Census 2026-27 two phase भारत में केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना, जानें पूरी डिटेल्स
भारत सरकार ने देश की अगली जनगणना को दो चरणों में आयोजित करने की अधिसूचना जारी कर दी है। कोरोना महामारी के चलते वर्षों से लंबित जनगणना प्रक्रिया अब 2026-2027 के दौरान आयोजित की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम 1948 के तहत यह अधिसूचना जारी की है, जिसमें विस्तृत टाइमलाइन और प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।

जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है?
जनगणना देश की जनसंख्या, सामाजिक संरचना, शिक्षा, रोजगार, जातीयता, आवास, प्रवास जैसी कई महत्वपूर्ण जानकारियों का आधार होती है। इससे नीति निर्माण, संसाधनों का आवंटन, और लोकसभा व विधानसभा परिसीमन जैसे बड़े फैसलों में मदद मिलती है।
दो चरणों में होगी जनगणना: क्या है योजना?
- पहला चरण – यह चरण हाउसिंग सेंसस का होगा, जिसमें घरों की स्थिति, सुविधाएं, और अन्य जानकारी एकत्र की जाएगी। यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2026 तक पूरी की जाएगी, खासकर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड।
- दूसरा चरण – यह चरण पॉपुलेशन सेंसस का होगा, जो जनवरी 2027 से शुरू होकर मार्च 2027 तक चलेगा। 1 मार्च 2027 को जनगणना की आधिकारिक रेफरेंस डेट माना जाएगा।

क्या-क्या होगा जनगणना में शामिल?
इस बार की जनगणना में कई नए बदलाव और डिजिटल नवाचार देखने को मिलेंगे:
- 30 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें नाम, उम्र, जन्मतिथि, लिंग, शिक्षा, धर्म, जाति, रोजगार, वैवाहिक स्थिति, प्रवास की स्थिति जैसे विवरण होंगे।
- पहली बार डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल होगा।
- 34 लाख कर्मचारी इस प्रक्रिया में भाग लेंगे, जिन्हें पहले ट्रेनिंग दी जाएगी।
- जाति, उपजाति और OBC को लेकर अलग कॉलम होंगे।
- सॉफ्टवेयर अपडेट कर डिजिटल संग्रहण के लिए नई प्रणाली अपनाई जा रही है।

कैसे तैयार होती है जनगणना?
हर जनगणना से पहले केंद्र सरकार एक प्रोफॉर्मा (प्रश्नावली) तैयार करती है। इसमें दो हिस्से होते हैं:
- हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस – इसमें आवासीय स्थितियों की जानकारी ली जाती है।
- पॉपुलेशन सेंसस – इसमें व्यक्ति विशेष से जुड़े विवरण लिए जाते हैं।
इसके लिए कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है और फिर वह घर-घर जाकर आंकड़े इकट्ठा करते हैं।
जनगणना के बाद क्या होगा?
- मार्च 2027: प्राथमिक आंकड़े प्रकाशित किए जाएंगे।
- दिसंबर 2027: विस्तृत रिपोर्ट जारी होगी।
- 2028: इन आंकड़ों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन शुरू किया जाएगा।
- 2029: परिसीमन के साथ महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किए जाने की संभावना है।

जातीय जनगणना पर भी चर्चा
पहली बार जातीय जनगणना को भी प्राथमिकता दी जा रही है। यह ओबीसी आरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों में अहम भूमिका निभाएगी। केंद्र सरकार इस बार जाति, उप-जाति से संबंधित सवाल भी जोड़ सकती है।
गृह मंत्री अमित शाह का बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह जनगणना न केवल डिजिटल होगी, बल्कि पारदर्शिता और विश्वसनीयता के नए मानक तय करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा ताकि हर नागरिक देश की सामाजिक संरचना को समझ सके।
जनगणना से क्या-क्या बदल सकता है?
- शिक्षा और रोजगार नीति में संशोधन
- गरीब वर्गों के लिए नई योजनाएं
- महिलाओं के लिए आरक्षण नीति का कार्यान्वयन
- जनप्रतिनिधित्व में क्षेत्रीय संतुलन
- आधारभूत ढांचे का नया खाका
किन चुनौतियों का सामना होगा?
- विशाल जनसंख्या के कारण डेटा प्रबंधन चुनौतीपूर्ण होगा।
- डिजिटल साक्षरता की कमी ग्रामीण इलाकों में बाधा बन सकती है।
- जातीय प्रश्नों पर राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय भी विवाद खड़ा कर सकती है।
डिजिटल इंडिया में डिजिटल जनगणना: क्या होगा नया?
भारत की यह अगली जनगणना पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस होगी। यह देश में पहली बार होगा जब हर जानकारी मोबाइल ऐप या टैबलेट के माध्यम से एकत्र की जाएगी। इससे न केवल डेटा संग्रहण तेज होगा, बल्कि भविष्य में डेटा विश्लेषण और नीति निर्माण भी अधिक सटीक और कारगर हो सकेगा।
गृह मंत्रालय ने जनगणना के लिए विशेष ऐप विकसित किया है, जिसमें डेटा सुरक्षा को लेकर मजबूत प्रावधान होंगे। कर्मचारी हर घर जाकर उसी ऐप से जानकारी भरेंगे, जिससे फर्जीवाड़े या गलती की संभावना कम होगी। साथ ही, प्रत्येक कर्मचारी को जीपीएस सिस्टम से ट्रैक किया जाएगा।
प्रवासी और घुमंतू जनसंख्या पर फोकस
इस बार सरकार का विशेष ध्यान प्रवासी मजदूरों, शरणार्थियों और घुमंतू जनसंख्या की गणना पर होगा। कोरोना काल में प्रवासी कामगारों की भूमिका और समस्याएं सबके सामने आई थीं। ऐसे में, इस बार के आंकड़ों से उनके लिए विशेष योजनाएं और सरकारी समर्थन तैयार किया जा सकेगा।
शहरी झुग्गी क्षेत्रों और ग्रामीण प्रवासी समूहों तक पहुंचने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी। सरकार इस बार सुनिश्चित करेगी कि कोई भी नागरिक छूट न जाए, जिससे आंकड़े और अधिक वास्तविक बन सकें।
जातीय गणना पर क्या है विवाद?
जातीय जनगणना को लेकर देश में कई वर्षों से बहस चल रही है। कई दल और सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि जनसंख्या के साथ-साथ जातिगत विवरण भी दर्ज किया जाए। इससे पिछड़े वर्गों को सटीक आरक्षण और योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जातिगत विभाजन और राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है। यही वजह है कि सरकार इस पर पूरी तैयारी और सावधानी से काम कर रही है।
महिलाओं के लिए 33% आरक्षण: जनगणना से जुड़ेगा बड़ा बदलाव?
जनगणना के बाद 2028 में लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन किया जाएगा। इसी प्रक्रिया में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण को लागू करने की संभावना जताई जा रही है। यानी, जनगणना से मिलने वाले लिंग अनुपात और महिलाओं की सामाजिक स्थिति के आंकड़े इस फैसले की नींव रखेंगे।
यह बदलाव 2029 के आम चुनावों से पहले लागू हो सकता है, जिससे भारत की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी ऐतिहासिक रूप से बढ़ेगी।
आपके लिए क्या करना जरूरी है?
हर भारतीय नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह जनगणना प्रक्रिया में सहयोग करे और सही-सही जानकारी दे। गलत जानकारी न केवल आपके परिवार को योजनाओं के लाभ से वंचित कर सकती है, बल्कि सरकार के आंकड़ों को भी प्रभावित कर सकती है।
यदि आप कहीं ट्रांसफर हो गए हैं, या आपकी स्थायी और वर्तमान पता अलग है, तो यह भी सही तरीके से दर्ज करवाना होगा।
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