महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में महायुति की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। मौजूदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अब तक कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है।
फडणवीस का नाम सबसे आगे
महायुति ने बिना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भाजपा आलाकमान की मुहर लगती है, तो फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं। सूत्रों की मानें तो उन्हें ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
शिवसेना और एनसीपी का दबाव
हालांकि, एकनाथ शिंदे के समर्थक ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के तहत पहले कार्यकाल की मांग कर रहे हैं। एनसीपी भी अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए 2-2-1 साल के फॉर्मूले की वकालत कर रही है, लेकिन भाजपा ने इसे खारिज कर दिया है। वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने साफ कहा है कि ऐसा फॉर्मूला संभव नहीं है।

RSS और भाजपा की पसंद फडणवीस
भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर सहमति जताई है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि फडणवीस ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं।
तीनों दलों की बैठक से होगा अंतिम निर्णय
मुख्यमंत्री पद पर फैसला तीनों दलों—भाजपा, शिवसेना, और एनसीपी—के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में लिया जाएगा। फिलहाल, शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे, एनसीपी की ओर से अजित पवार, और भाजपा की ओर से विधायक दल का नेता चुना जाना बाकी है।
तीनों दलों का चुनावी प्रदर्शन
इस चुनाव में भाजपा ने 132 सीटों के साथ 89% स्ट्राइक रेट हासिल किया। शिवसेना ने 57 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं। यह प्रदर्शन तीनों दलों की गठबंधन शक्ति को दर्शाता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषक जयंत मेनकर के अनुसार, “मुख्यमंत्री पद को लेकर अगर भाजपा किसी एक पार्टी की अनदेखी करती है, तो यह गठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकता है। नाराजगी की स्थिति में शिवसेना उद्धव ठाकरे और एनसीपी शरद पवार को फिर से सक्रिय कर सकती है।”