनियादी कदम है। आने वाले वर्षों में भारत की निगाहें गगनयान, अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर लैंडिंग की योजनाओं पर है। यह मिशन दिखाता है कि भारत अब “स्पेस सुपरपावर” बनने की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहा है।
भारत का गौरव, जनता का गर्व
भारत में इस मिशन को लेकर भारी उत्साह है। वैज्ञानिक समुदाय से लेकर आम नागरिकों तक, सबकी निगाहें इस प्रक्षेपण पर टिकी हैं। जैसे-जैसे लॉन्च की तारीख नज़दीक आ रही है, सोशल मीडिया पर #ShubhanshuShukla और #Axiom4 जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
लोपेज़-एलेग्रिया ने कहा:
“Go Falcon 9. Go Crew Dragon. Go Group Captain Shubhanshu Shukla!”