Shubhanshu Shukla के साथ ISS पहुंचा एक Cute Member भी, Mission बना और भी खास!: हंस खिलौना सिर्फ माइक्रोग्राविटी दिखाने वाला साधन नहीं, बल्कि उनके दिल के बेहद करीब है।
New Delhi:
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के साथ एक अनोखा और बेहद खास “पांचवां यात्रा” भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ISS तक पहुंचा है। चौक गए न? लेकिन ये कोई इंसान नहीं बल्कि एक प्यारा सा सॉफ्ट टॉय – ( swan plus Toy) है, जिसकी चर्चा खुद शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से लाइव वेबकास्ट में की। शुभांशु शुक्ला ने इसे सिर्फ जीरो ग्रैविटी इंडिकेटर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक साथी बताया।

भारतीय वायु सेवा के पायलट रह चुके शुभांशु अब अंतरिक्ष यात्री बन चुके हैं और उन्होंने गुरुवार को Axiom misson -4 ( Ax-4) के तहत अपने तीन अंतर्राष्ट्रीय साथियों के साथ सफलतापूर्वक ISS पर दस्तक दी। उनके इस मिशन में पोलैंड, अमेरिका और हंगरी के भी यात्री शामिल हैं।
यह सॉफ्ट टॉय ‘ हंस ‘ केवल एक तकनीकी उपकरण की तरह इस्तेमाल नहीं हुआ, बल्कि यह सांस्कृतिक रूप से भी काफी अहम है। भारत में हंस को ज्ञान, शुद्धता और शांति का प्रतीक माना जाता है, वही पोलैंड और हंगरी में भी यह पक्षी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से खास महत्व रखता है। यही वजह है कि यह छोटा सा खिलौना, इस अंतरिक्ष यात्रा में गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बन गया है।
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से ‘ जॉय ‘ की कहानी सुनाई – एक खास साथी जो सिर्फ खिलौना नहीं
अंतरिक्ष में रहकर भी दिल भारत में ही है। यही भाव अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS से शुभांशु शुक्ला की लाइव वेबकास्ट के दौरान भी नजर आया। उन्होंने अपने साथ आए उसे सफेद रंग के सॉफ्ट टॉय हंस के बारे में बात की, जिसे उन्होंने जॉय नाम दिया है। सुधांशु ने कहा किया खिलौना उनके लिए केवल एक जीरो ग्रेविटी इंडिकेटर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रतीक है।
वेबकास्ट की शुरुआत शुभांशु ने भारतीय अंदाज में “नमस्ते” कह की। उन्होंने बताया कि रॉकेट लॉन्चिंग से पहले वह काफी नर्वस थे, लेकिन ‘ जॉय ‘ उनके लिए एक भावनात्मक सहारा बन रहा। लाइव के दौरान उन्होंने हंस को अपने हाथ में उठाया और कहा, “हमने आपको जॉय और ग्रेस दिखाया। यह केवल एक क्यूट हंस नहीं है, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।”
उन्होंने आगे बताया कि भारतीय परंपरा में हंस को ज्ञान और विवेक का प्रतीक माना गया है। ” हंस में वह विशेषता होती है कि वह यह पहचान सके कि किस बात पर ध्यान देना चाहिए और किसे छोड़ देना चाहिए। यह चयन बुद्धि का प्रतीक है,और हमारे लिए बेहद खास है,” शुभांशु ने भाविक अंदाज में कहा।
‘ जॉय ‘ ना केवल एक संकेतक है कि अंतरिक्ष यान माइक्रोग्रेविटी जोन में प्रवेश कर चुका है, बल्कि यह भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के सांस्कृतिक मूल्यों को जोड़ने वाला एक साइलेंट मैसेंजर भी है।
इस पूरे अनुभव को सुनते समय यह साफ दिखा कि शुधांशु की यात्रा केवल विज्ञान और तकनीक की नहीं, बल्कि संस्कृति, भावनाओं और आत्मिक जुड़वा की भी है।

हंस: एक सांस्कृतिक प्रतीक जो भारत, पोलैंड और हंगरी को जोड़ता है
अंतरिक्ष से जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुधांशु शुक्ला ने अपने जॉय नाम के सॉफ्ट टॉय हंस के बारे में बताया, तो उन्होंने केवल एक खिलौने की बात नहीं की, बल्कि तीन देशों की संस्कृति, आस्था और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक सामने रखा। शुभांशु ने सही कहा कि भारतीय संस्कृति में हंस को गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक मान्यता प्राप्त है।
भारतीय संस्कृति में हंस का महत्व
भारत में हंस को शुद्धता, विवेक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से हिंदू धर्म में, देवी सरस्वती का वाहन हंस है – जो ज्ञान और विद्या की देवी है।
ऐसा विश्वासहै कि हंस में दूध और पानी को अलग करने की विशेष क्षमता होती है, जिसे रूपक के रूप में सत्य और असत्य, अच्छाई और बुराई के बीच अंतर करने की शक्ति के रूप में देखा जाता हैं। इसीलिए हंस भारतीय दर्शन में विवेक और चेतना का प्रतिनिधि माना जाता है।
पोलैंड में हंस की महता
भारत की तरह पोलैंड में भी हंस को बहुत महत्व दिया जाता है। वहां इसे सुंदरता, प्रेम, वफादारी, और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। पालिश लोककथाओं और परम्पराओं में हंस को अक्सर प्राकृतिक सौंदर्य और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते हुए दर्शाया गया है।
पोलैंड के शांत जल क्षेत्रों में पाया जाने वाला ‘ मूक हंस’ ( mute swan) जैव विविधता के लिए भी अहम है, जिसे संरक्षण योजनाओं के तहत विशेष सुरक्षा दी जाती है।
हंगरी में हंस की भूमिका
हंगरी में भी हंस – खासकर sigrus Olor यानी मूक हंस – वहां की प्रकृति और वाइल्डलाइफ का अहम हिस्सा हैं। इसकी लंबी गर्दन, लाल नारंगी चर्च और सफेद पंख इसे पहचान योग बनते हैं।
लेक बालाटन और लेक वेलेंस जैसे क्षेत्रों में यह हंस बड़ी संख्या में पाया जाता है। हंगेरियन बर्ड रिंगिंग सेंटर इसकी निगरानी करता है ताकि प्रवास और सर्दियों में इनके व्यवहार का अध्ययन किया जा सके।
यहां पर भी हंस को प्रेम और निष्ठा (loyalty) का प्रतीक माना जाता है।
