Monday, July 7, 2025

Mumbai police को मिली 1.29 करोड़ की डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड में बड़ी सफलता, जानिए बचने के उपाय

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Mumbai police को डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड केस में मिली बड़ी कामयाबी, जानिए बचने के उपाय

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डिजिटल दुनिया जितनी तेजी से विकसित हो रही है, उतनी ही तेजी से साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं। स्कैमर्स अब ऐसे जाल बिछा रहे हैं, जिनमें फंसना आम आदमी के लिए बेहद आसान हो गया है। एक ऐसा ही मामला सामने आया है डिजिटल अरेस्ट स्कैम का, जिसमें मुंबई पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। पुलिस ने 1.29 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को समय रहते ट्रेस कर पैसे जब्त कर लिए।

इस मामले ने यह साबित कर दिया कि डिजिटल फ्रॉड अब किसी भी उम्र, प्रोफेशन या क्षेत्र के व्यक्ति को निशाना बना सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस मामले में पुलिस की कार्रवाई, स्कैमर्स के तरीके और उनसे बचने के उपाय।


क्या है डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड?

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डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की धोखाधड़ी है, जिसमें स्कैमर्स खुद को किसी सरकारी एजेंसी जैसे कि TRAI, CBI या पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वे यह कहते हैं कि आपका नाम किसी अपराध में जुड़ा हुआ है और आपको “डिजिटल रूप से गिरफ्तार” किया जा रहा है। इसके बाद वे वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल के जरिए बात करते हैं और पीड़ित को पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।


मुंबई पुलिस की कार्रवाई: कैसे पकड़ में आया फ्रॉड?

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मुंबई पुलिस की साइबर ब्रांच को 4 जून 2025 को एक 73 वर्षीय डॉक्टर से शिकायत मिली कि उनके साथ 2.89 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है। स्कैमर्स ने उन्हें कॉल कर खुद को TRAI और अन्य सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश किया। उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उनका नंबर किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल है, और अब उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया जाएगा।

इस डर और भ्रम में आकर डॉक्टर ने स्कैमर्स के कहे अनुसार कई बैंक अकाउंट्स में बड़ी धनराशि ट्रांसफर कर दी। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और 2 से 4 जून के बीच ट्रांसफर की गई रकम में से 1.29 करोड़ रुपये फ्रीज करवा दिए।


टेक्नोलॉजी और सतर्कता से पकड़ा गया फ्रॉड

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पुलिस ने 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर की मदद से पीड़ित की शिकायत को तुरंत प्रोसेस किया और बैंक खातों को ट्रैक करना शुरू किया। पुलिस ने यह बताया कि मोबाइल नंबर, बैंक डिटेल और आईपी एड्रेस की निगरानी करके यह कार्रवाई की गई। जिन खातों में पैसे ट्रांसफर हुए थे, उन्हें फ्रीज कर दिया गया, ताकि आरोपी रकम निकाल न सकें।


फ्रॉड में इस्तेमाल हुए तरीके

इस मामले में स्कैमर्स ने निम्नलिखित तरीकों से डॉक्टर को फंसाया:

  • खुद को TRAI और अन्य अधिकारियों के रूप में पेश किया।
  • वीडियो कॉल के माध्यम से “डिजिटल अरेस्ट” का माहौल बनाया।
  • बैंक डिटेल लेकर बड़ी रकम अपने खातों में ट्रांसफर करवाई।
  • लगातार मानसिक दबाव बनाकर डॉक्टर को भ्रमित किया।

लोगों से पुलिस की अपील

मुंबई पुलिस ने इस मामले की जानकारी सार्वजनिक करते हुए लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और इस तरह के कॉल्स से सावधान रहें। किसी भी अनजान व्यक्ति को बैंक या व्यक्तिगत जानकारी बिल्कुल न दें, चाहे वह खुद को कोई सरकारी अधिकारी ही क्यों न बताए।

पुलिस ने यह भी बताया कि अगर किसी को ऐसा कॉल आए तो वे तुरंत ‘डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन’ 7715004444 या 7400086666 पर संपर्क करें।


डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए जरूरी सावधानियां

मुंबई पुलिस ने कुछ जरूरी सावधानियों के बारे में बताया है, जिन्हें अपनाकर आप खुद को साइबर फ्रॉड से बचा सकते हैं:

  1. अनजान कॉल्स से सतर्क रहें:
    अगर कोई अनजान व्यक्ति कॉल करके सरकारी अधिकारी बनने का दावा करे, तो उस पर भरोसा न करें।
  2. वीडियो कॉल पर किसी से भी निजी जानकारी न दें:
    स्कैमर्स वीडियो कॉल के जरिए आपको डराने की कोशिश कर सकते हैं।
  3. OTP, बैंक डिटेल, आधार नंबर आदि किसी के साथ शेयर न करें:
    आपकी ये जानकारी स्कैमर्स के लिए सोने की खान जैसी होती है।
  4. साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर तुरंत संपर्क करें:
    अगर आपको किसी फ्रॉड का शक हो, तो 1930 या डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन पर कॉल करें।
  5. बैंक से सीधे संपर्क करें:
    अगर किसी ट्रांजैक्शन को लेकर शक हो, तो तुरंत अपने बैंक से बात करें।
  6. स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं:
    यह जरूरी है ताकि कानून के मुताबिक समय रहते कार्रवाई हो सके।

वरिष्ठ नागरिकों को बनाया जा रहा है आसान शिकार

यह मामला बताता है कि स्कैमर्स अब वरिष्ठ नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं। डॉक्टर की उम्र 73 वर्ष थी और वह टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में उतने दक्ष नहीं थे, जिसका स्कैमर्स ने फायदा उठाया।

इसलिए यह बेहद जरूरी हो गया है कि समाज में हर व्यक्ति, खासकर बुजुर्गों को ऐसे मामलों के बारे में जागरूक किया जाए।


सरकार और पुलिस की पहल

मुंबई पुलिस जैसी एजेंसियां अब डिजिटल जागरूकता फैलाने के लिए ‘डिजिटल रक्षक’ जैसी पहल चला रही हैं इसके तहत न केवल शिकायत दर्ज करने का तरीका आसान किया गया है, बल्कि जागरूकता कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं।

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