Monday, July 7, 2025

Competetive Exams mein Preparetion बच्चे को अव्वल लाने के 7 आसान टिप्स, पैरेंट्स ऐसे बनें गाइड

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Competetive Exams mein Preparetion अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में टॉप करे, तो उसे सिर्फ ट्यूशन या किताबें नहीं, बल्‍कि घर पर सपोर्ट और सही गाइडेंस की भी जरूरत होती है। जानिए 7 ऐसे आसान और असरदार तरीके, जिनसे माता-पिता बच्चे की सफलता की राह आसान बना सकते हैं।

Competetive Exams mein Preparetion रहेगा अव्‍वल, माता-प‍िता इस तरह बनें मजबूत सपोर्ट सिस्टम

आज के समय में कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स सिर्फ एक टेस्ट नहीं, बल्कि करियर की दिशा तय करने वाला सबसे बड़ा पड़ाव बन चुके हैं। चाहे बात UPSC की हो, JEE या NEET की, या फिर SSC और बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की – इनका मुकाबला करना हर बच्चे के लिए आसान नहीं होता। यहां लाखों बच्चों में से केवल कुछ चुनिंदा ही कामयाब हो पाते हैं। ऐसे में माता-पिता की भूमिका सिर्फ पढ़ाई करवाने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उन्हें बच्चे का सबसे मजबूत इमोशनल और स्ट्रेटेजिक सपोर्ट बनना पड़ता है।

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में हमेशा अव्वल रहे, तो इस आर्टिकल में दिए गए ये 7 टिप्स आपकी बहुत मदद कर सकते हैं।


1. सबसे पहले खुद समझें सिलेबस और एग्जाम पैटर्न

अक्सर माता-पिता बच्चे को बिना पूरी जानकारी दिए बस पढ़ने को कह देते हैं। लेकिन पहला कदम है खुद जानकारी जुटाना।

  • ऑफिशियल सिलेबस डाउनलोड करें – हर परीक्षा का अपना एक तय पैटर्न होता है। वेबसाइट या ब्रोशर से सिलेबस लें।
  • सभी सब्जेक्ट्स और टॉपिक्स की लिस्ट बनाएं।
  • क्वेश्चन टाइप्स जानें – जैसे MCQ, लॉन्ग आंसर या केस स्टडी बेस्ड सवाल।
  • नेगेटिव मार्किंग है या नहीं, ये भी जांच लें।

जब आपको और आपके बच्चे को सिलेबस क्लियर होगा, तभी आप दोनों मिलकर एक स्मार्ट स्टडी प्लान बना पाएंगे।


Competetive Exams
Competetive Exams preparation for children

2. बच्चे की रूटीन और रियलिटी को समझें

हर बच्चे की पढ़ने की कैपेसिटी अलग होती है। एक कठोर और घंटों की पढ़ाई वाला शेड्यूल बच्चा लंबे समय तक नहीं चला सकता।

  • पढ़ाई को छोटे हिस्सों में बांटें – हर दिन सिर्फ 1 या 2 टॉपिक लें।
  • हफ्तेभर का लक्ष्य सेट करें – ताकि पूरा सिलेबस धीरे-धीरे कवर हो।
  • बीच-बीच में ब्रेक्स जरूर दें – इससे बच्चा बर्नआउट से बचेगा।
  • खेल और पढ़ाई का संतुलन बनाएं – फिजिकल एक्टिविटी भी जरूरी है।

बच्चे को शेड्यूल बनाने में शामिल करें। इससे उसे खुद भी पढ़ाई की अहमियत का अहसास होगा और वह जिम्मेदारी से जुड़ेगा।


3. एक शांत और प्रॉडक्टिव स्टडी स्पेस बनाएं

पढ़ाई के लिए एक सही माहौल होना बहुत जरूरी है। इससे फोकस बना रहता है और डिस्ट्रैक्शन कम होती है।

  • डेस्क और चेयर ऐसी जगह रखें जहां शांति हो।
  • फालतू चीजें जैसे मोबाइल, टीवी दूर रखें।
  • लाइटिंग और वेंटिलेशन का भी ध्यान रखें।
  • जरूरी सामान जैसे किताबें, पेन, कैल्क्युलेटर साथ रखें।

बच्चे को यह एहसास होना चाहिए कि यह जगह सिर्फ पढ़ाई के लिए है, जिससे उसका दिमाग खुद-ब-खुद फोकस मोड में आ जाए।


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Competetive Exams preparation for children

4. प्रैक्टिस को पढ़ाई का हिस्सा बनाएं, ऑप्शन नहीं

सिर्फ पढ़ना काफी नहीं है, कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में रियल गेम होता है टाइम मैनेजमेंट और प्रैक्टिस का।

  • शुरुआत आसान सवालों से करवाएं – इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • टाइमर लगाकर मॉक टेस्ट करवाएं – ताकि एग्जाम पैटर्न की आदत पड़े।
  • गलतियों को रिव्यू करें – और समझाएं कि कहां सुधार की जरूरत है।
  • बार-बार रिवीजन कराएं – ये याददाश्त को मजबूत करता है।

हर हफ्ते एक बार मॉक टेस्ट जरूर करवाएं ताकि तैयारी का रियल एनालिसिस हो सके।


5. रट्टा नहीं, समझदारी से पढ़ाई सिखाएं

एग्जाम में वही बच्चे आगे निकलते हैं जिनकी कॉन्सेप्ट क्लैरिटी होती है।

  • बच्चों को टॉपिक रटवाने की जगह उदाहरण देकर समझाएं।
  • अगर बच्चा सवाल करे तो झुंझलाएं नहीं, उसकी जिज्ञासा बढ़ाएं।
  • डाइग्राम्स, चार्ट्स और वीडियो की मदद लें – इससे विजुअल मेमोरी मजबूत होती है।
  • अलग-अलग एंगल से सवाल पूछें – ताकि सोचने की क्षमता बढ़े।

जब बच्चा चीजों को अपने तरीके से समझना शुरू कर देगा, तो खुद ब खुद आत्मनिर्भर भी बन जाएगा।


6. सेहत का रखें पूरा ध्यान, नहीं तो सारी मेहनत बेकार

कई बार बच्चे को पढ़ाई के चक्कर में नींद और खाना छोड़ते देखा गया है, जो खतरनाक साबित हो सकता है।

  • हेल्दी डाइट जरूरी है – दालें, सब्जियां, फल, ड्रायफ्रूट्स जरूर शामिल करें।
  • नींद से समझौता न करें – 7–8 घंटे की नींद जरूरी है।
  • हर दिन 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है – चाहें वॉक हो या कोई गेम।
  • रिलैक्सेशन टाइम दें – म्यूजिक, मेडिटेशन या पसंदीदा एक्टिविटी का समय जरूर दें।

सेहत ही असली पूंजी है, इसे नजरअंदाज करना लंबे समय में नुकसानदायक हो सकता है।


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7. बच्चे को मोटिवेट करते रहें, रिजल्ट नहीं एफर्ट की तारीफ करें

सबसे जरूरी बात – बच्चे के साथ इमोशनल लेवल पर जुड़ें।

  • छोटा अचीवमेंट हो तो भी सराहें।
  • अगर बच्चा थक जाए या फेल हो जाए, तो उसे झिड़कें नहीं। उसकी भावनाएं समझें।
  • पॉजिटिव सोच सिखाएं – “गलतियां होती हैं, लेकिन उनसे सीखना जरूरी है।”
  • उसे बताएं कि आप उसके पीछे मजबूती से खड़े हैं – रिजल्ट चाहे जो हो।

जब बच्चे को लगेगा कि माता-पिता उसे केवल नंबर के लिए नहीं, उसकी मेहनत के लिए सराहते हैं – तब वह खुद भी पूरे दिल से कोशिश करेगा।


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